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ब्लॉग राइटर
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अब शिवराज का क्या होगा...! कुछ नहीं...
प्रेमचंद अपनी महान कहानी 'पंच परमेश्वर' में कहते हैं, अपनी कामनाएं भले पूरी न हों, लेकिन दुश्मनों से बदला लेने का अवसर समय जरूर देता है...
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- नवंबर 22, 2016 12:56 pm IST
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आंखों देखा हाल : जब एक सांसद ने किया एक मंत्री का विरोध...
यह बात आठ जनवरी की है। उस दिन कोहरे की वजह से दिल्ली से जाने वाली कई फ्लाइट देर से रवाना हो रही थीं। कोहरे की वजह से कई फ्लाइटों को रद्द भी कर दिया गया था। मैंने भी एयर इंडिया की फ्लाइट 073 में दिल्ली से भुवनेश्वर के लिए अपना टिकट बुक किया था।
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विराग गुप्ता की कलम से : जंगलराज में तब्दील होता संसदीय लोकतंत्र
एक रोचक घटनाक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों को पत्र लिखकर जंगल के जानवरों से प्रेरणा लेते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में मर्यादित आचरण और संसदीय सहयोग प्रदान करने का गंभीर आग्रह किया है।
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मनोरंजन भारती की कलम से : आखिर रहमान का दोष क्या है, क्यों पीछे पड़ गए लोग?
आमिर खान के बाद अब संगीतकार एआर रहमान अपने बयान की वजह से विवादों में आ गए हैं। वंदे मातरम गाने वाले रहमान ने गोवा फिल्म समारोह में कहा कि वे भी आमिर जैसे हालात झेल चुके हैं।
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- दिसंबर 23, 2015 14:33 pm IST
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डॉ विजय अग्रवाल : आमिर खान के बयान के पीछे छिपा सच
रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह में कहे गए आमिर खान के शब्दों ने फिलहाल पूरे देश में खलबली मचा रही है। वैसे यदि देखें तो आमिर ने अपने घर में पत्नी से होने वाली उस आम बातचीत की बात कही थी, जो हम सभी के घरों में कभी न कभी होती ही रहती है।
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प्रियदर्शन की 'बात पते की' : आमिर का भारत, आमिर की भारतीयता
साठ के दशक में मनोज कुमार भारत कुमार कहलाते थे। 'उपकार' और 'पूरब और पश्चिम' से लेकर 'क्रांति' तक वे देशप्रेम की रोमानी कहानियां कहते रहे जिनमें देश की धरती सोना और हीरे-मोती उगला करती थी।
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प्राइम टाइम इंट्रो : क्या स्वच्छ भारत काम कर रहा है?
भीड़ ने हां कहा या ना कहा इसका कांग्रेसी विश्लेषण अलग है और भाजपाई विश्लेषण अलग। कांग्रेस को लगता है कि लोगों ने हां भी कहा और ना भी, बीजेपी को लगता है कि लोगों ने हां कहकर राहुल गांधी के मोदी विरोधी अभियान को पंचर कर दिया है।
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सुधीर जैन : देश को भोजन-पानी के फौरी इंतज़ाम करने की ज़रूरत
इस साल देश में लगातार दूसरे साल बारिश कम हुई है। कई इलाके सूखे की चपेट में हैं - मसलन बुंदेलखंड। उत्तर प्रदेश ने तो अपने आधे से ज्यादा जिले सूखाग्रस्त घोषित कर दिए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की भी बुरी हालत है।
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अजय सिंह का ब्लॉग : बनारस की फ़िज़ां हुई ज़हरीली, सांस लेना तक मुमकिन नहीं
आज आलम यह है कि आप बनारस के किसी भी इलाके जाएं, धूल के गुबार के बीच सड़क बहुत मुश्किल से दिखाई पड़ती है...
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कला को आम लोगों तक पहुंचाने की नायाब कोशिश ये भी
पिछले दिनों दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर एक ख़ास वजह से जाना हुआ। हमारे परिचित सुशील और मीनाक्षी ने एक महीने तक चलने वाली प्रदर्शन का आयोजन किया था। मीनाक्षी कलाकार हैं और सुशील उनके जीवन साथी भी और कलात्मक सफ़र के साथी भी।
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राकेश कुमार मालवीय : सातवां वेतन आयोग किसके लिए...?
इस सवाल पर हम बाद में सोचेंगे, लेकिन इस वक्त अदद तो यही है कि आखिर केवल 50 लाख कर्मचारियों को खुश करने की कवायद क्यों, जबकि देश के सात करोड़ किसानों की हालत खस्ता है
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सुशील महापात्रा की कलम से : मेरा पुराना जनलोकपाल बिल वापस दे दो केजरीवाल
आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के दाहिने हाथ के रूप में लोगों को नजर आते हैं और धीरे-धीरे उनपर ही भारी पड़ते लगते हैं। फिर समय सब कुछ बदल देता है। आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के ऊपर भारी पड़ते हैं।
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- दिसंबर 23, 2015 14:10 pm IST
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जनलोकपाल: बहस के लिए इसलिए तैयार नहीं हो रहे केजरीवाल
केजरीवाल अपने पुराने साथी प्रशांत भूषण के साथ बहस को तैयार नहीं हो रहे हैं।केजरीवाल खुद जाने के बजाए आशीष खेतान को भेज रहे हैं। केजरीवाल जो आंदोलन के वक्त सबको बहस के लिए ललकारा करते थे, अब क्यों भाग रहे हैं।
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सुशील कुमार महापात्रा की कलम से : क्या आपको ये चुनौतियां याद हैं केजरीवाल जी?
अरविंद केजरीवाल और खुली बहस के बीच काफी गहरा रिश्ता है। अरविंद केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनका यह मानना है कि खुली बहस लोकतंत्र के लिए अच्छी है और इसके जरिये एक स्वस्थ राजनीति की शुरुआत हो सकती है।
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- दिसंबर 23, 2015 14:08 pm IST
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गुजरात निकाय चुनाव: कांग्रेस के लिए जश्न मनाने के हैं कई कारण
गुजरात में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों के नतीजों से कांग्रेस उत्साहित है। कहने को तो ये निगमों, ब्लॉकों का चुनाव है मगर क्या इसके कोई और मायने हो सकते हैं। यह इसलिए भी जरूरी है कि इसी तरह बीजेपी ने भी बंगलौर कॉरपोरेशन में जीत और केरल में एक जगह जीतने का भी जश्न मनाया था।
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निधि का नोट : दिल्ली के विधायक आम आदमी से बन गए खासम खास
आम आदमी से बन गए खासम खास। दिल्ली में हमारे विधायकों की तनख्वाह 400 फीसदी बढ़ गई है। 88,000 से सीधे 1,85,000 और साथ ही विधानसभा क्षेत्र के नाम पर 50,000 रुपये। चार गुणा बढ़ गई है सैलरी कांग्रेस-बीजेपी का विकल्प बन कर आये विधायकों की।
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- दिसंबर 23, 2015 13:59 pm IST
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राजीव मिश्रा का ब्लॉग : क्या विधायक के पेट और आम आदमी के पेट में भी अंतर होता है...
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने विधायकों के लिए 2.35 लाख रुपये के पैकेज की घोषणा कर दी है। इसी के साथ मेरी नजर में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार पर आधिकारिक रूप भ्रष्टाचार को पोसने का आरोप लगता है।
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अभिज्ञान का प्वाइंट : दाऊद की संपत्ति, राष्ट्रप्रेम और शोहरत
अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम की संपत्ति नीलाम हुई। इसमें दाऊद का होटल और कार समेत तीन संपत्तियों की नीलामी हुई, जिन्हें 1993 के मुंबई धमाकों में दाऊद का नाम आने और उसके फ़रार होने के बाद ज़ब्त कर लिया गया था।
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प्राइम टाइम इंट्रो : पाकिस्तान को लेकर इतना सन्नाटा क्यों है?
सब धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं तो क्या इसलिए कि सारी कवायद सिर्फ तस्वीर के लिए है। किसी बड़ी उम्मीद से पाकिस्तान से बातचीत की पहल क्यों नहीं की जाए। क्या सभी बेबी स्टेप का इंतज़ार कर रहे हैं।
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दादा जी को 'अनाथालय' भेज कर इंटरनेट देना है, गुड आइडिया !
उम्मीद है कि आपने भी एक बड़ी मोबाइल कंपनी का वह विज्ञापन जरूर देखा होगा, जिसमें कंपनी इंटरनेट से दूसरों की मदद करने के दावे कर रही है. इमोशनल तरीके से कर रही है.कुछ विज्ञापन तो प्रभाव पैदा करने वाले भी हैं. इसलिए कंपनी और ज्यादा प्रभाव पैदा करने के फेर में भावुक हो गई.