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    IC 814 हाइजैक का K कनेक्शन - कश्मीर से कंधार तक की कहानी

    हाल ही में मैं विधानसभा चुनाव कवर करने के लिए कश्मीर में थी. एक रिपोर्टर के तौर पर शायद ये मेरी अच्छी किस्मत थी कि IC 814 सीरीज पर ताजा विवाद तब हुआ. मैं ज़्यादा खुश इसीलिए थी, क्योंकि 25 साल पहले जो मेरे कैरियर में सबसे बड़ी कहानी थी, उसे मुझे दोबारा रीविजिट करने का मौका मिला.

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    काम के लंबे घंटे और वर्किंग हॉलिडे, अलग है अमित शाह का गृह मंत्रालय

    दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक में स्थित गृह मंत्रालय में काम के घंटे बढ़ गए हैं. ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि गर्मी के दिन काफी लंबे होते हैं, बल्कि इसकी वजह गृह मंत्री की बहुत ज्यादा काम करने की प्रवृति है. अमित शाह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को सुबह 10 बजे से पहले ही अपने कार्यालय पहुंच गए. गुरुवार को भी वे सुबह 9.40 बजे पहुंचे और देर तक रुके. मैं बीते एक दशक से गृह मंत्रालय को कवर कर रही हूं और चार गृह मंत्रियों को देखा है. अमित शाह ऐसे पहले गृह मंत्री हैं जो अपना पूरा दिन ऑफिस में बिताने हैं और रात 8 बजे के बाद निकलते हैं.

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    निर्भया के बाद कानून में बहुत कुछ बदला होगा, लेकिन समाज कतई नहीं बदला...

    मुझे तब समाज पर बहुत गुस्सा आया था, जिसने सड़क पर अर्द्धनग्न पड़ी एक लड़की पर चादर डालने की ज़हमत भी नहीं उठाई... आज भी महिपालपुर की उस सड़क से गुज़रती हूं, तो वहां रहने वालों को ध्यान से देखती हूं, और मन में सोचती हूं - आख़िर क्यों इन्होंने उस लड़की की मदद नहीं की...

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    पीढ़ियां बदल जाती हैं, रोशनी बनी रहती है...दीवाली ने बताया, मां मेरे भीतर जिंदा है

    परंपरा शायद यही होती है. जीवन शायद यही होता है. हाथ बदल जाते हैं, पीढ़ियां बदल जाती हैं, रोशनी बनी रहती है और जिंदगी ढीठ मुस्कुराती रहती है. मैं भी मुस्कुराई, मां भी मुस्कुरा रही होगी. हैप्पी दीवाली मां.

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    रिपोर्टर की डायरी : गुस्सा, बेरुख़ी और बदसलूक़ी...कश्मीर

    रिपोर्टिंग करते हुए मैं श्रीनगर ही नहीं बल्कि बारामुला, सोपोर, कुलगाम, पट्टन और अनंतनाग जैसे इलाक़ों में गई वहां भी कई लोगों से बात की. लोगों में बेरुख़ी भी देखी और लाचारी भी.

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    पहले से बदल गया है कश्मीर...

    इस नए कश्मीर में राष्ट्रीय मीडिया को भी दुश्मन की निगाह से देखा जा रहा है. आप रिपोर्ट करो लेकिन सिर्फ़ 'हमारे कश्मीर' के बारे मे. दूसरी तरफ़ का नहीं, अगर दूसरी तरफ़ की करोगे तो आप को भी बख्सा नहीं जाएगा.

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    मैं आप सब पर भरोसा करना चाहती हूं...

    मैं एक ख़ुशमिजाज़ इंसान हूं। खुलकर हंसना पसंद करती हूं, सबसे गपशप कर लेती हूं, लोगों पर विश्वास करती हूं। नए-नए लोगों से मिलती हूं... उनकी कहानियां सुनती हूं और सुनकर उन्हें अपने लफ़्ज़ों में बयान करती हूं।

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    नीता की नज़र से : पीएम मोदी के नगालैंड और मणिपुर दौरे की अहमियत

    नगालैंड और मणिपुर देश के वह दो राज्य हैं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दो दीनों में जाने वाले हैं। प्रधानमंत्री के इस दौरे से इन दो राज्यों को बहुत उम्मीदे हैं। दरअसल इन दोनों राज्यों में अलगाववादी गुटों से केंद्र की बातचीत चल रही है। इस लिहाज से पीएम का यह दौरा राजनीतिक भी माना जा रहा है।

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    नीता की नज़र से : कामाख्या मंदिर में लगी अफ़सरों की क़तार

    दरअसल पूरे देश भर से सभी सीनियर पुलिस वाले देश की आतंरिक सुरक्षा को लेकर चिंतन करने जुवती आए हुए हैं। ऐसे में सभी वक़्त निकाल कर कामाख्या देवी के दर्शन भी करने पहुंच रहे हैं। कुछ नियुक्ति के लिए और कुछ मुक्ति के लिए।

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    नीता शर्मा की ग्राउंट रिपोर्ट : स्थायी सरकार चाहते हैं कश्मीर के लोग

    श्रीनगर में जब बाढ़ आई थी, तब लाल चौक के इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। बेशक यह इलाका शहर के बीच में बसा है, लेकिन मदद इन लोगों तक बहुत देर से पहुंची थी। बाढ़ के दो महीने बाद भी यहां हालात ज्यादा नहीं बदले हैं।

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    नीता शर्मा की नज़र से : बीजेपी के लिए आसान नहीं है कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतना...

    बेशक बीजेपी कश्मीरी पंडितों के भरोसे राज्य की सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद कर रही हो, और दावा कर रही हो कि वह 62,000 विस्थापित कश्मीरी पंडितों को बसा देगी, लेकिन हकीकत यह है कि कश्मीरी पंडित बीजेपी से खफा हैं।

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    नीता शर्मा की नजर से : जम्मू-कश्मीर में उलटफेर कर पाएगी बीजेपी?

    इस बार जम्मू−कश्मीर के चुनावों में क्या बीजेपी वाकई उलटफेर कर पाएगी। अब वह अपने मिशन 44 के आगे जाकर 50 सीटें लाने की बात कर रही है। उसे उम्मीद है कि इस बार उसे घाटी में भी समर्थन मिलेगा।

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    नीता शर्मा की नजर से : कश्मीरी पंडितों पर बीजेपी की निगाह

    जम्मू−कश्मीर के चुनावों में सबकी नज़र कश्मीरी पंडितों पर है। क्या वे चुनावी समीकरण बदल डालेंगे, हकीकत यह है कि कश्मीर घाटी में लौटे पंडित वहां अपने−आप को अजनबी महसूस करते हैं तो बाहर असुरक्षित।

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    ग्राउंड रिपोर्ट : जम्मू-कश्मीर चुनाव में किसे मिलेगा कश्मीरी पंडितों का साथ?

    घाटी में सैलाब के असर से उबरते लोगों के सामने अब चुनाव हैं, लेकिन उनके मुताबिक चुनने को कुछ नहीं। घाटी के कश्मीरी पंडितों को बीजेपी अपने साथ मान रही है, लेकिन हकीकत यह है कि वे भी बंटे हुए हैं।

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