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    धर्मेंद्र को जीते-जी मार डाला! शर्म मीडिया को मगर नहीं आती

    धर्मेंद्र पर लौटें. यह सच है कि वे अरसे से बीमार हैं. बीच-बीच में अस्पताल भी जाते रहे हैं. लेकिन यह भी सच है कि इस उम्र में वे फिल्में भी करते रहे हैं. इस साल दिसंबर में भी उनकी एक फिल्म आने वाली है.

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    उत्तराखंड@25: विकास मॉडल पर गहरी समीक्षा की मांग

    सनवाल ने कहा कि जौनसार, कुमाऊं और गढ़वाल की अलग सामाजिक-सांस्कृतिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियाँ तैयार करनी होंगी और छोटे-बड़े किसानों के लिए अलग नीतियां बनानी चाहिए ताकि वे अपने उत्पाद बड़े बाजार तक पहुँचा सकें. मौजूदा विकास मॉडल पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है.

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    बिहार चुनाव का असाइनमेंट, ट्रैफिक जाम और रिपोर्टिंग

    चुनाव के दूसरे चरण के लिए प्रचार में तीन दिन ही बचे हैं और नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. प्रचार करने के लिए नेता भी हाइवे के आसपास की जगह ही चुनते हैं, जिसकी वजह से इन दिनों सड़कों पर जाम आम बात है.

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    जीवन से हार न मानने की कहानी : रस्किन बॉन्ड की ‘अपनी धुन में’

    'द रूम ऑन द रूफ', 'द ब्लू अम्ब्रेला' जैसी लोकप्रिय किताबें लिखने वाले मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड की आत्मकथा 'लोन फॉक्स डांसिंग' का हिंदी अनुवाद 'अपनी धुन में' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होकर आया है. इसके अनुवादक प्रभात सिंह पत्रकार हैं.

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    मछुआरा महिलाओं की भागीदारी क्यों नहीं?

    भारत का महिला आंदोलन आज तक लगभग 70 प्रतिशत मांसाहारी, मछली खाने वाली और उत्पादन-आधारित महिलाओं के अधिकारों की उपेक्षा करता आया है.

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    राजनीति में क्यों फल-फूल रहे हैं अपराधी

    राजनीति में अपराधियों की बढ़ती पैठ को यह पता ही नहीं चलता है कि राजनीति का अपराधीकारण हुआ है या अपराधियों का राजनीतिकरण. क्या है यह राजनीति और अपराधियों का समीकरण. इसका समाधान क्या हो सकता है, बता रहे हैं राजनीति विज्ञानी डॉक्टर नीरज कुमार.

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    बिहार विधानसभा चुनाव 2025: स्थिरता और परिवर्तन की संभावना के बीच है लड़ाई

    बिहार के चुनाव हमेशा राष्ट्रीय राजनीति को दिशा देते रहे हैं. इस बार भी देश की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यही फैसला आने वाले सालों की राजनीतिक रूपरेखा तय करेगा. किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है बिहार का चुनाव बता रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञानी डॉक्टर संतोष झा.

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    आधी रात को जब दुनिया सो रही थी, हिंदुस्तान की लड़कियां जश्न मना रही थीं

    ये नई लड़कियां अपनी ही नहीं, नए हिंदुस्तान की कहानी भी लिख रही हैं. वे बदल रही हैं और लड़कों को बदलने को मजबूर कर रही हैं. ऐसा नहीं कि ये उपलब्धियां किसी शून्य से अचानक आ गई हैं. अलग-अलग खेलों में ये लड़कियां कमाल कर रही हैं.

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    वे 8 बिंदु जो मुंबई पुलिस के हाथों रोहित आर्या के एनकाउंटर को जायज ठहराते हैं

    कई लोग तर्क दे रहे हैं कि आर्या के पास सामान्य पिस्तौल के बजाय महज एयर गन थी जिसका इस्तेमाल वो सिर्फ डराने के लिये कर रहा था. पहली बात ये कि उसके पास एयर गन थी, खिलौने वाली गन थी, पिस्तौल थी या रिवॉल्वर था, ये उसके पकडे जाने के बाद ही पता चल पाता.

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    मॉरिशस में भारत से गए गिरमिटिया बन गए गवर्नमेंट

    'एटलस' नाम का जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर दो नवंबर 1834 को मॉरीशस पहुंचा था. इन लोगों में ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश के थे. भारत से मजदूरी करने मॉरीशस गए इन लोगों को गिरमिटिया कहा जाता है.

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    दम मारो दम! गॉडफादर टु ब्राजील, ड्रग्स की काली-अंधेरी दुनिया की कहानी

    ड्रग्स का संसार बड़ा होता जा रहा है. ब्राजील के रियो में ड्रग्स कार्टेल पर कार्रवाई तो बस एक इशारा भर है. नशे के इस कारोबार की कहानी...

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    लोकतंत्र का भ्रम: 'जनता का शासन' बनाम 'जनता पर शासन' 

    चुनाव के बाजार में राजनीतिक दल उत्पाद बेचने वाली कंपनियों की तरह हैं और मतदाता ग्राहक की भूमिका में हैं. यहां हर राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र, विज्ञापन और जनसंपर्क अभियान के जरिए खुद को 'बेहतर ब्रांड' के रूप में पेश करती नजर आती है.

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    किस बात का नशा? हम एक बीमार समाज तो नहीं बना रहे हैं?

    भारत में भी ड्रग्स का यह संसार और कारोबार बड़ा होता जा रहा है- इसके प्रमाण बहुत सारे हैं. पंजाब में तो इसने एक महामारी जैसा रूप ले लिया था. बीच-बीच में तमाम विश्वविद्यालयों के आसपास ड्रग्स के धंधे की चिंताजनक ख़बरें आती रही हैं.

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    गहरा है पहाड़ों पर विनाश और समाज की अनदेखी का संबंध

    भट्ट की अगली रिपोर्ट ताला गांव (रुद्रप्रयाग जिला) से थी. यहां धंसाव के चलते अब तक 80 परिवारों को विस्थापित किया जा चुका है.

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    अथ श्री जननायक कथा: गांधी इसलिए जननायक नहीं, महात्मा कहलाए

    बिहार में पिछड़ी राजनीति कर्पूरी ठाकुर को जननायक मानती रही. अब तो सब मानने लगे हैं, लेकिन एक दौर में उनकी पिछड़ी जाति को लेकर मज़ाक उड़ाया जाता रहा, तुकबंदियां की जाती रहीं.

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    क्या चुनाव में मुद्दा हैं 'वेटिंलेटर' पर बैठी बिहार की स्वास्थ्य सुविधाएं?

    कैसी हैं बिहार में स्वास्थ्य सुविधाएं और क्या कहते हैं आकड़े और कैसा है सरकारों का रवैया बता रहे हैं राजनीति विज्ञानी डाक्टर नीरज कुमार.

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    जातिवाद ज्यादा खतरनाक है या सांप्रदायिकता?

    नीतीश ने भी लालू यादव के मंडल की काट में जो राजनीति विकसित की, वह जातिगत अस्मिताओं को मज़बूत करने वाली ही थी. उन्होंने बस यह किया कि मंडल के कुछ और टुकड़े कर डाले. पिछड़ों में अतिपिछड़े और दलितों में महादलित खोज निकाले. मुसलमानों में भी अशरफ़ और पसमांदा मुसलमान का फ़र्क किया गया.

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    ज्ञान का नौ-मंजिला महल और एक क्रूर ख़िलजी: क्या है नालंदा के उत्थान और पतन की पूरी कहानी

    नालंदा दुनिया का पहला ज्ञात आवासीय विश्वविद्यालय था, जहां गुरु और शिष्य एक ही परिसर में रहते थे. इसकी अहमियत बस इतनी समझिए कि जब यूरोप की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी, जैसे इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ बोलोग्ना (1088 ई.) और पेरिस यूनिवर्सिटी (1150 ई.) की नींव रखी जा रही थी.

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    आस्था, संयम और पर्यावरण चेतना का पर्व है छठ

    आज ग्लोबल हो चुके महापर्व छठ के सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक पहलुओं का विश्लेषण कर रही हैं दिल्ली विश्वविद्यालय की डाक्टर मेधा.

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    छठ और चुनाव, बिहार में एक साथ दो उत्सव

    बिहार-यूपी के गांवों से निकलकर आज अपनी वैश्विक पहचान बना चुके छठ पर्व की भावना और बिहार विधानसभा चुनाव पर रंधीर कुमार गौतम और केयूर पाठक की टिप्पणी.

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