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    दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट बोर्ड का दिल कब होगा बड़ा

    अगर रोहित शर्मा अब बैगर कोई टेस्ट मैच खेले इस फॉर्मेट से संन्यास लेने का ऐलान करते हैं तो वो अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं होंगे, इस लिस्ट में भारत के महान स्पीनर आर अश्विन भी शामिल हैं.

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    टेक्नोलॉजी के इस दौर में 'डिजिटल डिटॉक्स' पर बात करना क्यों जरूरी है?

    नए साल में या आने वाले दौर में ज्यों-ज्यों डिजिटल उपकरणों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जाएगी, त्यों-त्यों डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत में भी इजाफा होता चला जाएगा.

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    दिल्ली में केजरीवाल को हराने के लिए विपक्ष बड़ी लकीर खींच पाएगा?

    आम आदमी पार्टी का मुकाबला अगर बीजेपी को या फिर कांग्रेस के लिए केवल केजरीवाल और उनकी नीतियों की आलोचना काफी नहीं है, उन्हें यह बताना होगा कि उनकी सरकार ऐसा क्या करेगी जो अरविन्द केजरीवाल नहीं कर पाए हैं...

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    'पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो...', सड़कों पर मारने से सफदर हाशमी मरा नहीं करते

    जब किसी फैक्ट्री में मजदूरों के लिए "हल्ला बोल" मंचित होता है, जब कलाकार अपने नाटकों से शोषण और भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हैं, तब ऐसा लगता है कि सफदर हाशमी खुद वहां खड़े हैं. उनकी आवाज़ हर प्रदर्शन, हर नाटक, और हर गीत में गूंजती है

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    नए साल पर लिए जाने वाले संकल्प अक्सर 'फ्लॉप' क्यों हो जाते हैं?

    न्यू ईयर रेजॉल्यूशन की सक्सेस-रेट क्या होती है, इसको लेकर देश-दुनिया में पहले ही काफी शोध हो चुके हैं.

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    हद कर दी आपने... डियर ऑस्ट्रेलिया, कोहली से यह कैसा बदला?

    मैदान पर मैच के दौरान विराट कोहली भले आपको आक्रमक दिखते हों लेकिन सही मायनों में वो क्रिकेट के एक ऐसे एंबेसडर हैं जिन्हें देखकर हर कोई अब उनकी तरह ही बनना चाहता है.

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    स्मृति शेष : आप... दीद के काबिल थे डॉ. मनमोहन सिंह

    बतौर वित्त मंत्री 1991 से 1996 में उनके कार्य बेहतरीन थे लेकिन जो उनके कार्य 2004 से 2009 गौण रह गए वो बेमिशाल थे.

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    ‘सैटेनिक वर्सेज़’ पर नहीं चलेगी पाबंदी - किसी भी रचना पर नहीं चलती

    उम्मीद करनी चाहिए कि इस बार सलमान रुश्दी की किताब पर नए सिरे से पाबंदी नहीं लगेगी. हमारा समाज और हमारी सरकारें अब यह सयानापन दिखाती हैं कि जो भी पाबंदी हो, वह अलिखित हो, अदृश्य हो. ऐसी कई पाबंदियों का दबाव हमारे लेखक और संस्कृतिकर्मी महसूस करते रहे हैं.

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     मैच ड्रॉ करवा पाने की काबिलियत को हल्के में मत लीजिए!

    भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिसबेन के गाबा में खेला गया गावस्कर-बॉर्डर ट्राफी का तीसरा टेस्ट मैच बारिश की वजह से ड्रा हो गया था. हालांकि खिलाड़ियों का कहना है कि इससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है. अमरेश सौरभ बता रहे हैं कि कैसे ड्रा कराया जाता है कोई मैच.

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    भरतनाट्यम को नए आयाम दे रही हैं आरोही मुंशी, देश विदेश में दे चुकी हैं प्रस्तुतियां

    आरोही मुंशी के परिवार में कला और संस्कृति की परंपरा रही है. उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के तहत अपनी मां और गुरु डॉक्टर लता मुंशी से भरतनाट्यम का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया है.वो सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और मलेशिया जैसे देशों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी हैं.

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    पुष्पा-2: ‘आदमी चाहे तो पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकता है’

    आदमी सोच सकता है इसलिए उसका अस्तित्व है. जो जितना बड़ा सोच सकता है उसका उतना बड़ा अस्तित्व है. भौतिक अस्तित्व हमेशा चेतना या विचार के अस्तित्व के सामने छोटी सिद्ध होती दिखाई पड़ती है.

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    अतुल सुभाष सुसाइड केस : मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक संवेदनशीलता जैसे कई सवाल

    अतुल सुभाष केस पर मनोचिकित्सक अंकिता जैन कहती हैं कि आजकल का युवा अंदर से बेहद कमजोर पड़ता जा रहा है, उसकी सहनशक्ति समाप्त हो रही है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे मुख्य कारण परिवारों का अलग थलग हो जाना है.

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    ‘संजीवनी’ है जरूरी, क्यों ‘आयुष्मान’ से दूरी?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह लगातार दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर हमला करते रहे हैं कि आयुष्मान योजना के लाभों से गरीबों को वंचित किया गया है. जवाब राजनीतिक रूप से जनता को दिए जाते रहे हैं लेकिन जनता कहीं न कहीं इस सवाल से चौंक भी रही थी. क्या संजीवनी योजना के जरिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने उस सवाल का जवाब दे दिया है?

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    क्या लापता लेडीज के संवादों का कायल होगा ऑस्कर!

    लापता लेडीज, गांव की पृष्ठभूमि पर बनी ऐसी फिल्म जिसने समाज के ताने-बाने को एक बार फिर से उजागर कर दिया. डायलॉग तो बेहतरीन थे ही, कलाकारों ने भी शानदार अभिनय कर फिल्म में जान फूंक दी. अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से फिल्म को ऑस्कर में भेजने का फैसला लिया गया है.

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    पैसा हो तो दुनिया सलाम करती है और अगर ना हो तो...पचास साल बाद 'अमीर गरीब'

    पचास साल पहले साल 1974 में रीलीज़ हुई 'अमीर गरीब' फ़िल्म बॉलीवुड की उन फ़िल्मों में शामिल रही, जिसमें कॉमेडी और सस्पेंस दोनों ही शामिल रहे हैं. मोहन कुमार द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में समाज के अंदर अमीर गरीब के बीच अंतर को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है

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    इंदिरा ने दिया दान, सोनिया गांधी ने मांगा वापस... आखिर नेहरू की निजी चिट्ठियों पर बवाल क्यों?

    पूरा देश जानता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी से जुड़े दस्तावेज खुद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में दान कर दिया था. ऐसे में उस धरोहर को वापस मांग लेने पर कानूनी सवाल का उठना लाजमी है.

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    स्वास्थ्य के दिल्ली मॉडल में आयुष्मान की जगह क्यों?

    क्या आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना दिल्ली की जरूरत है? क्या दिल्ली की जनता को केंद्र की इस योजना से दूर रखकर कोई गलती की गई है? या फिर दिल्ली की स्वास्थ्य योजना ने आयुष्मान योजना से आम लोगों को बचाया है? ये सवाल महत्वपूर्ण हैं. यह विषय केंद्र में काबिज बीजेपी और प्रदेश में काबिज आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का विषय भी रहा है. आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि सच क्या है और किस स्वास्थ्य मॉडल के साथ चला जाए? 

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    कभी न भूलने वाला संगीत और भूले-बिसरे संगीतकार

    अफ़सोस! ज़माना इन सभी को इनके बाद ढूंढता रहा है, लेकिन जो कुछ भी ये सभी गुणी लोग रच गए हैं, वह जीवन, समय और काल से परे है, अनमोल है, अमिट है. सदियों से ये गीत हमारे दिलों पर राज करते आए हैं और जैसा मैं हमेशा कहती हूं - जब तक मेरे और आपके जैसे रसिक श्रोता हैं, इन गीतों की मधुर ध्वनियां प्रतिध्वनित होती रहेंगी.

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    भोपाल शहर में आबाद एक सुरम्य जंगल - वन विहार

    वन्य प्रेमियों और छात्रों को आकर्षित करने हेतु वन विहार विविध गतिविधियों का आयोजन करता रहता है, जिनमें पक्षी अवलोकन शिविर, नेचर वॉक / ट्रेकिंग और वन्य कर्मियों से मुलाकात शामिल है. वन विहार में देशी पक्षियों की कुल 207 नस्लें एवं 50 विदेशी प्रजातियां रखी गई हैं.

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    महाकुंभ 2025 का हिस्सा बनने से पहले कुछ संकल्प लेना बेहद ज़रूरी

    महाकुंभ विशाल उत्सव जैसा है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है. प्रयागराज महाकुंभ के दौरान देश-दुनिया की नजर इस ओर बराबर बनी रहेगी. बड़ी तादाद में विदेशी श्रद्धालु और सैलानी भी मौजूद रहेंगे. यह एक बड़ा मौका होगा, जब हम अपनी गौरवशाली परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर की अद्भुत झलक सबके सामने पेश कर सकेंगे. ऐसे में सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी और संभालनी चाहिए.

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