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    उत्तराखंड का स्थापना दिवस : आज किन स्थितियों में है यह राज्य

    उत्तराखंड का आज 25वां स्थापना दिवस है और इस अवसर पर हमने राज्य की वर्तमान स्थिति जानने के लिए प्रदेश के भौगोलिक, सामाजिक, राजनीतिक घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखने वाले कुछ लोगों से बातचीत की.

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    US में 8 लाख लोगों की भाषा, केन्या के रेडियो में बजते हिंदुस्तानी गाने... दुनिया में यूं बड़ी हो रही हिंदी की 'बिंदी'

    अमेरिका में हिंदी ग्याहरवीं सबसे मशहूर विदेशी भाषा है. भारतीय भाषाओं में इसे अमेरिका में सबसे ज्यादा लगभग 8 लाख लोगों द्वारा बोला जाता है. हिंदी बोलने वाले भारतीयों में यहां अधिकतर विद्यार्थी, शिक्षक, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.

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    नवरात्रों की शुरुआत में आधुनिक नारी शक्ति की कहानी

    2006 में पिता की मृत्यु के बाद अनुपमा और उनके बड़े भाई- बहन ने अपनी दुकान पर कला से जुड़ा काम शुरु किया. अनुपमा के भाई कहते हैं कि मैंने अपनी बहन की शादी में पांच छह लाख रुपए खर्च किए थे पर कुछ ही समय बाद अनुपमा वहां से परेशान होकर घर वापस आ गई.

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    हरिद्वार में फ्लाईओवरों के नीचे एक समानांतर दुनिया

    आजकल कांवड़ियों और उनके मार्ग में पड़ रहे दुकानदारों पर सबका ध्यान है, लेकिन हरिद्वार के फ्लाईओवरों, पुलों के नीचे रह रहे बेघरों के साथ घाटों पर शिवभक्तों से जुड़े सामान बेचने वालों की किसी को सुध नहीं है.

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    अस्कोट- आराकोट यात्रा 2024 : घोड़ों की लीद और साड़ियों के बोझ तले घुट रहा यमुनोत्री का दम

    "मैंने घोड़ों को लीद करते देखा और उसको देख मुझे यह समझ नहीं आया कि इस गंदगी का सही निस्तारण कैसे किया जाता होगा, क्योंकि वहां उसके लिए कोई डस्टबिन या उसे अलग से इकट्ठा करने की जगह नही थी."

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    होली का ये भी रंग, संस्कृति को सहेजता नैनीताल

    कुमाऊं में होली के दो प्रचलित स्वरूप पर 'रंग डारि दियौ हो अलबेलिन में' नाम की किताब में विश्वम्भर नाथ साह 'सखा' लिखते हैं कुमाऊं में होली के दो प्रचलित स्वरूप हैं, एक ग्रामीण अंचल की होली, जिसे खड़ी होली कहते हैं. दूसरी नागर होली, जिसे शहरी क्षेत्रों में बैठ होली कहते हैं.

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    अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस में 'उन दिनों' की बात

    मेंस्ट्रुअल कप सेहत के लिहाज से सैनिटरी पैड के मुकाबले ज्यादा सेफ है. इसे कोई भी बहुत आसानी से इस्तेमाल कर सकता है. यह नेचुरल रबर या सिलिकॉन के बने होते हैं.

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    जीने की कला सिखाती 'यादगार-ए-ग़ालिब'

    किताब की भूमिका में ग़ालिब के मान सम्मान के बारे में लिखी पंक्ति 'जमाने के ये तमाम मान सम्मान जियादा से जियादा उस बुढ़िया के जैसी कोशिश थी, जो एक सूत लच्छी लेकर यूसुफ को खरीदने मिस्र के बाजार में आई थी...'

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    पहाड़ की आंखों देखी : खंडहर हो चुके मकान, बंजर खेत, नेपाली मजदूर

    उत्तराखंड के अधिकतर गांव अब कुछ दिनों के लिए होने वाली सामूहिक पूजा में ही आबाद होते हैं, सालों पहले पलायन कर गए लोग देवताओं को पूजने अपने गांव वापस आते हैं. पहाड़ में बीते यह कुछ दिन भी 'बाहर' से आए इन लोगों के लिए मुश्किल भरे होते हैं.

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    त्योहारी सीजन : ऑनलाइन बाजार गुलज़ार तो लोकल सुनसान, क्या है समाधान!

    लोकल दुकानदारों के लिए आगे चुनौती और भी मुश्किल होने वाली है क्योंकि भारत सरकार के अनुसार साल 2025 तक लगभग 87 प्रतिशत घरों में इंटरनेट कनेक्शन होगा.

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    रूढ़िवादिता, बेरोजगारी की दुश्वारी, पहाड़ तेरी यही कहानी

    दिल्ली, देहरादून से चुनाव प्रचार के लिए आने वाले इन गांवों के नीति निर्माता शायद ही कभी इन रास्तों पर उतरते हैं. आजादी के सालों बाद भी इन गांवों का जीवन आज भी कठिन है और शायद यही कारण है कि उत्तराखंड के पहाड़ खाली हो रहे हैं.

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    आम होकर भी खास फिल्म है 'ट्रायल पीरियड'

    फ़िल्म की कहानी तेज गति से आगे बढ़ती है, दर्शक शुरुआती दस मिनट में ही कहानी से जुड़ जाते हैं. इस कहानी में कोई रोमांचक मोड़ नहीं आता, अंत का अनुमान दर्शकों को पहले से ही रहता है.

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    स्वास्थ्य, सुरक्षा के लिए जूझते भारत में रहने वाले नेपाली श्रमिक

    भारत और नेपाल के बीच साल 1950 में भारत नेपाल शांति तथा मैत्री सन्धि हुई थी. जिसके अन्तर्गत दोनों देशों की सीमा एक-दूसरे के नागरिकों के लिए खुली रहेगी और उन्हें एक-दूसरे के देशों में बिना रोकटोक रहने और काम करने की अनुमति होगी.

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    NCERT के कोर्स बदलाव वाले दौर में जरूरी होता शिक्षा में इनोवेशन

    बच्चे अपने अनुभवों से स्वयं ज्ञान सृजन करते हैं और शिक्षा में नवाचार उन्हें इस बात में मदद करता है. किसी नाटक को करते हुए उन्हें दिशाओं का ज्ञान सिखाया जा सकता है, तो नाटक के जरिए उन्हें एक दूसरे के धर्म के बारे में भी समझाया जा सकता है.

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    पहाड़ी प्रदेश में जमती पढ़ने की संस्कृति, लगातार तीसरा किताब कौथिग

    पहाड़ी प्रदेश में पढ़ने की संस्कृति बढ़ रही, इसी का परिणाम है लगातार तीसरे किताब मेले का आयोजन होना. टनकपुर, बैजनाथ के बाद यह पुस्तक मेला 20 व 21 मई को चंपावत में आयोजित होगा.

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