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    इंदिरा ने दिया दान, सोनिया गांधी ने मांगा वापस... आखिर नेहरू की निजी चिट्ठियों पर बवाल क्यों?

    पूरा देश जानता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी से जुड़े दस्तावेज खुद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में दान कर दिया था. ऐसे में उस धरोहर को वापस मांग लेने पर कानूनी सवाल का उठना लाजमी है.

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    भारत में अमेरिका के 'डीप स्टेट' का खेल

    अमेरिकी डीप स्टेट ने एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनौतियां खड़ी की गईं, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ माहौल बनाया गया. भारतीय संसद में जिस मुद्दे पर कांग्रेस हंगामा और विरोध कर रही है, उसी मुद्दे पर तेलंगाना में अपना बचाव कर रही है. इससे साफ है कि अमेरिकी डीप स्टेट की जड़ें भारत में कहां-कहां तक फैली हुई हैं और उसका मकसद क्या है.

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    भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल से बदला वैश्विक ऑर्डर

    आवाज़ की गति 330 मीटर प्रति सेकंड होती है. भारत ने 16 नवंबर, 2024 को ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जिसकी रफ़्तार एक सेकंड में करीब 3.087 किलोमीटर है, यानि यह हाइपरसोनिक मिसाइल एक घंटे में करीब 11132.12 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है.

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    कभी दूसरों पर था निर्भर, आज डिफेंस सेक्टर में भारत ने कैसे कमाया दुनिया का भरोसा

    आज भारत जिस तेजी से विश्व बाजार में अपने उत्पादों को पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक समझौते और रिश्ते बना रहा है, ऐसा भारत की नीतियों में पहले कभी नहीं देखा गया था.

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    वामपंथी लाल आतंक के सफाए में क्यों लग गए 6 दशक

    संविधान और सत्ता के खिलाफ गोली और बारूद के आतंक के बल पर सत्ता स्थापित करने की सोच चीन के नेता माओ त्से तुंग की थी, जिन्होंने अक्टूबर 1949 में चीन में क्रांति के जरिए साम्यवादी सत्ता की स्थापना की थी.

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    भारत विरोध की दास्तान, पाकिस्तान में कोहराम, मालदीव को सदमा

    स्वतंत्रता के 75 साल बाद अब पाकिस्तान के लिए एक निर्णायक घड़ी आ गई है. उसे तय करना होगा कि वह आगे भी भारत विरोधी नीतियों पर चलकर ऐसी ही स्थिति में बना रहेगा या वर्तमान स्थिति से पूरी तरह निकलने के लिए भारत के साथ एक अच्छे पड़ोसी और मित्र जैसा व्यवहार करेगा.

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    आखिर क्यों वक्फ बोर्ड कानून पर मचा है घमासान

    देश में एक कहावत मशहूर है कि समाज में विवाद और झगड़े के पीछे जर, जोरू और जमीन ही तीन सबसे बड़े कारण होते हैं. इसलिए जब संसद की संयुक्त समिति में वक्फ बोर्ड के पास मौजूद संपत्तियों के रखरखाव को लेकर चर्चा हो रही है तो विवाद और हंगामा होना स्वाभाविक है, क्योंकि यहां बहस का मुद्दा ही जमीन है.

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    'एक राष्ट्र, एक चुनाव' : राजनीतिक अस्थिरता के अंत की शुरुआत

    प्रधानमंत्री ने देशवासियों से किए गए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के वादे को पूरा करने के लिए मज़बूती से कदम आगे बढ़ा दिया है. 5 अगस्त, 2019 को इस सरकार ने जिस तरह जम्मू एवं कश्मीर से एक ही झटके में आर्टिकल 370 को खत्म करने का काम किया था, उसे देखते हुए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का लागू होना असंभव नहीं दिखता है.

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    जम्मू एवं कश्मीर के चुनाव पर क्यों है दुनिया की नज़र...?

    भारत के संविधान के तहत जम्मू एवं कश्मीर में होने वाला यह पहला चुनाव इतिहास की हर उस गलती का अंत है, जिसने भारत के सिरमौर जम्मू एवं कश्मीर को सिरदर्द बना दिया था.

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    भारत की अदालतों को मिली औपनिवेशिक मानसिकता से आज़ादी

    पिछले एक दशक से देश ने एक नई अंगड़ाई ली है, और अपने आपको गुलामी के कालखंड के प्रतीकों और विचारों से मुक्त कर रहा है. इस दौर में 1500 ऐसे कानून खत्म हो चुके हैं, जो देश को सिर्फ़ गुलाम बनाए रखने की मानसिकता से बनाए गए थे.

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    रूस और यूक्रेन ही नहीं, अमेरिका को भी भारत पर ही विश्वास

    दुनिया के ग्लोबल साउथ देशों के साथ-साथ यूरोप और अमेरिका भी चाहते हैं कि युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो, लेकिन जिन शर्तों पर युद्ध खत्म होगा, उन शर्तों पर बातचीत के लिए राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को आमने-सामने बैठना बहुत ज़रूरी है. वहीं, रूस, यूक्रेन और अमेरिका अच्छी तरह समझ चुके हैं कि बातचीत के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठाने का काम इस समय दुनिया में सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ही कर सकता है.

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    अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र में बवाल के बीच बना रिकॉर्ड

    संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष की घेराबंदी में सरकार बैकफुट पर थी, लेकिन सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के काम करने के तरीके और जनहित से जुड़े मुद्दों पर फ़ोकस ने विपक्ष की इस घेराबंदी को कमज़ोर कर दिया. सरकार ने विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे हर मुद्दे पर लीपापोती करने की जगह उन मुद्दों पर सही और उचित कदम उठाया.

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    बांग्लादेश की स्थिरता भारत के लिए ज़रूरी क्यों...?

    बांग्लादेश की मौजूदा उथल-पुथल में भारत को हर कदम फूंक-फूंककर रखने की ज़रूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वही कर भी रहा है.

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    क्या RSS को रंगभेद का शिकार होना पड़ा...?

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के हिस्सा लेने पर पाबंदी लगाने का सरकारी आदेश 30 नवंबर, 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था. इसके बाद 25 जुलाई, 1970 को और 28 अक्टूबर, 1980 को इस प्रतिबंध को बढ़ाया गया. यह भी इंदिरा गांधी का ही निर्णय था.

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    तीसरे कार्यकाल के पहले बजट ने खोला रोज़गार का पिटारा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह 11वां बजट है, जिसने उपहार के रूप में बड़े पैमाने पर युवाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान करने का मार्ग खोल दिया है.

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    लोकतांत्रिक देशों में विचारधारा के नाम पर इतनी कड़वाहट क्यों...?

    आज दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश में दक्षिणपंथी पार्टियों की जड़ें समाज में मज़बूत हो रही हैं. विचारधाराओं की टकराहट मानव सभ्यता के विकास की स्वाभाविक नियति है, लेकिन हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि इस टकराहट को हिंसा और असहिष्णुता से बचाते हुए परिवक्व और बेहतर विचारधारा को पनपने का मौका दें.

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    PM मोदी की रणनीति में बुरी तरह घिरा चीन

    प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ पिछले पांच सालों में कोई भी शिखर सम्मेलन नहीं हो सका है, क्योंकि चीन ने सीमा पर विवाद पैदा कर भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने का लगातार प्रयास किया है.

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    चीन के 'सुपीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स' पर भारत का प्रहार

    PM नरेंद्र मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह के लिए श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, मॉरीशस, नेपाल, भूटान और सेशेल्स के राष्ट्राध्यक्षों को विधिवत निमंत्रण भेजा, लेकिन चीन और उसके परम मित्र पाकिस्तान को निमंत्रण न भेजकर साफ़ कर दिया कि भारत, चीन को उसी भाषा में जवाब देगा, जो भाषा चीन को अच्छी तरह समझ आती है.

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    जी-7 के विश्व मंच पर भारत का बढ़ता कद

    लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने का रिकॉर्ड बनाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली विदेश यात्रा थी और इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुए देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जिस गर्मजोशी से प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और सम्मान दिया, उससे साफ है कि विकसित देशों के सामने भारत के दम को स्वीकार करके आगे बढ़ने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है.

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    गठबंधन सरकार को PM नरेंद्र मोदी ने बड़े अवसर में बदला

    जब PM नरेंद्र मोदी ने NDA की पहली बैठक को संबोधित किया, तो उसमें भी साफ कहा कि सरकार चलाने के लिए भले ही बहुमत की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वमत ज़रूरी होता है.

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