भाषा से जुड़ा सबसे बड़ा सच यह है कि कोई भी शख्स आमतौर पर उसी भाषा को आत्मसात कर भली प्रकार प्रयोग कर सकता है, जिसमें वह सोचता है, गुनता है, शब्दों और वाक्यों को बुनता है... अगर वह इंग्लिश में सोचेगा, उसी में विचार करेगा, तो स्वाभाविक रूप से इंग्लिश में ही स्वयं को सरलता और सहजता से अभिव्यक्त कर पाएगा...