विज्ञापन
This Article is From Mar 06, 2018

ध्यान दीजिए – शिक्षा प्रणाली आपको शिक्ष‍ित बना रही है, वयस्क नहीं...

Anita Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 06, 2018 11:39 am IST
    • Published On मार्च 06, 2018 11:17 am IST
    • Last Updated On मार्च 06, 2018 11:39 am IST
कहते हैं सिनेमा वही दिखाता है, जो समाज में हो रहा होता है. मतलब सिनेमा हमें आईना दिखाता है... शायद ठीक एक सेल्फी की तरह, जिसमें हम खुद को देखते हैं. तो इस लिहाज़ से इसे खूबसूरत या मनमाफिक बनाने के लिए लगाए जाने वाले फिल्टर हुए सेंसर बोर्ड. जैसे कई बार हम गैर-ज़रूरी और बेमतलब के फिल्टर लगाकर तस्वीर को बेतुका और न हज़म होने वाला बना देते हैं, ठीक वैसे ही सेंसर बोर्ड है. कभी-कभी वह अपनी 'तर्कसम्पन्नता' के चलते बेतुके कट लगा देता है, जिन्हें देखकर समझ नहीं आता कि उन पर हंसा जाए या दुःख ज़ाहिर किया जाए.

ऐसा ही कुछ दिखा बड़े पर्दे पर दिख रही फिल्म 'सोनू के टीटू की स्वीटी' में. हाल ही में मैंने यह फिल्म देखी. मनोरंजन और हंसी-ठ‍िठोली के मकसद से बनी इस फिल्म में एकाध गालियों का जमकर इस्तेमाल किया गया है. लेकिन सेंसर द्वारा यू/ए सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद ही शायद गालियों व कुछ और शब्दों को 'बीप' कर दिया गया. फिल्म के शुरुआती सीन में ही एक के बाद एक तीन बार 'बीप' लगाए गए. लखनऊ की एक बहुप्रचलित गाली को यहां चुप कराया गया था.

चलिए, एक पल को मुझे लगा कि यू/ए सर्टिफिकेट है, बारह साल से कम उम्र के बच्चों को गालियां नहीं दिखाई जानी च‍ाहिए. मन ने इस बात के लिए तुका-बेतुका सा तर्क तलाश लिया. कुछ देर बाद फिल्म में सोनू का किरदार न‍िभा रहे एक्टर ने कहा - 'सेक्स के लिए कौन शादी करता है...' सेक्स को सेंसर नहीं किया गया, यह देखकर काफी राहत महसूस हुई. लेकिन यह राहत कुछ ही देर बाद बेचैनी में बदल गई, जब दादाजी का किरदार न‍िभा रहे आलोक नाथ के डायलॉग में एक शब्द की जगह फिर 'बीप' सुना. बार-बार की बीप पहले ही मज़ा खराब कर चुकी थी, लेकिन इस बार 'बीप' के पीछे की साउंड मैं पकड़ नहीं पाई. फट से पति से पूछा - 'क्या बोला इसने...?' उनका जवाब था - 'कॉन्डोम'.

सेंसर की बदौलत डायलॉग से तो कॉन्डोम को उतार दिया गया, लेकिन मेरी भौंहें चढ़ गईं. लगा क्या 'बीप-पना’ है यह. बार-बार सेक्स तो फिल्म में जमकर बोला जा रहा है, लेकिन सेफ सेक्स के लिए कॉन्डोम की जानकारी का प्रचार कतई न होने पाए...

भई, यह तो कब्ज़ करने वाली बात साबित हुई. पेट में कुलबुलाहट शुरू हो गई और दिमाग से गर्म भाप उठने लगी. लगा, अंदर कहीं गर्म कड़वी काली चाय बनने लगी है... सोचें तो यह क्या तर्क लगाया गया है इसके पीछे. मुझे कॉन्डोम को सेंसर करने का मकसद समझ नहीं आया. आपको आया हो तो बताइएगा ज़रूर. हो सकता है, इसे बच्चों को ध्यान में रखकर सेंसर किया गया हो कि अगर बच्चे पूछ बैठे कि कॉन्डोम क्या होता है, तो क्या जवाब दिया जाएगा, इसलिए इसे तो सेंसर कर ही दो. लेकिन यह बात सेक्स शब्द को अनसेंसर छोड़ते हुए नहीं सोची गई क्या... लगता है, सेंसर भैया भूल गए कि सेक्स की जानकारी से कहीं ज्यादा ज़रूरी है सेफ सेक्स के बारे में बताना. गलत और आधी-अधूरी जानकारी ने तो पहले ही देश में सारा मामला बिगाड़ा हुआ है. और सेंसर भैया की यह समझदारी तो है ही अपरम्पार, अगाध और अनंत...

ज़रा सोच‍िए, पहले से यौन श‍िक्षा से भाग रहे और इस क्षेत्र में अति-प‍िछड़े देश के सेंसर बोर्ड से आख‍िर और क्या उम्मीद की जा सकती थी... तो सही कहूं तो सेंसर उम्मीदों पर खरा उतरा...

लेकिन बार-बार एक ही बात ज़ेहन में इतनी घूम रही थी कि जलेबी की तरह उलझ गई. बात यह कि हम कब यौन श‍िक्षा की अनिर्वायता को स्वीकार करेंगे और समझेंगे कि जिस तरह किसी भी व्यक्त‍ि को श‍िक्ष‍ित बनाने के लिए हमने एक सिस्टम बनाया है, वह व्यवस्था या सिस्टम उसे केवल श‍िक्ष‍ित बनाती है, वयस्क यानी अडल्ट नहीं. इस श‍िक्षा प्रणाली में मॉरल एजुकेशन, यानी नैतिक शिक्षा को तो पूरा स्पेस दिया गया है, पर यौन श‍िक्षा को नहीं. क्यों...?

क्या यौन समझ या श‍िक्षा में नैतिकता का कोई स्थान नहीं. क्या यौन ज्ञान में किसी श‍िक्षा, विवेकशीलता या समझ की ज़रूरत ही नहीं, क्या यह जीवन विज्ञान का एक ऐसा अध्याय है, जिसे पढ़े बिना स्व-अध्ययन द्वारा सीखा जाना ही बेहतर है, क्या यौन श‍िक्षा के ज़रिये या यौन जानकारी का प्रचार कर हम अपने समाज को भ्रष्ट या अश्लील प्रवृत्ति वाला बना देंगे, क्या यौन श‍िक्षा बच्चों, किशोरों और युवाओं को पथभ्रमित करेगा, क्या यौन श‍िक्षा से अपराधों में बढ़ोतरी होगी - या फिर इन सबका उलट होगा...

जवाब हम सबके मन में उठकर फिर दब जाता है. हम अपने युवाओं को नैतिक श‍िक्षा और किताबी ज्ञान तो देना चाहते हैं, लेकिन उस श‍िक्षा और ज्ञान से वंचित रखना चाहते हैं, जिसकी उसे बेहद ज्यादा ज़रूरत है, जिसकी अधूरी या गलत जानकारी उसे उस रास्ते पर ले जाती है, जो भटकाव, अंधकार, घृणा, तिरस्कार, हीनभाव, आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति या अपराध की ओर खुलता है, और नैतिकता उससे कोसों दूर छूट जाती है, बावजूद इस स्कूली विषय में पास होने के...

दुःख की बात तो यह है कि लगातार बढ़ते यौन अपराधों के बावजूद हम इसकी अहमियत को स्वीकार करने से हिचक रहे हैं. 21वीं शताब्दी में मेरे देश की सरकार कहती है कि 'स्कूलों-कॉलेजों में अनिवार्य रूप से यौन शिक्षा का कोई प्रस्ताव नहीं'. हाल ही में एक और ख़बर आई, जो यौन श‍िक्षा के समर्थकों के लिए राहत भरी हो सकती थी, लेकिन उसके बाद की ख़बरों ने उनका मिज़ाज ज़रूर बिगाड़ा होगा. ख़बर थी कि देश के एक राज्य महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं के बच्चों को यौन श‍िक्षा की जानकारी देने वाली किताब दी जाएगी. लेकिन तुरंत आई ख़बरों और प्रतिक्रियाओं ने आसमान छूती उम्मीदों को फिर ज़मीन पर ला पटका. शिवसेना ने इसकी आलोचना की और अपने मुखपत्र 'सामना' में लिखा - 'यह विनोद तावड़े की नई उपलब्धि है... छात्र परेशान हैं, शिक्षक हैरान और अभिभावक नाराज़ हैं...'

यह किताब जल्दी ही ख़बरों के लपेटे में आ गई. ख़बरों के अनुसार इस किताब के एक भाग में यह भी लिखा है - ''वह उत्तेजित हो गया, उसने उसका हाथ पकड़ा... जब वह सेक्स के लिए बढ़ा तो लड़की ने उससे पूछा, "अगर मेरा कौमार्य भंग हो गया, तो मुझे कौन स्वीकारेगा...?"

मैंने किताब नहीं पढ़ी, लेकिन अगर यह ख़बर सही है, तो हमें बहुत गहरे मंथन की ज़रूरत है. कहीं ऐसा न हो कि हम यौन श‍िक्षा देने के चक्कर में कुछ और ही परोस दें और युवाओं का गर्त में जाना तय हो जाए... इसलिए ज़रूरी है कि इस दिशा में गहन चिंतन और अध्ययन के बाद कदम उठाए जाएं. ऐसे ही बिना योजना के और सिलसिलेवार सही तरीके के बिना दी गई यौन श‍िक्षा ज्ञान बढ़ाने के बजाय भटकाव की स्थि‍ति उत्पन्न कर सकती है. ऐसे में हालात बद से बदतर हो सकते हैं...


अनिता शर्मा NDTVKhabar.com में डिप्टी न्यूज़ एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :
इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com