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    वैश्विक ‘मोदी मॉडल’ के लिए क्या दिल्ली लॉन्च पैड बन पाएगी?

    इतिहास के पन्नों को खंगालिए तो एक बात साफ नजर आती है कि सफल व्यक्ति वही होता है कि जो महान चुनौतियों का सामना न केवल कुशलता के साथ करता है, बल्कि उसमें समाज के लिए एक अवसर भी ढूंढ निकालता है. मुख्यमंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री के सफर तक पीएम मोदी के जीवन में ऐसे अनगिनत उदाहरण देखने को मिलते हैं, जब उन्होंने आपदा को अवसर में बदलकर दिखाया है

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    मिडिल क्लास की नाराजगी अरविंद केजरीवाल को पड़ी भारी

    अरविंद केजरीवाल ने जिस कट्टर ईमानदार की छवि के साथ मिडिल क्लास को उत्साहित किया था, वह छवि भी शराब घोटाले में जेल जाने से पूरी तरह दागदार हो गई.

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    वडनगर में बना संग्रहालय क्यों है खास?

    वडनगर का यह आर्कियोलॉजिकल एक्सपीरिएंशियल म्यूजियम ढाई हजार सालों में बदलावों के सात दौरों को जीवंत कर रहा है. इनमें से हर दौर में वडनगर का बदलता हुआ चरित्र तो दिखता ही है, लेकिन इसमें हमारे संस्कारों की एक अटूट कड़ी भी दिखाई देती है.

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    'अमेरिका फर्स्ट' नीति में भारत के ‘इंडिया फर्स्ट’ की जीत

    20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के 15 दिनों के अंदर ही डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐतिहासिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इनमें सबसे बड़ा कदम अमेरिका के अंदर रह रहे अवैध प्रवासियों को सेना के विमानों के जरिए स्वदेश भेजना है.

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    मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला क्यों?

    75 सालों के इतिहास में ऐसे कई अवसर आए, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को खत्म करने का प्रयास किया गया. कई बार राजनीतिक दलों के नेताओं में एक अहंकार पैदा हुआ कि उनकी सोच, समझ और तार्किक क्षमता ‘हम, भारत के लोग’ के सामूहिक चिंतन से बेहतर है.

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    आखिर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने क्यों कहा कि उनका DNA भारतीय है?

    इतिहास के काल चक्र ने इंडोनेशिया की एक बड़ी आबादी का धर्म परिवर्तन तो करा दिया, लेकिन उनकी सोच, विचार और जीवन के प्रति नजरिया वैसा ही बना रहा, जैसा एक हिन्दू सोचता, समझता और जीता है. आज भी इंडोनेशिया में रामायण और महाभारत की कहानियों पर आधारित नाटकों का मंचन हर दिन होता है.

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    महाकुंभ क्यों पूरे विश्व को कर रहा आकर्षित

    प्रयागराज में 144 सालों के बाद यानि 12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ है. हर 12 साल में एक पूर्ण कुंभ प्रयागराज में आयोजित होता है.

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    दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की अग्निपरीक्षा

    आज दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस (AAP- Congress) के बीच जो महासमर चल रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण अरविंद केजरीवाल हैं. अरविंद केजरीवाल ने 2011 में कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार का आंदोलन खड़ा करके 2013 में दिल्ली की सत्ता पर कब्जा कर लिया.

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    इंदिरा ने दिया दान, सोनिया गांधी ने मांगा वापस... आखिर नेहरू की निजी चिट्ठियों पर बवाल क्यों?

    पूरा देश जानता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी से जुड़े दस्तावेज खुद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में दान कर दिया था. ऐसे में उस धरोहर को वापस मांग लेने पर कानूनी सवाल का उठना लाजमी है.

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    भारत में अमेरिका के 'डीप स्टेट' का खेल

    अमेरिकी डीप स्टेट ने एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनौतियां खड़ी की गईं, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ माहौल बनाया गया. भारतीय संसद में जिस मुद्दे पर कांग्रेस हंगामा और विरोध कर रही है, उसी मुद्दे पर तेलंगाना में अपना बचाव कर रही है. इससे साफ है कि अमेरिकी डीप स्टेट की जड़ें भारत में कहां-कहां तक फैली हुई हैं और उसका मकसद क्या है.

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    भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल से बदला वैश्विक ऑर्डर

    आवाज़ की गति 330 मीटर प्रति सेकंड होती है. भारत ने 16 नवंबर, 2024 को ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जिसकी रफ़्तार एक सेकंड में करीब 3.087 किलोमीटर है, यानि यह हाइपरसोनिक मिसाइल एक घंटे में करीब 11132.12 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है.

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    कभी दूसरों पर था निर्भर, आज डिफेंस सेक्टर में भारत ने कैसे कमाया दुनिया का भरोसा

    आज भारत जिस तेजी से विश्व बाजार में अपने उत्पादों को पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक समझौते और रिश्ते बना रहा है, ऐसा भारत की नीतियों में पहले कभी नहीं देखा गया था.

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    वामपंथी लाल आतंक के सफाए में क्यों लग गए 6 दशक

    संविधान और सत्ता के खिलाफ गोली और बारूद के आतंक के बल पर सत्ता स्थापित करने की सोच चीन के नेता माओ त्से तुंग की थी, जिन्होंने अक्टूबर 1949 में चीन में क्रांति के जरिए साम्यवादी सत्ता की स्थापना की थी.

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    भारत विरोध की दास्तान, पाकिस्तान में कोहराम, मालदीव को सदमा

    स्वतंत्रता के 75 साल बाद अब पाकिस्तान के लिए एक निर्णायक घड़ी आ गई है. उसे तय करना होगा कि वह आगे भी भारत विरोधी नीतियों पर चलकर ऐसी ही स्थिति में बना रहेगा या वर्तमान स्थिति से पूरी तरह निकलने के लिए भारत के साथ एक अच्छे पड़ोसी और मित्र जैसा व्यवहार करेगा.

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    आखिर क्यों वक्फ बोर्ड कानून पर मचा है घमासान

    देश में एक कहावत मशहूर है कि समाज में विवाद और झगड़े के पीछे जर, जोरू और जमीन ही तीन सबसे बड़े कारण होते हैं. इसलिए जब संसद की संयुक्त समिति में वक्फ बोर्ड के पास मौजूद संपत्तियों के रखरखाव को लेकर चर्चा हो रही है तो विवाद और हंगामा होना स्वाभाविक है, क्योंकि यहां बहस का मुद्दा ही जमीन है.

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    'एक राष्ट्र, एक चुनाव' : राजनीतिक अस्थिरता के अंत की शुरुआत

    प्रधानमंत्री ने देशवासियों से किए गए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के वादे को पूरा करने के लिए मज़बूती से कदम आगे बढ़ा दिया है. 5 अगस्त, 2019 को इस सरकार ने जिस तरह जम्मू एवं कश्मीर से एक ही झटके में आर्टिकल 370 को खत्म करने का काम किया था, उसे देखते हुए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का लागू होना असंभव नहीं दिखता है.

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    जम्मू एवं कश्मीर के चुनाव पर क्यों है दुनिया की नज़र...?

    भारत के संविधान के तहत जम्मू एवं कश्मीर में होने वाला यह पहला चुनाव इतिहास की हर उस गलती का अंत है, जिसने भारत के सिरमौर जम्मू एवं कश्मीर को सिरदर्द बना दिया था.

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    भारत की अदालतों को मिली औपनिवेशिक मानसिकता से आज़ादी

    पिछले एक दशक से देश ने एक नई अंगड़ाई ली है, और अपने आपको गुलामी के कालखंड के प्रतीकों और विचारों से मुक्त कर रहा है. इस दौर में 1500 ऐसे कानून खत्म हो चुके हैं, जो देश को सिर्फ़ गुलाम बनाए रखने की मानसिकता से बनाए गए थे.

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    रूस और यूक्रेन ही नहीं, अमेरिका को भी भारत पर ही विश्वास

    दुनिया के ग्लोबल साउथ देशों के साथ-साथ यूरोप और अमेरिका भी चाहते हैं कि युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो, लेकिन जिन शर्तों पर युद्ध खत्म होगा, उन शर्तों पर बातचीत के लिए राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को आमने-सामने बैठना बहुत ज़रूरी है. वहीं, रूस, यूक्रेन और अमेरिका अच्छी तरह समझ चुके हैं कि बातचीत के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठाने का काम इस समय दुनिया में सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ही कर सकता है.

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    अठारहवीं लोकसभा के पहले सत्र में बवाल के बीच बना रिकॉर्ड

    संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष की घेराबंदी में सरकार बैकफुट पर थी, लेकिन सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के काम करने के तरीके और जनहित से जुड़े मुद्दों पर फ़ोकस ने विपक्ष की इस घेराबंदी को कमज़ोर कर दिया. सरकार ने विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे हर मुद्दे पर लीपापोती करने की जगह उन मुद्दों पर सही और उचित कदम उठाया.

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