अब मुख्यमंत्री केजरीवाल के पूर्व साथी प्रशांत भूषण ने जनलोकपाल बिल को लेकर उन्हें खुली बहस की चुनौती दी है। देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल, प्रशांत भूषण की इस चुनौती को स्वीकार करते है या नहीं?
आइए आपकी यादों को भी ताजा करें और आपको बताते हैं कब कब केजरीवाल ने खुद दूसरे नेताओं को खुली बहस की चुनौती दी और पार्टी ने इसे लोगों के बीच एक मुद्दा भी बनाया।
केजरीवाल ने जब शीला दीक्षित को दिया खुली बहस चुनौती
25 जून 2013 को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को खत लिखकर सार्वजनिक बहस के लिए ललकारा था। ये वह दौर था जब केजरीवाल अपनी राजनीति को चमकाने विरोधी दल की तरह देश और दिल्ली के तमाम मुद्दों पर रोज नए बयान जारी कर रहे थे।
शीला को लिखे अपने इस खत में अरविंद केजरीवाल ने कहा था "शीला दीक्षित जी, दिल्ली के नागरिकों के सामने मैं आपको खुली बहस के लिए आमंत्रित करता हूं। यह बहस रामलीला मैदान या दिल्ली के किसी सार्वजनिक जगह पर होनी चाहिए। तारीख और समय आप की सुविधानुसार तय किया जाएगा। मैं जानता हूं कि आप मेरी चुनौती की स्वीकार नहीं करेंगी, लेकिन फिर भी मैं आपके जवाब का इंतज़ार करूंगा। अगर आप इस सार्वजनिक बहस के लिए राजी होंगी तो यह लोकतंत्र में एक स्वस्थ परंपरा लाने में मदद करेगा। (पढ़ें : शीला दीक्षित को लिखी गई केजरीवाल की चिट्ठी)
नरेंद्र मोदी को भी खुली बहस के लिए ललकारा
लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को खुली बहस के लिए चुनौती दी थी। 8 मई 2014 को केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को वाराणसी के लोगों से संबंधित मुद्दों पर खुली बहस के लिए आमंत्रित किया था। अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को यह भी कहा था कि वह अपनी सुविधा के हिसाब से स्थान और समय का चयन कर लें। केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के ऊपर कई आरोप लगाए थे। केजरीवाल का कहना था कि नरेंद्र मोदी सार्वजनिक बहस से डरते हैं क्योंकि उन्हें यह लगता है कि कहीं सार्वजनिक बहस के जरिये उनकी पोल खुल न जाए। (पढ़ें : नरेंद्र मोदी को केजरीवाल की चुनौती)
केजरीवाल ने किरण बेदी को भी दिया था खुली बहस का न्योता
बीजेपी ने जब किरण बेदी को दिल्ली का सीएम प्रत्याशी बनाया था तब अरविंद केजरीवाल ने किरण बेदी को सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया था। तारीख थी 20 जून 2015... एक ट्वीट के जरिये केजरीवाल ने यह चुनौती पेश की थी। एक बार फिर केजरीवाल का कहना था कि खुली बहस से लोकतंत्र में स्वस्थ परंपरा शुरू होगी। किरण बेदी ने अरविंद केजरीवाल के सार्वजनिक बहस के न्योते को ठुकरा दिया था। किरण बेदी ने कहा था कि वह केजरीवाल से विधानसभा में बहस करेंगी, क्योंकि वह उनके बहस करने के तरीके से वाकिफ हैं।
.@thekiranbedi congrats 4 being nominated as BJP's CM candidate. I invite u 4 a public debate moderated by neutral person n telecast by all
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 20, 2015
अब प्रशांत भूषण जनलोकपाल बिल को लेकर खुली बहस के लिए अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित कर चुके हैं। प्रशांत रेडियो के जरिये भी अरविंद के साथ खुली बहस के लिए आह्वान दे रहे हैं। लेकिन अरविंद केजरीवाल की तरफ से अब तक कोई जबाब नहीं आया है। हां, इतना जरूर है कि पार्टी प्रवक्ता आशीष खेतान बहस में जाने को तैयार हैं। वहीं, दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का कहना है कि बिल सदन में रखा जा चुका है, बहस सदन में होगी। अगर भूषण को किसी प्रकार की दिक्कत दिखती है तो वह सीएम या सदन में आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं।
यह देखने को बाकी है कि जो अरविंद केजरीवाल बार-बार खुली बहस के लिए चीखा करते थे, क्या वह खुद इसे स्वीकारेंगे।
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