नज़र दर नज़र गिरती,
परत दर परत उलझती,
फलक दर फलक बढ़ती,
रंजिशें,
जानें कहां से आईं...
जानें कहां तक जाएंगी...
ये कुछ पक्तियां हैं, जो महीनों पहले लिखी थीं. आज बार-बार जहन में उभर रही हैं...
वो शाम सुबह से ही इश्क के रंग में रंगी हुई थी... फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, बाजार, रेस्तरां और भी जाने क्या-क्या इसी के सुर्ख रंग में तो रंगा था... मैं जहां देख रही थी बस प्यार ही प्यार फिजाओं में फैला था. पर मैं उदास थी. क्या हुआ गर वैलेंटाइन डे था, मन और तन माहौल की नज़ाकत को समझ कर उस दिन का साथ देने को तैयार ही नहीं थे. सुबह से तबियत खराब थी सो तय किया कि ऑफिस से सीधा डॉक्टर के पास जाया जाएगा. सारे काम निपटा कर जब घर पहुंचती तो एक बुरी खबर मिली, जो पुलवामा से थी. पहले से ही उदास मन में टीस और बढ़ गई... सोचने लगी कि आखिर इंसान किस हद तक नफरत पाल सकता है, किस हद तक अपनी आत्मा को घोट कर गलत राह को पकड़ सकता, अपने निजी लोभों के लिए कुछ लोग कैसे युवाओं को बरगला कर आतंक फैला सकते हैं और वह इंसान होकर इंसान को ही मार सकता है...
खबर सुनने के बाद जल्दबाजी में टीवी चलाया गया. खबर देखते ही पश्चिमी सभ्यता का प्रेम दिवस पल में छू हो गया. आंखें नम हो आई और मन बेचैन हो उठा. दर्द और बढ़ा जब पता चला कि इस हमले को अंजाम दिया था पुलवामा के ही 20 साल के आतंकी आदिल अहमद डार ने. डार ने विस्फोटकों से लदी कार से सीआरपीएफ जवानों की बस में टक्कर मारी और नफरत और कायरता का ऐसा धूंआ उठा कि पूरी दूनिया आतंकवाद पर थू-थू करने लगी... इस आत्मघाती हमले में भारत के 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए और उनके इस दर्द से पूरे देश में जो कराह उठी उसने दुनिया के हर मुल्क की आंखें नम कर दीं... दुनिया भर के देश भारत के दुख में उसके साथ खड़े नजर आए.
खबरों के अनुसार सीआरपीएफ काफिले पर हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आदिल अहमद डार ने इस हमले से ठीक पहले अपना एक वीडियो मैसेज बनाया था. जिसे उसने अपने साथियों के लिए बनाया था. इस वीडियो में डार ने कह रहा था कि 'ग्रुप का हिस्सा बनें और आखिरी रात के लिए तैयारी करें.' लेकिन इसी वीडियो में डार ने एक ऐसी बात कह दी, जिसमें वह अपना और अपने जैसे दूसरे आतंकियों का सबसे बड़ा डर दिखा गया... वो बता गया कि आखिर क्या चीज है जो आतंकवाद को खत्म कर सकती है. जी हां, इस वीडियो में आतंकी डार लोगों से दरख्वास्त कर रहा है कि वे 'प्यार में न पड़ें'... डार की इस अपील से एक बात तो साफ है कि अगर लोग प्यार करेंगे तो जैश-ए-मोहम्मद जैसे नफरत फैलाने वाले आतंकी संगठनों का नाम देखते ही देखते खत्म हो जाएगा... सच ही तो है. नफरत की इस जंग को अगर खत्म करना है तो हमें इंसान को इंसान से अपनी ही कौम (इंसानियत) से प्यार करना सीखना होगा.
पुलवामा हमला : दुनियाभर के देश भारत के दुख में उसके साथ खड़े नजर आए.
तो क्यों न आतंकियों के डर को और बड़ा किया जाए-
14 फरवरी से लेकर आज तक मैं खबरों के जरिए इन शहीदों के साथ बनी हुई हूं. मुझे सुकून हुआ कि दुख की इस घड़ी में पूरा देश एक साथ खड़ा दिखा. क्या विपक्ष, क्या सरकार, क्या हिंदू, क्या मुसलमान, क्या सिख या इसाई हर 'धर्म' कहने के बजाए मैं कहूंगी कि हर भारतीय ने अपने देश पर जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी. हर किसी ने अपने-अपने तरीके से अपने दर्द को जाहिर किया. किसी ने कविताएं लिखीं, तो किसी ने तस्वीरों या अपने तरीके से मन की पीड़ा को सामने रखा. इस घटना के बाद पूरा देश एकजुट हो गया. और इस एकजुटता और एकता को देखकर मेरे मन ने बार-बार उन शहीदों को नमन किया, और नमन किया हर देशवासी को. जो धर्म, जाती, राजनीति हर दीवार को गिराकर साथ खड़े हैं. एक दूसरे का हाथ थामें हर देशवासी आतंकवाद को ये संदेश दे रहा है कि भले ही तुम प्यार के नाम लिखे गए दिन पर कितनी ही नफरत फैलाओं और प्यार न करने की हिदायतें दो, ये देश एक है और एक रहेगा... हम सब धर्म, मजहब और जात से पहले कुछ हैं तो हिंदूस्तानी हैं, भारतीय हैं...
हर कोई अपने देश के लिए, अपनी सेना के लिए और अपने शहीदों के लिए प्यार से भरे संदेश साझा कर रहा है. और आतंकवाद के लिए ये एक बड़ा मुंहतोड़ जवाब है. मुझे तो लगने लगा है कि आतंकवादियों को खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार ही हमारी एकजुटता और प्यार है... इनता प्यार बांटा जाए कि आतंकवाद और आतंकी इस देश में नफरत की सांस ही न ले सकें... और पलट दें पुलवामा के हमलावर आदिल अहमद डार की प्यार खत्म करने की कोशिश को... आखिर आतंकवाद ने बता ही दिया कि वो भी इस देश के आपसी प्यार और सोहार्द्र से कितना डरता है... तो चलो साथ मिलकर, प्यार बांटकर और इंसानियत निभाकर अपनी सेना का साथ दें...
पुलवामा के दर्द और देश के हित में इंसानियत का दामन थामें, नफरत और धर्मांधता का नहीं... जय जवान, जय हिंद...
अनिता शर्मा एनडीटीवी खबर में डेप्युटी न्यूज एडिटर हैं.
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