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ब्लॉग राइटर
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कांग्रेस गठबंधन की राजनीति के धर्म और विज्ञान को समझती तो हरियाणा के चुनाव में सफल हो जाती
तमाम तरह के विश्लेषकों के बीच जागरूक मतदाता के लिए चुनाव परिणाम से सीखने का अवसर छूटता जा रहा है. कुछ लोग एग्ज़िट पोल के विश्लेषण के माध्यम से ही अपनी आलोचनाओं को नए रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल शर्म और घबराहट से ऊपर उठकर जनता के मत को अपनी सफलता या असफलता में अपना निहितार्थ खोज रहे हैं. लोकतंत्र में चुनावी जीत और हार ही विश्लेषण के एकमात्र आधार नहीं होते; चुनाव में उभरती हुई नई राजनीतिक प्रक्रियाओं को समझना भी उतना ही आवश्यक है, आलोचनाओं के बावजूद.
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- रणधीर कुमार गौतम
- अक्टूबर 10, 2024 20:32 pm IST
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इजरायल-हमास संघर्ष का एक साल: किसने क्या खोया, क्या पाया?
इजरायल और हमास के बीच जारी जंग कब थमेगी, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन एक साल बाद हम पाते हैं कि इजरायल जिन घोषित लक्ष्यों के साथ युद्ध में गया था उनमें से एक भी हासिल नहीं कर पाया है.
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- सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा
- अक्टूबर 07, 2024 13:06 pm IST
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नवरात्रों की शुरुआत में आधुनिक नारी शक्ति की कहानी
2006 में पिता की मृत्यु के बाद अनुपमा और उनके बड़े भाई- बहन ने अपनी दुकान पर कला से जुड़ा काम शुरु किया. अनुपमा के भाई कहते हैं कि मैंने अपनी बहन की शादी में पांच छह लाख रुपए खर्च किए थे पर कुछ ही समय बाद अनुपमा वहां से परेशान होकर घर वापस आ गई.
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- हिमांशु जोशी
- अक्टूबर 05, 2024 08:09 am IST
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US में 8 लाख लोगों की भाषा, केन्या के रेडियो में बजते हिंदुस्तानी गाने... दुनिया में यूं बड़ी हो रही हिंदी की 'बिंदी'
अमेरिका में हिंदी ग्याहरवीं सबसे मशहूर विदेशी भाषा है. भारतीय भाषाओं में इसे अमेरिका में सबसे ज्यादा लगभग 8 लाख लोगों द्वारा बोला जाता है. हिंदी बोलने वाले भारतीयों में यहां अधिकतर विद्यार्थी, शिक्षक, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
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- अक्टूबर 05, 2024 07:49 am IST
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भारत विरोध की दास्तान, पाकिस्तान में कोहराम, मालदीव को सदमा
स्वतंत्रता के 75 साल बाद अब पाकिस्तान के लिए एक निर्णायक घड़ी आ गई है. उसे तय करना होगा कि वह आगे भी भारत विरोधी नीतियों पर चलकर ऐसी ही स्थिति में बना रहेगा या वर्तमान स्थिति से पूरी तरह निकलने के लिए भारत के साथ एक अच्छे पड़ोसी और मित्र जैसा व्यवहार करेगा.
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- हरीश चंद्र बर्णवाल
- अक्टूबर 04, 2024 14:43 pm IST
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सिर्फ़ वर्कलोड नहीं, कामकाज के बुनियादी मकसद पर भी बात होनी चाहिए
दिनकर जी एक जगह लिखते हैं, 'स्वर्ग की सुख-शांति है आराम में / किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में.' यहां शब्दार्थ नहीं, भावार्थ देखने की जरूरत है. यह समझने की जरूरत है कि इन पंक्तियों में कविवर के कहने का आशय क्या है.
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- अमरेश सौरभ
- अक्टूबर 04, 2024 12:58 pm IST
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'Joker' से 'Joker: Folie à Deux' : विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति
जब रचनात्मकता प्रतिबंधित हो जाती है, तो वहां फिर विध्वंस को सृजनशीलता की श्रेणी में रख दिया जाता है. 'Joker: Folie à Deux' उसी विध्वंसक-सृजनशीलता की पुनर्प्रस्तुति होगी.
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- अक्टूबर 01, 2024 09:57 am IST
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Legal Explainer: गिरफ़्तारी वॉरंट की आड़ में भी साइबर ठगी - डिजिटल अरेस्ट के 7 कानूनी पहलू
साइबर ठगी का शिकार होने पर स्थानीय पुलिस को 112 पर सूचित करना चाहिए. हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर शिकायत के साथ वॉलेट और बैंक अकाउंट का पूरा विवरण दिए जाने पर ठगी गई रकम बैंक एकाउंट में फ्रीज़ कराई जा सकती है. उसके अलावा www.cybercrime.gov.in पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए.
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- सितंबर 30, 2024 13:58 pm IST
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क्या लापता लेडीज के संवादों का कायल होगा ऑस्कर!
लापता लेडीज, गांव की पृष्ठभूमि पर बनी ऐसी फिल्म जिसने समाज के ताने-बाने को एक बार फिर से उजागर कर दिया. डायलॉग तो बेहतरीन थे ही, कलाकारों ने भी शानदार अभिनय कर फिल्म में जान फूंक दी. अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से फिल्म को ऑस्कर में भेजने का फैसला लिया गया है.
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आखिर क्यों वक्फ बोर्ड कानून पर मचा है घमासान
देश में एक कहावत मशहूर है कि समाज में विवाद और झगड़े के पीछे जर, जोरू और जमीन ही तीन सबसे बड़े कारण होते हैं. इसलिए जब संसद की संयुक्त समिति में वक्फ बोर्ड के पास मौजूद संपत्तियों के रखरखाव को लेकर चर्चा हो रही है तो विवाद और हंगामा होना स्वाभाविक है, क्योंकि यहां बहस का मुद्दा ही जमीन है.
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- हरीश चंद्र बर्णवाल
- सितंबर 28, 2024 15:02 pm IST
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बरसात में ज़मीन खोदकर निकलते हैं सह्याद्रि के अनोखे बैंगनी मेंढक
भारतीय बैंगनी मेंढक (Nasikabatrachus sahyadrensis) एक दुर्लभ प्रजाति है, जो अपना अधिकांश जीवन ज़मीन के नीचे बिताते हैं. केवल बरसात के मौसम में यह पृथ्वी के तल से बाहर निकलकर ऊपर ज़मीन पर आते है. इसमें भी मादाएं साल में केवल एक दिन के लिए, और वह भी सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए, सतह पर आती हैं, ताकि वे मिलन कर सकें और अपने अंडे दे सकें.
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- अतुला गुप्ता
- सितंबर 26, 2024 12:47 pm IST
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अपने देश में इस्तीफ़े का शास्त्र समझना इतना भी मुश्किल काम नहीं!
'त्यागपत्र' के शुरू में जो 'त्याग' शब्द लगा है न, इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इस त्याग और त्याग की भावना की बदौलत ही संसार में कोई दधीचि बनकर अमर हो गए, कोई बुद्ध-महावीर बनकर. लेकिन इतिहास गवाह है कि इनमें से कोई भी अपनी सीट पर गमछा नहीं रख गए थे.
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- अमरेश सौरभ
- सितंबर 24, 2024 16:31 pm IST
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'एक राष्ट्र, एक चुनाव' : राजनीतिक अस्थिरता के अंत की शुरुआत
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से किए गए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के वादे को पूरा करने के लिए मज़बूती से कदम आगे बढ़ा दिया है. 5 अगस्त, 2019 को इस सरकार ने जिस तरह जम्मू एवं कश्मीर से एक ही झटके में आर्टिकल 370 को खत्म करने का काम किया था, उसे देखते हुए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का लागू होना असंभव नहीं दिखता है.
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- हरीश चंद्र बर्णवाल
- सितंबर 20, 2024 10:18 am IST
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मेडिकल एजुकेशन में मेडिकल इनोवेशन : हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा में बदलाव
आज के समय में वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) हिन्दुस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति ला रहे हैं, जो आज सीखने के ऐसे अनुभव प्रदान करता है, जिसकी पहले कल्पना करना भी मुश्किल था.
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- त्रिविक्रम सिंह
- सितंबर 18, 2024 16:03 pm IST
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IC 814 हाइजैक का K कनेक्शन - कश्मीर से कंधार तक की कहानी
हाल ही में मैं विधानसभा चुनाव कवर करने के लिए कश्मीर में थी. एक रिपोर्टर के तौर पर शायद ये मेरी अच्छी किस्मत थी कि IC 814 सीरीज पर ताजा विवाद तब हुआ. मैं ज़्यादा खुश इसीलिए थी, क्योंकि 25 साल पहले जो मेरे कैरियर में सबसे बड़ी कहानी थी, उसे मुझे दोबारा रीविजिट करने का मौका मिला.
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- नीता शर्मा
- सितंबर 17, 2024 20:41 pm IST
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BLOG : सैलून में बाल कटवाने से पहले किताबें पढ़ने की शर्त शानदार है!
ऐसा पाया गया है कि रोजाना कुछ देर किताबें पढ़ने से ब्लड-प्रेशर और तनाव से निपटने में मदद मिलती है. सोने से ठीक पहले किताबें पढ़ने से नींद की क्वालिटी में सुधार हो सकता है. पढ़ने की आदत से ब्रेन एक्टिव रहता है, जिससे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूती हासिल करने में मदद मिलती है.
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- अमरेश सौरभ
- सितंबर 14, 2024 14:26 pm IST
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हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?
भाषा के कई विद्वान हिंदी में नुक़्ता का प्रयोग साफ तौर पर न किए जाने के पक्षधर हैं. इनका तर्क है कि बाहर से आए जिन शब्दों में नुक़्ता लगाया जाता है, उन शब्दों को अब हिंदी ने पूरी तरह अपना लिया है. जब वैसे शब्द हिंदी में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं, तो उन्हें हिंदी के बाकी शब्दों की तरह बिना नुक़्ता के ही लिखा जाना चाहिए. ज़्यादातर हिंदीभाषी उन शब्दों का उच्चारण भी वैसे ही करते हैं, जैसे उनमें नुक़्ता न लगा हो.
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- सितंबर 14, 2024 12:35 pm IST
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जम्मू एवं कश्मीर के चुनाव पर क्यों है दुनिया की नज़र...?
भारत के संविधान के तहत जम्मू एवं कश्मीर में होने वाला यह पहला चुनाव इतिहास की हर उस गलती का अंत है, जिसने भारत के सिरमौर जम्मू एवं कश्मीर को सिरदर्द बना दिया था.
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- सितंबर 12, 2024 14:59 pm IST
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खुद हिन्दी पढ़ें, और बच्चों को देखने दें - बस, सुधर जाएगी हिन्दी की हालत...
भाषा से जुड़ा सबसे बड़ा सच यह है कि कोई भी शख्स आमतौर पर उसी भाषा को आत्मसात कर भली प्रकार प्रयोग कर सकता है, जिसमें वह सोचता है, गुनता है, शब्दों और वाक्यों को बुनता है... अगर वह इंग्लिश में सोचेगा, उसी में विचार करेगा, तो स्वाभाविक रूप से इंग्लिश में ही स्वयं को सरलता और सहजता से अभिव्यक्त कर पाएगा...
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- विवेक रस्तोगी
- सितंबर 11, 2024 16:35 pm IST
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हिन्दी में तेज़ी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना ज़रूरी है...!
यहां हिंदी बोलने और लिखने में अंग्रेजी या दूसरी भाषाओं के शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल की बात नहीं हो रही है. दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपने में अच्छी तरह समा लेना तो अच्छी बात है. इससे तो हिंदी समृद्ध ही हो रही है.
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- अमरेश सौरभ
- सितंबर 11, 2024 16:33 pm IST