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This Article is From Dec 04, 2015

निधि का नोट : दिल्ली के विधायक आम आदमी से बन गए खासम खास

Written by Nidhi Kulpati, Edited by Rajeev Mishra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:59 pm IST
    • Published On दिसंबर 04, 2015 22:40 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:59 pm IST
आम आदमी से बन गए खासम खास। दिल्ली में हमारे विधायकों की तनख्वाह 400 फीसदी बढ़ गई है। 88,000 से सीधे 1,85,000 और साथ ही विधानसभा क्षेत्र के नाम पर 50,000रुपये। चार गुणा बढ़ गई है सैलरी कांग्रेस-बीजेपी का विकल्प बन कर आये विधायकों की। इससे ईमानदारी की राजनीति हो सकेगी।  

स्वच्छ साफ राजनीति के लिए बेसिक सैलरी 12,000 से बढ़कर 50,000 रुपये हो गई है। विधानसभा के दौरान रोजाना भत्ता 1,000 से बढ़कर 2,000 रुपये। हर साल 5,000 रुपये महीने की बढ़ोतरी। परिवहन भत्ता 6,000 से बढ़कर 30,000 रुपये। 7500 की बजाय 15000 का मासिक पेंशन। कुछ शायद ऐसा जो किसी राज्य में नहीं मिलता। 25 हजार रुपये हर महीने अपने क्षेत्र में ऑफिस किराए के लिए। एक लाख दफ्तर फर्नीचर के लिए। 60 हजार ऑफिस इक्विपमेन्ट के लिए। एक लाख पूरे टर्म में लैपटॉप, मोबाईल प्रिन्टर के लिए। लिस्ट कुछ और लम्बी है। लेकिन बता दे कि विधायकों को भ्रमण के लिए 50 हजार की जगह 3 लाख मिलेंगे। विधायक विदेश भी घूम सकेंगे।

गाड़ी खरीदने के लिए 4 लाख की बजाय 12 लाख का लोन। यानी सादी गाड़ी नहीं बल्की कुछ दर्जे वाली गाड़ी खरीदेंगे। शायद बेहतर दर्जे के लिए। ऑफिस स्टाफ के लिए 70 हजार रुपये भी लेंगे।

नहीं ली गई जनता की राय
आम आदमी पारटी ने इसके लिए दिल्ली की जनता की राय अवश्य ली होगी। प्रवक्ता दिलीप पान्डे का कहना है कि मोहल्ला सभाएं अभी तक बन नहीं पाईं थीं इसलिए लोगों की राय इस मसले पर नहीं ली गई। लेकिन विज्ञापन के जरिये ही पूछ लिया होगा दिल्ली की जनता से। या फिर जंतर मंतर पर एक सभा तो ज़रूर की होगी।

कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री से ज्यादा है होगी ये आमदनी। लेकिन हमारे देश में ऐसा क्यों है कि केरल में विधायकों की बेसिक सैलरी सिर्फ 1000 रुपये है। चुनाव क्षेत्र भत्ता केरल में सिर्फ 12000 और ऑफिस स्टाफ भत्ता 7500 रुपये। अब केरल के सांसद आम नजर आ रहे हैं। लेकिन वो आंकड़े भी हमारे सामने आते रहे हैं जब हमारे नेताओं की सम्पत्ति बेहिसाब बढ़ती है। पांच सालों में कई प्रतिशत।

बढ़ जाती है नेताओं की संपत्ति
एडीआर ने जब 16वीं लोकसभा में दोबारा जीत कर आए 168 में से 165 सांसदों की संम्पत्ति का जायजा लिया तो पाया कि औसतन इसमें 137 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इनमें विभिन्न दलों के नेता जो 2009 में चुनाव जीते थे तब 5.38 करोड़ के मालिक थे तो वो बढ़कर 12.78 करोड़ के हो गए।

बहरहाल भ्रष्टाचार हमारे समाज की हकीकत है, लेकिन राजनीति समाज सेवा से कब व्यवसाय में बदल गई पता नहीं चला। ईमानदारी से काम करने के लिए धनराशी की ज़रूरत है दिल्ली की सरकार कह रही है!

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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