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This Article is From Dec 16, 2016

निर्भया, हम ज़ॉम्बी बन गए हैं, भूख के सिवाय कुछ याद नहीं रहता...

Anita Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 16, 2016 15:39 pm IST
    • Published On दिसंबर 16, 2016 15:39 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 16, 2016 15:39 pm IST
निर्भया... यह नाम सुनते ही मन में एक टीस उठती है, संवेदना जाग जाती है, आंसू छलक जाते हैं, लेकिन मन की कसक को कुछ समझा-बुझाकर शांत करना पड़ता है... लेकिन क्‍या कभी आपने सोचा है कि 16 दिसंबर, 2012 को जिस निर्भया से सबका परिचय हुआ, वह एकमात्र निर्भया नहीं थी... हर गली, हर मोहल्‍ले, हर घर में एक निर्भया है, जिसे हम अक्‍सर देख ही नहीं पाते... निर्भया का पूरा जीवन किसी हॉरर फिल्‍म से कम कहां है... उम्र के हर पड़ाव पर उसे एक नया दृश्‍य देखने को मिलता है...

पहला दृश्य...
निर्भया अपने किसी भैया की गोद में बैठी थी और उसके दोनों पैरों के बीच कुछ चुभ रहा था, वह बेचैनी महसूस कर रही थी, लेकिन उठकर जाने की भरसक कोशिशें भी भैया की मजबूत पकड़ के आगे बेकार... भले ही उसकी उम्र चार-पांच साल के बीच हो, लेकिन उसकी सभी इंद्रियां यकायक सजग हो गईं... घबराहट इतनी कि कपड़े पसीने से भीग चुके थे... शाम का ढलता सूरज भले ही ठंडक देता हो, लेकिन निर्भया को वह भी गर्म लग रहा था, अंगारे सा गर्म...

इतने में उसका छोटा भाई दौड़ता हुआ आया और ज़िद कर उसे अपने साथ ले गया... उसने राहत की सांस ली, लेकिन पैर अब तक डर से कांप रहे थे... भैया की गोद में बिताए पांच मिनट उसकी छोटी-सी ज़िन्दगी के सबसे डरावने पल थे... चार-पांच साल की निर्भया इतनी परिपक्‍व कैसे हुई...! भाई के साथ जाने के बाद उसने किसी से कुछ नहीं कहा... फिर भी वह हर शाम बेचैनी महसूस करती है, जैसे ही दिन ढलता है, उसकी बेचैनी बढ़ने लगती है... उस दिन के बाद से वह हर शाम घर में दुबककर बैठ जाती है...

दूसरा दृश्य...
निर्भया सात साल की है... रोज़ स्‍कूल जाते हुए पड़ोसी उसका पीछा करता है... कभी-कभी छूकर निकल जाता है... रोज़ स्‍कूल के लिए निकलते हुए उसका दिल जोर से धड़कने लगता है... कई बार तो पेटदर्द जैसे बहाने बनाकर स्‍कूल ही नहीं जाती, लेकिन किसी से कुछ कहती नहीं...

तीसरा दृश्‍य...
अब निर्भया 11 साल की है... उसके दादा जी समय बिताने के लिए घर के बाहरी कमरे में एक छोटी-सी दुकान चलाते हैं... कभी-कभी दादाजी उसे दुकान पर बिठाकर बाहर चले जाते हैं... ऐसे में घर के पास ही फैक्‍टरी में काम करने वाले कुछ मज़दूर उसे घूरते हैं... सामान लेते हुए उसका हाथ पकड़ लेते हैं... फुसफुसाकर जाने क्‍या-क्‍या कह जाते हैं... निर्भया घबराती है, डर जाती है, लेकिन किसी से कुछ कहती नहीं... चुपचाप सब कुछ अपने आप खत्‍म होने का इंतज़ार करती है...

चौथा दृश्‍य...
निर्भया 13 साल की है... उसका घर बहुत बड़ा है... मां-बाबा ने कुछ कमरे लोगों को किराये पर दिए हैं... अक्‍सर किरायेदार उसे अजीब नज़रों से देखते हैं... उसके शरीर में होते उन सामान्‍य बदलावों को, जिन्‍हें निर्भया जाने क्‍यों छिपाती रहती है, घूरते हैं... कभी-कभी करीब से निकलते हुए 'गलती से' छू जाते हैं...

उसके मन में एक डर ने घर कर लिया है... उसे खुद पर शर्म आती है... अपने ही शरीर में होने वाले बदलाव उसे कतई पसंद नहीं... उसने अपनी पसंद के हर काम को छोड़ दिया है और खुद को कमरे तक ही सीमित कर लिया है...

और दृश्‍यों की एक अंतहीन कतार...
कभी बस में उसके पीछे कोई भीड़ होने का नाजायज़ फायदा उठाता है, तो कभी रिक्‍शा में जाती हुई निर्भया को चिकोटी काटकर निकल लेता है... कभी कोई उसे फोन कर 'टाइमपास' करता है, तो कभी किसी पुरुष मित्र के साथ जाते हुए लोग अक्‍सर उसे गंदी बातें बोल जाते हैं... कभी कोई बाइक सवार उसकी बस के पीछे आते हुए उस पर फब्‍तियां कसता है, तो कभी बस में साथ बैठे अंकल अचानक उसे 'दबे हाथ' कहीं छू लेते हैं...

लेकिन निर्भया किसी से कुछ कहती नहीं, चुप रहती है... निर्भया आज से नहीं, सालों से चुप है... यह सिर्फ 16 दिसंबर को चलती बस में हैवानियत का शिकार होने वाली निर्भया की कहानी नहीं, क्योंकि हमारी दुनिया में हर औरत एक निर्भया को ही जीती है... अपने जीवन में वह हर दिन निर्भया के ही डर को महसूस करती है...

सब जानते हैं कि बस में निर्भया से सटकर खड़ा वह यात्री कैसा है... उसे अपनी गोद में बिठाने वाले भैया के मन की बात भी सब जानते हैं... सब जानते हैं, स्‍कूल जाते हुए उसके पीछे वह अधेड़ अंकल किस नीयत से जाते हैं, लेकिन सभी चुप हैं... गाहे-बगाहे कुछ लोग आवाज़ उठाते भी हैं, लेकिन औपचारिकता भर के लिए...

निर्भया चुप है, क्‍योंकि वह जानती है कि हम ज़ॉम्बीज़ (Zombies) बन गए हैं... हमें सिर्फ व्‍यस्‍तता, काम और पैसे की भूख महसूस होती है, जिसे मिटाने में ही हम जाने कौन-कौन से बहाने ढूंढकर अपने कर्तव्‍यों से दूर भागते रहते हैं... शायद निर्भया इस बात को जानती है, और इसीलिए सालों से चुप ही रहती आ रही है... और हां, जब तक उसे यह एहसास नहीं होगा कि वह ज़ॉम्बीज़ के बीच नहीं, इंसानों के बीच रहती है, तब तक वह चुप ही रहेगी...

अनिता शर्मा NDTVKhabar.com में चीफ सब एडिटर हैं...

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