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This Article is From Dec 01, 2015

सुशील कुमार महापात्रा की कलम से : क्या आपको ये चुनौतियां याद हैं केजरीवाल जी?

Written by Sushil Mohapatra, Edited by Rajeev Mishra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 14:08 pm IST
    • Published On दिसंबर 01, 2015 21:48 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:08 pm IST
अरविंद केजरीवाल और खुली बहस के बीच काफी गहरा रिश्ता है। अरविंद केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनका यह मानना है कि खुली बहस लोकतंत्र के लिए अच्छी है और इसके जरिये एक स्वस्थ राजनीति की शुरुआत हो सकती है। केजरीवाल खुद खुली बहस में एक कामयाब भविष्य की कल्पना करते रहे हैं। आपको याद होगा केजरीवाल कई नेताओं को खत लिखकर खुली बहस की मांग कर चुके हैं लेकिन इस बार कुछ उलटा हो रहा है।

अब मुख्यमंत्री केजरीवाल के पूर्व साथी प्रशांत भूषण ने जनलोकपाल बिल को लेकर उन्हें खुली बहस की चुनौती दी है। देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल, प्रशांत भूषण की इस चुनौती को स्वीकार करते है या नहीं?

आइए आपकी यादों को भी ताजा करें और आपको बताते हैं कब कब केजरीवाल ने खुद दूसरे नेताओं को खुली बहस की चुनौती दी और पार्टी ने इसे लोगों के बीच एक मुद्दा भी बनाया।

केजरीवाल ने जब शीला दीक्षित को दिया खुली बहस चुनौती  
25 जून 2013 को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को खत लिखकर सार्वजनिक बहस के लिए ललकारा था। ये वह दौर था जब केजरीवाल अपनी राजनीति को  चमकाने विरोधी दल की तरह देश और दिल्ली के तमाम मुद्दों पर रोज नए बयान जारी कर रहे थे।

शीला को लिखे अपने इस खत में अरविंद केजरीवाल ने कहा था "शीला दीक्षित जी, दिल्ली के नागरिकों के सामने मैं आपको खुली बहस के लिए आमंत्रित करता हूं। यह बहस रामलीला मैदान या दिल्ली के किसी सार्वजनिक जगह पर होनी चाहिए। तारीख और समय आप की सुविधानुसार तय किया जाएगा। मैं जानता हूं कि आप मेरी चुनौती की स्वीकार नहीं करेंगी, लेकिन फिर भी मैं आपके जवाब का इंतज़ार करूंगा। अगर आप इस सार्वजनिक बहस के लिए राजी होंगी तो यह लोकतंत्र में एक स्वस्थ परंपरा लाने में मदद करेगा।   (पढ़ें : शीला दीक्षित को लिखी गई केजरीवाल की चिट्ठी)

नरेंद्र मोदी को भी खुली बहस के लिए ललकारा
लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को खुली बहस के लिए चुनौती दी थी। 8 मई 2014 को केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को वाराणसी के लोगों से संबंधित मुद्दों पर खुली बहस के लिए आमंत्रित किया था। अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को यह भी कहा था कि वह अपनी सुविधा के हिसाब से स्थान और समय का चयन कर लें। केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के ऊपर कई आरोप लगाए थे। केजरीवाल का कहना था कि नरेंद्र मोदी सार्वजनिक बहस से डरते हैं क्योंकि उन्हें यह लगता है कि कहीं सार्वजनिक बहस के जरिये उनकी पोल खुल न जाए।  (पढ़ें : नरेंद्र मोदी को केजरीवाल की चुनौती)

केजरीवाल ने किरण बेदी को भी दिया था खुली बहस का न्योता
बीजेपी ने जब किरण बेदी को दिल्ली का सीएम प्रत्याशी बनाया था तब अरविंद केजरीवाल ने किरण बेदी को सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया था। तारीख थी 20 जून 2015... एक ट्वीट के जरिये केजरीवाल ने यह चुनौती पेश की थी। एक बार फिर केजरीवाल का कहना था कि खुली बहस से लोकतंत्र में स्वस्थ परंपरा शुरू होगी। किरण बेदी ने अरविंद केजरीवाल के सार्वजनिक बहस के न्योते को ठुकरा दिया था। किरण बेदी ने कहा था कि वह केजरीवाल से विधानसभा में बहस करेंगी, क्योंकि वह उनके बहस करने के तरीके से वाकिफ हैं।
 
अब प्रशांत भूषण जनलोकपाल बिल को लेकर खुली बहस के लिए अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित कर चुके हैं। प्रशांत रेडियो के जरिये भी अरविंद के साथ खुली बहस के लिए आह्वान दे रहे हैं। लेकिन अरविंद केजरीवाल की तरफ से अब तक कोई जबाब नहीं आया है। हां, इतना जरूर है कि पार्टी प्रवक्ता आशीष खेतान बहस में जाने को तैयार हैं। वहीं, दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का कहना है कि बिल सदन में रखा जा चुका है, बहस सदन में होगी। अगर भूषण को किसी प्रकार की दिक्कत दिखती है तो वह सीएम या सदन में आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं।

यह देखने को बाकी है कि जो अरविंद केजरीवाल बार-बार खुली बहस के लिए चीखा करते थे, क्या वह खुद इसे स्वीकारेंगे।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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