NDTV Khabar

  • द्रविड़ ने नियुक्ति के बाद पूरा ज़ोर वर्कलोड मैनेजमेंट और खिलाड़ियों की ज़्यादा से ज़्यादा आज़माइश पर दिया. यह अच्छी बात रही, लेकिन इसके होने और स्तरीय / ज़्यादा विकल्पों के बावजूद भारतीय कोच विश्व कप में पहले मैच से लेकर शर्मनाक विदाई (इंग्लैंड के हाथों 10 विकेट से हार) तक 'समझौतावादी एकादश' के साथ खेले!
  • राजू श्रीवास्तव अपने आप में प्रोडक्ट रहे और ऐसा उत्पाद कई सालों की तपस्या से तैयार होता है. उनके साथ खासा समय गुज़ारने वाले एक साथी बताते हैं कि कैसे राजू ज़मीनी थे और छोटे शहरों की घटनाओं का बारीकी से आकलन करने के लिए कुंभ के मेले या बाकी जगहों पर चेहरा छिपाकर कई-कई घंटे घूमते रहा करते थे.
  • रिकॉर्डधारी दिग्गज कपिल देव और उनके दौर के बाद भारत के लिए कई मीडियम पेसर आए, लेकिन ये मध्यम तेज़ गति के गेंदबाज़ ही कहलाए और ये स्विंग और सीम पर ज़्यादा निर्भर रहे. इनकी नैसर्गिक ताकत तेज़ी नहीं थी. इनमें चेतन शर्मा, जवागल श्रीनाथ वगैरह रहे, लेकिन...
  • अब यहां से कोहली के लिए आगे की यात्रा आसान बिल्कुल भी नहीं होने जा रही. उनके लिए खेल में मन को "खुली आंखों" से रमाना आसान नहीं होगा. लेकिन अगर आज जहां कोहली खड़े हैं, उसके लिए वह खुद ही सबसे ज्यादा दोषी हैं!
  • बात चाहे मैदान के भीतर की हो या बाहर की, सौरव को हमेशा कदमों का इस्तेमाल करते हुए लंबे-लंबे छक्के लगाना प्रिय रहा है. उन्हें यह बहुत ही भाता है और वह इसका लुत्फ उठाते हैं. उन्हें कैमरे पर दिखना और मीडिया की सुर्खियों में बने रहना भी बहुत पसंद है
  • यूं तो वक्त भारतीय क्रिकेट में बहुत और कई बातों की मांग कर रहा है, लेकिन बात टी-20 के संदर्भ में ही है, तो यह सटीक समय है, जब आपको इस फॉर्मेट को सीरियस लेना होगा. BCCI कह सकता है कि वह गंभीरता से ले रहा है. वह IPL जैसी वैश्विक लीग करा रहा है, लेकिन यह गंभीरता दिख नहीं रही
  • हरलीन कौर को वर्तमान भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे सुंदर/मॉडल खिलाड़ियों में माना जाता है. सोशल मीडिया पर उनकी फैन फोलोइंग जबर्दस्त है,  लेकिन इस कैच से हरलीन ने मानो भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के पुरुषों को यह बताने की कोशिश की/बता दिया, "अब आप हमें देखने का नजरिया बदल लीजिए"!
  • यह सही है WTC Final से पहले भारत स्तरीय मैच प्रैक्टिस के अभाव में  उतरा था. अगर स्तरीय मैच प्रैक्टिस होती भी, तो क्या होता? अगर मान लीजिए कि कप्तान विराट की इच्छानुसार तीन फाइनल भी होते, तो क्या परिणाम होता? विश्वास कीजिए करीब 60-70 प्रतिशत परिणाम लगभग वैसा ही होता जो न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में हुआ. कारण यह है कि कौशल (स्किल्स) का जन्म रातों-रात नहीं होता.
  • क्या प्रदेश की जनता के करीब 11 प्रतिशत ब्राह्म्ण योगी से नाखुश हैं? आप जमीन पर किसी शर्मा, त्रिपाठी, मिश्रा, गौड, तिवारी से बात कीजिए, तो सब साफ हो जाएगा. ये तमाम लोग योगी के होने भर से ही गद्गद हैं. ब्राह्म्णों का बहुत बड़ा वर्ग योगी के लिबास और विचारों से सुकून पाता है. पिछले पांच सालों में प्रदेश के गांव-गांव और शहर-शहर योगी  की लोकप्रियता कई गुना बढ़ी है
  • इंग्लैड की पहली पारी में चार बल्लेबाज़ LBW और तीन बल्लेबाज़ बोल्ड हुए. दूसरी पारी में भी उसके चार बल्लेबाज़ LBW और तीन बल्लेबाज़ बोल्ड हुए. अगर पिच में अप्रत्याशित घुमाव, उछाल होता, तो उसके ज़्यादार बल्लेबाज़ों के कैच विकेटकीपर / नज़दीकी फील्डरों के हाथों में समाए होते. दूसरी पारी में कीपर पंत के दस्तानों में महज दो कैच आए. इनमें से भी एक नंबर 11 एंडरसन का था.
  • इस मामले पर कुछ 'धर्मयोद्धा' मन ही मन नाराज़ हैं, लेकिन आएदिन हर विषय पर राय रखने वाले इन 'धर्मयोद्धाओं' के होठ सिल गए हैं. दरअसल, ये बड़ा धर्म देख रहे हैं. ये धर्म की व्यापकता में भरोसा रखते हैं. यही वजह है कि इनके मुख से कोई आवाज़ नहीं आई, और जब मूर्ति का अनावरण हो रहा था, तो यही धर्मयोद्धा तालियां बजा रहे थे.
  • ओरिजनल सीरीज (Original Web/real series) की पहली और अनिवार्य शर्त यह है वह अपनी "आत्मा" अपने "मिजाज व चरित्र" (पटकथा, फिल्मांकन, डायलॉग, अभिनय, वगैरह-वगैरह) के लिहाज से "वास्तविकता" सामने लेकर आए!! पता नहीं मिर्जापुर (#Mirzapur Part-1) भाग-1 कितने प्रतिशत वास्तविक थी और कितनी काल्पनिक, लेकिन पहला भाग वास्तविकता के दर्शन कराने में कामयाब रहा था. पहले भाग में लेखक पूरी तरह महसूस कराने में यह असल ही है!! कई सीन (फिल्मांकन) गैंग्स ऑफ वासेपुर से "प्रेरित" थे, लेकिन यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं था!! वास्तव में जो स्तर सेक्रेड गेम्स ने स्थापित किया, उसे मिर्जापुर भाग-1 और आगे लेकर गया था. लोगों को भरपूर मजा आया, भारी सफलता मिली और नए मानक स्थापित हुए.
  • यह फिल्म भारतीय सिनेमा सहित कई लोगों मतलब यशराज बैनर और किंग खान के करियर का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुई! अमिताभ बच्चन के बाद भारतीय सिनेमार के सबसे बड़े सुपरस्टार शाहरुख खान का करियर 360 के कोण पर घूम गया! मंगलवार (20 अक्टूबर) को 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की रिलीज को पूरे 25 साल हो जाएंगे, लेकिन आज भी यह फिल्म किसी ताजे हवा के झोंके की तरह है.
  • यह 'माही मैनेजमेंट' का अपना नज़रिया था और वर्तमान में जीने के नज़रिये से माही सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते गए. ऐसा मैनेजमेंट, जिसे बाद में साल 2011 में बेंगलुरू के IFIM बिज़नेस स्कूल में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. इसे पाठ्यक्रम में धोनी की नेतृत्व क्षमता के बारे में एक अनिवार्य पेपर के रूप में शामिल किया गया
  • आखिर पुलिस विक्रम जोशी के मरने के बाद जागी नहीं, जगाई गई. और फिर वही पुराना रटा-रटाया लीपापोती का बहुत ही घटिया और बासी हो चुका फॉर्मूला, चौकी इंचार्ज, एसओ या सीओ का निलंबन, परिवार को कुछ आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी. लीपापोती का एक बेहतरीन तरीका. क्या इससे परिवार के नुकसान की भरपायी हो जाएगी? क्या इससे उन दस और छह साल की बेटियों के आगे से ताउम्र उनके पिता की हत्या की तस्वीरें मिट पाएंगी? क्या ये बेटियां इस घटना से उबर पाएंगी? पुलिस की क्या छवि बनेगी इन बेटियों की नजरों में?
  • 'मेथड एक्टिंग' में संजय दत्त बनना रणबीर कपूर के लिए एक बार को आसान है, लेकिन इरफान खान ने अपनी सहजता से पान सिंह तोमर को 'कूल डाकू' बना दिया! न सुनील दत्त की तरह माथे पर टीका और न "खून पी जाऊंगा", "आग लगाकर राख कर दूंगा" जैसी आक्रामकता, लेकिन इरफान खान ने पान सिंह तोमर को जनता के दिलों में बसने पर मजबूर कर दिया!
  • COA के सदस्यों विनोद राय और डायना एडुल्जी के आपसी मतभेद के कारण खुद सीओए और पूरा मामला और उपहास और चिंता के विषय में तब्दील हो गया है. कारण यह है कि इस जांच के 'ड्रामे' ने हार्दिक पंड्या और केएल राहुल के भविष्य को दांव पर लगा दिया है, जो पहले ही कहीं ‘ज्यादा सजा’ भुगत चुके हैं.
  • यह वह समय था, जब भाग्य शाहरुख से चार कदम आगे चल रहा था! जरा कल्पना कीजिए अगर शाहरुख की साइन की पहली फिल्म दिल आशना है पहले रिलीज हो जाती होती, तो क्या होता? यह करीब 1988 का समय था, जब हेमा मालिनी प्रोडक्शन हाउस से शाहरुख के पड़ोसी के घर फोन आया
  • इंग्लैंड के खिलाफ हालिया संपन्न पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के आखिरी टेस्ट की दूसरी पारी में केएल राहुल और ऋषभ पंत ने अपनी शतकीय पारियों से सीरीज की स्कोर लाइन 3-2 करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन आखिर में भारत को 4-1 से हार का कलंक वहन करने पर मजबूर होना पड़ा.
  • आखिरकार कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर पहली बार इतिहास में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार है. इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ 110 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है. सबकुछ योजनाबद्ध रहा है!! और इमरान की पार्टी को आसानी से किसी दूसरी पार्टी या निर्दलीय विजेता उम्मीदवारों से समर्थन मिल जाएगा.
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