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    LEGAL EXPLAINER: SC के फ़ैसले का नागरिकता, घुसपैठ, रोहिंग्या और CAA पर प्रभाव

    शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश से फिर पलायन शुरू हो गया है, इसलिए नागरिकता क़ानून में बदलाव पर मुहर वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के दूरगामी परिणाम होंगे. फ़ैसले से जुड़े 10 क़ानूनी पहलुओं को समझने की ज़रूरत है.

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    Legal Explainer: गिरफ़्तारी वॉरंट की आड़ में भी साइबर ठगी - डिजिटल अरेस्ट के 7 कानूनी पहलू

    साइबर ठगी का शिकार होने पर स्थानीय पुलिस को 112 पर सूचित करना चाहिए. हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर शिकायत के साथ वॉलेट और बैंक अकाउंट का पूरा विवरण दिए जाने पर ठगी गई रकम बैंक एकाउंट में फ्रीज़ कराई जा सकती है. उसके अलावा www.cybercrime.gov.in पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए.

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    LEGAL EXPLAINER: असम, हिमाचल और उत्तराखंड के नए क़ानून और UCC

    संविधान के अनुच्छेद-44 के तहत यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को पारित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया, लेकिन इससे जुड़े नियम अभी लागू नहीं हुए. मुस्लिम शादियों के रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी बनाने के लिए असम का नया क़ानून, लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से 21 करने के लिए हिमाचल प्रदेश का प्रस्तावित क़ानून, इन सभी क़ानूनों पर बहस से देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में सहमति का माहौल बढ़ेगा. इन मामलों से जुड़े 9 क़ानूनी पहलुओं को समझना ज़रूरी है...

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    कर्नाटक में निजी क्षेत्र में आरक्षण के 11 कानूनी और संवैधानिक पहलू

    रोजगार और गर्वनेंस बढ़ाने में विफल सरकारें क्षेत्र, जाति, भाषा और धर्म के आधार पर आरक्षण और रेवड़ियों के झुनझुने से वोट बैंक को लुभाने में मगन हैं. कर्नाटक का यह बिल युवाओं के भविष्य, रोजगार सृजन, आर्थिक प्रगति के साथ देश के संघीय ढांचे को प्रभावित करता है, इसलिए इससे जुड़े 11 कानूनी और संवैधानिक पहलुओं को समझना बेहद ज़रूरी है.

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    डिजिटल अर्थव्यवस्था का अराजक विस्तार और आर्थिक मंदी

    कई साल पहले दिल्ली में अनेक शॉपिंग मॉल तो बन गए, पर उनमें दुकानदारों और ग्राहकों की भारी कमी थी. मॉल के बिल्डरों की शक्तिशाली लॉबी ने राजनेताओं और जजों के बच्चों को अपना पार्टनर बना लिया. उसके बाद अदालती फैसले के नाम पर दिल्ली में सीलिंग का सिलसिला शुरू हो गया. तीर निशाने पर लगा और मॉल्स में दुकानदार और ग्राहक दोनों आ गए. अब वक्त बदल गया है. देश के असंगठित क्षेत्र और छोटे उद्योगों के सामने डिजिटल कंपनियों की पावरफुल लॉबी है.

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    जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली और कानूनी चुनौतियां

    संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान भी अल्पकालिक था, जिसे ख़त्म करने में 70 वर्ष लग गए, तो अब UT से पूर्ण राज्य का दर्ज़ा कब और कैसे मिलेगा...? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार शांति बहाली के बाद पूर्ण राज्य के दर्जे की वापसी हो सकती है, परंतु मणिशंकर अय्यर और वाइको जैसे नेता कश्मीर घाटी में फिलस्तीन जैसी अराजक स्थिति और अलगाव का अंदेशा जताने से बाज़ नहीं आ रहे. नए केंद्रशासित प्रदेशों का जन्म 31 अक्टूबर (सरदार पटेल की जयंती) को होगा, लेकिन उससे पहले नए कानून पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

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    आम्रपाली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला- बकाया घर खरीदारों को कैसे मिलेगा इंसाफ?

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से सभी बिल्डरों की जांच करने को कहा है, जिससे बकाया घर खरीदारों को घर और न्याय मिल सके. इस फैसले के सभी पहलुओं को देशभर में लागू करने में खासी मुश्किलें आ सकती हैं.

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    सरकारी कंप्यूटर सिस्टम और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर गृह मंत्रालय के नए प्रतिबन्ध

    इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अधिकारियों के लिए यह पहली ऐसी गाइडलाइन है, पर यह तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं है. आम बजट के पहले के.एन. गोविन्दाचार्य, रामबहादुर राय, पी.वी. राजगोपाल और बासवराज पाटिल ने अमित शाह को प्रतिवेदन देकर दिल्ली हाईकोर्ट के 2014 के आदेश के तहत बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन कराने की मांग की थी.

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    एक देश, एक चुनाव : ज़रूरी है सभी राज्यों की सहमति...

    पिछले 25 वर्ष से चुनाव आयोग, विधि आयोग, नीति आयोग और संसदीय समिति के प्रतिवेदनों पर इस बारे में बहस होने के बाद केंद्र सरकार ने अब नई समिति बनाने का निर्णय लिया है. आज़ादी के बाद के 72 साल के इतिहास में सही अर्थों में सिर्फ 1957 में ही 'एक देश, एक चुनाव' हो पाए थे, क्योंकि 1952 में हुए आम चुनाव के दौरान तो सभी चुनाव एक साथ होने ही थे.

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    सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारियां - सुप्रीम कोर्ट सख्त क्यों नहीं

    गिरफ्तार लोगों में से अधिकांश को निचली अदालतें जेल भेज देती हैं, क्योंकि सभी लोग तो सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकते. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद CJM कोर्ट ने 20,000 रुपये की दो ज़मानतों और बंधपत्र दाखिल करने पर पत्रकार प्रशांत कनौजिया को रिहा कर दिया. प्रियंका शर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आपत्तिजनक मीम बनाया, जिन्हें माफी की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई दी. दोनों ही मामलों में पुलिस की गलत FIR और बेजा गिरफ्तारी के बावजूद, निचली अदालतों ने रिमांड आदेश पारित कर दिया था. पुलिस और निचली अदालतों के इस गैर-ज़िम्मेदार सिस्टम पर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्ती नहीं बरतने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.

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    लोकसभा चुनाव 2019 : एग्ज़िट पोल पर चुनाव आयोग का विरोधाभासी रवैया

    पार्टियों के बड़े खर्चे, नेताओं की बद्जुबानी, पेड न्यूज़ और आचार संहिता के संगठित उल्लंघन को रोकने में विफल चुनाव आयोग द्वारा, राजनीतिक विश्लेषण को रोकने का अतिरेकी प्रयास, आयोग की प्रभुसत्ता को और भी अप्रासंगिक बना देगा.

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    चीफ जस्टिस को क्लीन चिट और सुप्रीम कोर्ट में दाग

    सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की आंतरिक समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीन चिट दे दी, जिसके बाद विवाद और गहरा गया है. जांच समिति के अनुसार चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं मिला है. आलोचकों के अनुसार न तो पीड़ित महिला का पूरा पक्ष सुना गया और न ही सभी पहलुओं की जांच की गई, तो फिर ठोस आधार कैसे मिलेंगे? जांच समिति द्वारा यदि व्हाट्सऐप कॉल के रिकॉर्ड ही मंगा लिए जाते तो पूरा मामला शीशे की तरह साफ हो जाता.

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    टिकटॉक पर बैन : संघीय व्यवस्था में केंद्र सरकार की नाकामी

    मद्रास हाईकोर्ट के दो जजों ने केंद्र सरकार को टिकटॉक ऐप पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्टे करने से इंकार कर दिया. इसके बावजूद टिकटॉक की वेबसाइट और ऐप पूरे भारत में अब भी उपलब्ध है. सवाल यह है कि हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद केंद्र सरकार आदेश पर अमल क्यों नहीं कर रही है.

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    जनता को छलने वाले चुनावी वादे - लोकपाल से समझें

    लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियों ने लुभावने वायदों की बारिश कर दी है. नेताओं के चुनावी वायदों के पीछे बदलाव की विस्तृत रूपरेखा नहीं होती है इसीलिए सरकार बदलने के बावजूद सिस्टम नहीं बदलता है. चुनावों के बाद इन वायदों का क्या हश्र होता है, इसे लोकपाल मामले से समझा जा सकता है.

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    गैर-कानूनी चुनावी रथ, रोड शो और बाइक रैलियां- सारे चौकीदार चुप क्यों

    भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत असीमित अधिकार मिले हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने चुनाव आयोग को 3 लीगल नोटिस देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके रोड-शो और बाइक रैली पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की.

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    जूताकांड : 'लो एंड ऑर्डर' का दौर, अज्ञात पर FIR!

    उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के कलेक्ट्रेट दफ्तर में सांसद और विधायक के बीच मारपीट के बाद उनके समर्थकों द्वारा तोडफोड़ भी की गई भाजपा हाईकमान ने इसे अनुशासनहीनता का मामला बताते हुए नेताओं को फटकार लगाई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. दूसरी ओर पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), धारा 427 (शरारती तत्व) और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के कानून के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके मामले में लीपापोती कर दी गई.

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    66-A पर सुप्रीम कोर्ट का यूटर्न और सरकार की विफलता

    भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-A के तहत सोशल मीडिया साइटों पर आपत्तिजनक और अश्लील सामग्री पोस्ट करने वाले के लिए तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान था. श्रेया सिंघल मामले में सन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66-A को गैर-संवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. पीयूसीएल नामक संगठन ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर बताया था कि निरस्त होने के बावजूद धारा 66-A के तहत देशभर में अनेक गिरफ्तारियां और मामले चल रहे हैं.

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    हमाम में नेता और थाने में CBI - क्या करे सुप्रीम कोर्ट...?

    पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार  और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच राजनैतिक टकराव के दौर में नए CBI चीफ की ताजपोशी एक अजब संयोग है. संवैधानिक संकट की दुहाई देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर ममता बनर्जी सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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    ऑक्सफैम और डेटा उपनिवेशवाद की चुनौती : बजट के लिए 10-सूत्री थीम

    मोदी सरकार के आखिरी बजट को अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल 1 फरवरी को पेश करेंगे. अंतरिम बजट में इन 10-सूत्रों की थीम को लागू करके गोयल, भारत को आर्थिक महाशक्ति और विश्वगुरु बनाने का स्थायी मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.

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    CBI और सुप्रीम कोर्ट के दंगल से संवैधानिक संकट...

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना आंदोलन में लोकपाल को हर मर्ज़ की दवा बताया गया. 'सुशासन' और 'अच्छे दिन' के नाम पर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली की सत्ता हासिल कर ली, पर लोकपाल का कोई अता-पता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस और उसके बाद CBI में आधी रात को तख्तापलट की घटना के बाद संस्थाओं में आंतरिक संघर्ष बढ़ता जा रहा है. इन घटनाओं से भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़े हो गए हैं.

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