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ब्लॉग राइटर
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प्राइम टाइम इंट्रो : क्या स्वच्छ भारत काम कर रहा है?
भीड़ ने हां कहा या ना कहा इसका कांग्रेसी विश्लेषण अलग है और भाजपाई विश्लेषण अलग। कांग्रेस को लगता है कि लोगों ने हां भी कहा और ना भी, बीजेपी को लगता है कि लोगों ने हां कहकर राहुल गांधी के मोदी विरोधी अभियान को पंचर कर दिया है।
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प्राइम टाइम इंट्रो : पाकिस्तान को लेकर इतना सन्नाटा क्यों है?
सब धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं तो क्या इसलिए कि सारी कवायद सिर्फ तस्वीर के लिए है। किसी बड़ी उम्मीद से पाकिस्तान से बातचीत की पहल क्यों नहीं की जाए। क्या सभी बेबी स्टेप का इंतज़ार कर रहे हैं।
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प्राइम टाइम इंट्रो : मानहानि का केस किया, जांच क्यों नहीं कराई?
मानहानि गणित में पढ़ाया जाने वाला लाभ हानि का चैप्टर नहीं है। मानहानि बड़े लोगों का मानवाधिकार है। लाभ हानि भी उन्हीं की होती है, मानहानि भी उन्हीं की होती है। महंगी न्यायिक व्यवस्था में ग़रीब की जानहानि हो सकती है, धन हानि हो सकती है मगर मानहानि नहीं होती।
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प्राइम टाइम इंट्रो : सारा जोर सजा पर, सुधार पर क्यों नहीं?
क्या सज़ा मिलने से इंसाफ़ मिल जाता है? सज़ा का मकसद क्या सिर्फ पीड़ित को इंसाफ़ दिलाना होता है या अपराधी के लिए भी कुछ मकसद होता है?
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रवीश कुमार की बॉन्ड को खास चिट्ठी : अगली फिल्म में तुम धोती-कुर्ते में आना...
जेम्स बॉन्ड को मुश्किल हो गई है। भारत के पर्दे में वो सारे काम तो कर सकता है मगर एक काम करने की उसे पूरी इजाज़त नहीं है। मुझे लगा कि बॉन्ड दुखी है इसलिए मैंने बॉन्ड को एक लेटर लिखा है। एक फिल्म आ रही है 'स्पेक्टर'।
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प्राइम टाइम इंट्रो : पेरिस आतंकी हमलों से उठे कई सवाल
कई दर्शकों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि फ्रांस पर हमले के बाद वहां की मीडिया का कवरेज देखिए। घटनास्थल की खून से सनी तस्वीरें नहीं दिखाई गईं। एक भी शव का वीडियो नहीं दिखा। न एंकर चिल्ला रहा था न रिपोर्टर उछल कूद कर रहा था।
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मैं बताता हूं बिहार के विधानसभा चुनाव में कौन जीतेगा - रवीश कुमार
आप क्या चाहते हैं, क्या होता दिख रहा है, देखने वाला कौन है और क्या होगा इन चार बातों की कसौटी पर किसी भी चुनावी भविष्यवाणी को परखा जाना चाहिए। बिहार की भविष्यवाणी को लेकर लोग दो खेमों में बंट गए हैं।
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चुनाव से पहले अपने आप से हारता बिहार : रवीश कुमार
बिहार अपने आप से हारता जा रहा है। चुनाव में दो में से कोई एक गठबंधन तो जीत जाएगा लेकिन इस चुनाव में बिहार की हार तय होने जा रही है। इतना उद्देश्यहीन और हल्का चुनाव कभी नहीं देखा। हर तरफ़ अनैतिक गठबंधन हैं।
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ये वो बहस तो नहीं जिसका इंतज़ार था...!
लोकसभा की बहस का नतीजा वही निकला जो दो महीने से सदन के बाहर हो रही बहसों से निकल रहा था। यही कि अब राजनीति में आदर्श और नैतिकता को हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए। छोड़ तो दिया ही गया है लेकिन सवालों और जवाबदेही के स्तर पर भी इसकी विदाई हो जानी चाहिए।
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रवीश कुमार : क्या ऑनलाइन गुंडागर्दी से तय होगी देशभक्ति...?
वे लोग कौन हैं, जो किसी के बारे में देशद्रोही होने की अफवाह फैला देते हैं। ऐसा करते हुए वे कौन सी अदालत, कानून और देश का सम्मान कर रहे होते हैं। क्या अफवाह फैलाना भी देशभक्ति है।