उम्मीद है कि आपने भी एक बड़ी मोबाइल कंपनी का वह विज्ञापन जरूर देखा होगा, जिसमें कंपनी इंटरनेट से दूसरों की मदद करने के दावे कर रही है. इमोशनल तरीके से कर रही है.कुछ विज्ञापन तो प्रभाव पैदा करने वाले भी हैं. इसलिए कंपनी और ज्यादा प्रभाव पैदा करने के फेर में भावुक हो गई.
एक समाज के रूप में हम इतने व्यक्ति केंद्रित हो गए हैं कि बस,जो कहा जा रहा है,सारा ध्यान उसी पर है और उससे मिल सकने वाली कथित सुविधा या सेवा पर है. बात को कैसे कहा जा रहा है, उसका संदेश क्या है. इस बात को हम बहुत पीछे छोड़ आए हैं. इस विज्ञापन में एक 'ओल्ड एज होम' का दृश्य है, जिसमें पोती अपनी दादी से मिलने आई है. पोती के पास एक स्मार्टफोन भी है और इंटरनेट भी, जिससे वह दादी को अपने परिवार की तस्वीरें दिखा रही है और वीडियो चैट कर रही है.
पोती सुशिक्षित और गरीबी रेखा से ऊपर वाले परिवार की दिख रही है, लेकिन स्मार्टफोन होना संवेदनशील होने की शर्त तो नहीं है, इसलिए पोती के मन में दादी के यहां 'डंप' होने पर सवाल नहीं हैं. वह तो दादी से उसके ही घर से यहां 'डंप' करने वालों की तस्वीरें और यादें साझा करके थोड़ी ही देर में अपनी सोशल दुनिया में लौट जाएगी. खैर इसी फीलगुड मिलन के दौरान उसकी दादी एक सुबकते हुए बुजुर्ग से कहतीं हैं कि, मेरी पोती ने इंटरनेट शेयर किया है, वीडियो चैट कर लो. दादा जी वीडियो चैट से ममता की प्यास बुझा लेते हैं.
यह विज्ञापन स्मार्टफोन और इंटरनेट का जयगान करता हुआ खत्म हो जाता है और तेजी से 'सोशल' होने की कोशिश में जुटा समाज इंटरनेट शेयरिंग के फायदे जानने में जुट जाता है. इंटरनेट हमारी जिंदगी में सुकून और संवाद के नए औजार के तौर पर दाखिल हुआ था, लेकिन अब वह हम पर हावी हो गया है. कभी हम बुजुर्गों के प्रेम की छांव को जिंदगी में परेशानियों की ओट समझते थे, अब उनसे वीडियो चैट करने, करवाने को पुण्य समझ रहे हैं. उम्मीद है, कम से कम इस पर हम सरकार को कोसने और प्रतिबंध की जगह खुद के भीतर झांकने की कोशिश करेंगे. न कि दादाजी से इंटरनेट शेयर करने में जुटेंगे.
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This Article is From Dec 08, 2015
दादा जी को 'अनाथालय' भेज कर इंटरनेट देना है, गुड आइडिया !
Written by Dayashankar Mishra
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 23, 2015 13:50 pm IST
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Published On दिसंबर 08, 2015 14:37 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:50 pm IST
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