दिल्ली, देहरादून से चुनाव प्रचार के लिए आने वाले इन गांवों के नीति निर्माता शायद ही कभी इन रास्तों पर उतरते हैं. आजादी के सालों बाद भी इन गांवों का जीवन आज भी कठिन है और शायद यही कारण है कि उत्तराखंड के पहाड़ खाली हो रहे हैं.
फ़िल्म की कहानी तेज गति से आगे बढ़ती है, दर्शक शुरुआती दस मिनट में ही कहानी से जुड़ जाते हैं. इस कहानी में कोई रोमांचक मोड़ नहीं आता, अंत का अनुमान दर्शकों को पहले से ही रहता है.
भारत और नेपाल के बीच साल 1950 में भारत नेपाल शांति तथा मैत्री सन्धि हुई थी. जिसके अन्तर्गत दोनों देशों की सीमा एक-दूसरे के नागरिकों के लिए खुली रहेगी और उन्हें एक-दूसरे के देशों में बिना रोकटोक रहने और काम करने की अनुमति होगी.
बच्चे अपने अनुभवों से स्वयं ज्ञान सृजन करते हैं और शिक्षा में नवाचार उन्हें इस बात में मदद करता है. किसी नाटक को करते हुए उन्हें दिशाओं का ज्ञान सिखाया जा सकता है, तो नाटक के जरिए उन्हें एक दूसरे के धर्म के बारे में भी समझाया जा सकता है.
पहाड़ी प्रदेश में पढ़ने की संस्कृति बढ़ रही, इसी का परिणाम है लगातार तीसरे किताब मेले का आयोजन होना. टनकपुर, बैजनाथ के बाद यह पुस्तक मेला 20 व 21 मई को चंपावत में आयोजित होगा.