विज्ञापन
  • img

    'मैरी नहीं हारी, मैरी हारा नहीं करतीं...' - सपना नहीं टूटा, इसने नई पीढ़ी के लिए बीज बोए हैं...

    रिंग के अंदर या बाहर तिरंगे में लिपटी मैरी कॉम की आंखों के आंसू सब कह गए. मुकाबला हार कर, उसके नतीजे से सहमत न होते हुए भी, जब मैरी ने अपनी प्रतिद्वंदी को गले लगाया, तो मानों खुद उस कोलंबियाई बॉक्सर ने अंदर से कहा होगा, असली विजेता तो तुम ही हो मैरी... असली विजेता तो तुम ही हो...

  • img

    विश्‍व पुस्‍तक दिवस पर विशेष: जब कभी मुझसे म‍िलना हो, मेरी क‍िताबों को पढ़ लेना..

    मुझे याद रहता है कि किताब में कब और क‍िस लाइन को मैंने दो बार, तीन बार या चार बार पढ़ा था... कब क‍िसी आसान-सी बात को समझने के लि‍ए उसे (किताब को) बार-बार टोक-टोककर परेशान क‍िया था, कब मैंने दांतों तले अंगुली दबाई, कब मैं उसके साथ रोई और कब मुस्कुराई थी... और हां, कब मैंने उसे गुस्से में खुद से दूर झटका था और कब सीने से लगाकर रात का सबसे चमकीला तारा उसमें बुकमार्क बनाकर रखा था...

  • img

    पुलवामा हमला : मरने से पहले आतंकवादि‍यों का सबसे बड़ा डर बता गया आदिल अहमद डार...

    खबरों के अनुसार सीआरपीएफ काफिले पर हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आदिल अहमद डार ने इस हमले से ठीक पहले अपना एक वीडि‍यो मैसेज बनाया था. जि‍से उसने अपने साथि‍यों के लि‍ए बनाया था.

  • img

    कर्नाटक पर महाभारत: 'ये किसे वोट दे दिया!' यह सोचकर शर्मिंदा तो नहीं न आप...

    वो कहते हैं न जिसकी लाठी उसकी भैंस. अरे, न न ये मैंने क्या कह दिया! ये तो लोकतंत्र है... मुझे कहना चाहिए जिसका बहुमत उसकी 'भैंस', मेरा मतलब सत्ता... ये तो हम बरसों से सुनते आ रहे हैं कि 'लोकतंत्र लोगों के लिए, लोगों के द्वारा और लोगों का है.' तो फिर ये बहुमत क्या है... क्या कहा, बहुमत लोकतंत्र का प्राणतत्व यानी जान है? तो मतलब यह हुआ कि लोकतंत्र को समझने के लिए बहुमत का गणित समझना जरूरी है...

  • img

    हम सजा के बारे में बहस करते हैं, सुधार पर कोई चर्चा नहीं होती...

    उन्नाव और उसके बाद कठुआ के मामलों ने लोगों के भीतर रेप के लिए दबे गुस्से को चरम पर पहुंचा दिया. इस मामले के बाद नाबालिग से रेप के दोषी को फांसी की सजा की मांग ने जोर पकड़ लिया. इससे जुड़ी कई बहसें शुरू हो गईं. मैंने खबरें पढ़ीं, कई विश्लेषण भी देखे, कई बहसों का भी दर्शक के तौर पर हिस्सा रही.

  • img

    रोज जन्म लेती है निर्भया और तिल-तिल, पल-पल मरती है उसकी अस्मिता...

    तेरह साल की बच्ची घेरे वाली फ्रॉक जिद करके ले आई थी और पूरे दो दिन तक उसे पहन कर गांवभर में घूम रही थी. एक-एक राहगीर को दिखा रही थी- 'देखो चाचा मेरी नई फ्रॉक', 'देखो काकी, देखो न...' हर कोई उसकी इस नादानी पर हंस देता और उसे पुचकार कर आगे निकल जाता.

  • img

    दिल्ली, तूने सबको 'अपना घर' दिया, लेकिन हमने तुझे 'अनाथ' कर दिया

    बचपन से दिल्ली में रहती हूं. पर लोग जब पूछते हैं कि कहां से बिलॉन्ग करती हो, तो जवाब होता है हरियाणा. दादा-परदादा, खेल-खलिहाल और सबसे अहम दो महीने की छुट्ट‍ियां सब वहीं पर हैं, वैसे के वैसे, जैसे पापा कभी छोड़ आए थे. उनते ही सादे और अपने...

  • img

    ध्यान दीजिए – शिक्षा प्रणाली आपको शिक्ष‍ित बना रही है, वयस्क नहीं...

    कहते हैं सिनेमा वही दिखाता है, जो समाज में हो रहा होता है. मतलब सिनेमा हमें आईना दिखाता है... शायद ठीक एक सेल्फी की तरह, जिसमें हम खुद को देखते हैं. तो इस लिहाज़ से इसे खूबसूरत या मनमाफिक बनाने के लिए लगाए जाने वाले फिल्टर हुए सेंसर बोर्ड.

  • img

    श्रीदेवी, तुम उसे अकेला छोड़ गई, जिसने तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा...

    सुनो श्री, वो उस समय महज पांच साल की थी जब 'सदमा' दूरदर्शन पर दिखाई गई. काले-सफेद चलचित्रों में तुम्हारी नादानियों पर हंस रही थी, तुम्हारी तरह ही अपनी चोटी से खेल रही थी, जब तुम रोती तो रुआंसी होती, उन गुंडों को देखकर उसने भी अपनी भौंहें सिकोड़ कर मुट्ठी और दांत भींच लिए थे...

  • img

    दिमाग से अस्वस्थ कौन था, मधु या उसे पीट-पीट कर मारने वाले...

    केरल में हाल ही में एक दर्दनाक घटना हुई. इसमें महज 27 साल के दिमागी रूप से अस्वस्थ आदि‍वासी मधु को केरल के तथाकथि‍त श‍िक्ष‍ित लोगों की भीड़ ने उसके हाथ बांधे, फिर उसके साथ सेल्फी ली, वीडियो बनाएं और जब यह सब करके उनका मन भर गया तो बेरहमी से पीट-पीटकर उसे अधमरा कर छोड़ दिया. आपने बिलकुल सही पढ़ा. वह दिमागी रूप से ठीक नहीं था और महज 27 साल का था.

  • img

    दर्द एक पुलिसवाले का, जब उसने पूछा- तो क्या हम चौकीदार बन जाएं...

    मेरे घर परसों चोरी हुई. यह हमारे घर में बीते कुछ महीनों में तीसरी चोरी रही. हैरानी वाली बात यह कि हर बार एक ही समय पर (सुबह के आठ से नौ बजे के बीच), एक ही मुहल्ले में, एक ही समूह ने, एक ही घर में, एक ही चीज को तीन बार चुराया. और वह चीज थी पानी का मीटर और मोटर. पहली चोरी के बाद सुरक्षा के जुगाड़ किए गए. मजेदार ये रहा कि इन त्वरित जुगाड़ों के बावजूद दो दिन बाद ही फिर से चोरी हुई और करीब करीब छह महीने के अंदर ही एक बार फिर यानी परसों चोरी हुई. किसी तरह इस बार चोरों की शिनाख्त संभव हो सकी.

  • img

    ब्लॉग : क्या सचमुच हमारे समाज में बहू 'अनाथ' है...

    ऐसा लग रहा था कि मालती का मुंह, मुंह नहीं एक कोयले से चलने वाला रेल का इंजन है, जो गर्मी से जल रहा है, जिसमें से शब्द नहीं दमा कर देने वाला और दमघोंटू काला धुआं निकल रहा है. इसी वजह से शायद मुझे वहां बैठने और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी...

  • img

    #बराबरी : बेटियों को इतना बड़ा भी न बनाएं कि बेटे बौने पड़ जाएं...

    आज आपसे एक अनुभव साझा करना चाहती हूं. मेरे पड़ोस में एक मिश्रा जी रहते हैं. उनके एक बेटा और दो बेटियां हैं. बेटे की शिक्षा प्राइवेट स्कूल में कराई गई और बेटियों की सरकारी में. बेटे को रात को 8 बजे तक घर से बाहर रहने की आजादी है और बेटियों के स्कूल से सीधे घर में कैद होने का विकल्प... फिर भी वो ये कहते नहीं थकते कि ‘बेटे तो कीड़े हैं, जिंदगी भर खून पीएंगे. पार तो बेटियों ने ही लगाना है’.

  • img

    क्या कपड़े उतारने से ही 'बोल्ड और ब्यूटीफुल' होंगी लड़कियां...?

    मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि अगर जागरूकता फैलानी है, तो महिलाओं से कहीं अधिक पुरुषों को जागरूक करने की ज़रूरत है. भटकने से बचते हुए हमें यह सोचना होगा कि हम महिलाओं को किस दिशा में जागरूक बनाएं. वास्तव में हमारे देश और समाज की महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए किस तरह के संदेशों की ज़रूरत है...

  • img

    गौ-रक्षा तो हो जाएगी, लेकिन हमारी रक्षा कौन करेगा...

    राजस्थान में जान गंवाने वाले पहलू खान, दादरी में पीट-पीट कर मौत के घाट उतारे गए अखलाक और भी कई नाम... मुझे उन सभी परिवारों से सहानुभूति है, जो इस तरह की घटनाओं के शिकार बने. और साथ ही मुझे उन लोगों से भी सहानुभूति है, जो ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. वो लोग शायद मानवता के नहीं किसी और ही शक्ति के वश में होकर इस तरह के कृत्य करते हैं.

  • img

    निर्भया, हम ज़ॉम्बी बन गए हैं, भूख के सिवाय कुछ याद नहीं रहता...

    निर्भया आज से नहीं, सालों से चुप है... यह सिर्फ 16 दिसंबर को चलती बस में हैवानियत का शिकार होने वाली निर्भया की कहानी नहीं, क्योंकि हमारी दुनिया में हर औरत एक निर्भया को ही जीती है... अपने जीवन में वह हर दिन निर्भया के ही डर को महसूस करती है...

  • img

    मां, तुम शादी कर लो, नहीं तो फिर लिव इन में ही रह लो...!

    इस दिवाली मन में कुछ अखर रहा है. एक खालीपन, मन का एक कोना जहां एक सवाल और उसका जवाब आपस में गुथे बैठे हैं. कभी सवाल खुद को जवाब से ऊपर मानता है, तो कभी जवाब सवाल को अर्थहीन...

  • img

    एक ऐसा दोस्‍त बनाएं, जिससे आप कभी मिल ही न पाए...

    आप शायद हैरान होंगे कि ऐसा कौन है भला, जो मुझे जानता तक नहीं फिर भी वह मेरे लिए इतना कुछ करेगा. दरअसल, आज मैंने एक छोटा लेकिन बड़ा कदम उठाया अपने उस दोस्‍त की ओर...

  • img

    'कबाली' के लिए ऐसा क्रेज ठीक है, पर इस क्रेज की जरूरत कहीं और है...

    कबाली, कबाली, कबाली... चारों ओर यही शोर है। पहली बार सुबह 3 बजे एक फिल्‍म रिलीज हुई है। वजह है कि सब जानते हैं इस फिल्‍म को देखने के लिए बहुत लोग लाइन में हैं... लोग पंजों के बल खड़े होकर टिकट खिड़की पर लगी लाइन को अपनी आंखों के इंचिटेप से बार-बार माप रहे हैं... शायद जमीन पर इतनी भी जगह न थी कि लोग पैर पूरे टिका पाते।

  • img

    कंदील बलोच जानती थी उसकी हत्‍या होगी...

    'ऑनर किलिंग' यह शब्‍द यकीनन आपने इससे पहले भी पढ़ा होगा। इस शब्‍द का अर्थ माना जाता है सम्‍मान या शान के लिए की गई हत्‍या। पर अगर आप इस शब्‍द का असली अर्थ निकालना चाहते हैं तो इसका 'मिरर रिव्‍यू' करें... कहने का मतलब है कि शब्‍दों को पलट दें और इसे पढ़ें- किलिंग ऑनर...

अन्य लेखक
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;