क्या कपड़े उतारने से ही 'बोल्ड और ब्यूटीफुल' होंगी लड़कियां...?

क्या कपड़े उतारने से ही 'बोल्ड और ब्यूटीफुल' होंगी लड़कियां...?

बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा धूपिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है...

बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा धूपिया ने सोशल मीडिया पर 'So Basically... 6 Things There's No Room For' शीर्षक से एक वीडियो शेयर किया है, जो काफी अच्छा और ध्यान खींचने वाला है. आज की युवा, पढ़ी-लिखी और आज़ादी-पसंद पीढ़ी को आकर्षित करने में पूरी तरह सक्षम...

वीडियो में नेहा ने लड़कियों को बोल्ड, ब्यूटीफुल, स्ट्रॉन्ग और फियरलेस बनने की सलाह दी है, जो काफी सही है. हर लड़की में ये गुण होने ज़रूरी हैं, और लड़कों में भी...

नेहा ने वीडियो में शादी का दबाव झेल रही, सेक्सुअलिटी छिपाने वाली और बच्चे न होने का गिल्ट रखने वाली लड़कियों को इन सब दबावों से आज़ाद रहने के लिए कहा है. इसमें जितनी भी सलाह नेहा ने दी हैं, वाकई सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर क्यों लड़कियां जीवन में इतना बोझ लेकर जीएं...? क्यों हर बार उम्मींद का झोला उन्हीं के कांधे पर टांगा जाए...?

नेहा पहली नहीं हैं, जिन्होंने महिलाओं में जागरूकता के लिए ऐसा वीडियो शेयर किया. उनसे पहले तापसी पन्नू और स्वरा भास्कर, दीपिका पादुकोण और मनोज बाजपेयी के अलावा कई बड़े नाम इस लिस्ट में शामिल होते रहे हैं.

मैं जब भी इस तरह के वीडियो देखती हूं, कुछ बातें ज़हन में घूमती हैं. सोचती हूं, जितनी बोल्डनेस के साथ ये वीडियो बनाए जाते हैं या जिस खुलेपन की बात इन वीडियों में ज़्यादातर होती है, वह शायद केवल शहरी लड़कियों तक ही सीमित है. गांव-कस्बों की वे लड़कियां, जो अकेले घर से बाहर तक नहीं जा सकतीं, जिन्हें घर के मामलों में बोलने का हक नहीं, जो सरकारी स्कूल के बाद सिर्फ रसोई तक सी‍मित हैं, जिन्हें कभी 'पराया धन' या 'घर की इज़्ज़त' के अलावा कुछ समझा या समझाया ही न गया, वे तथा‍कथित देवियां कैसे अचानक तीन मिनट का एक वीडियो देखकर स्वयं को 'नग्न' कर सकती हैं. उन परिजनों और समाज के सामने, जिन्होंने उन्हें सालों से शर्म की चुनरी में छिपाकर, सहेजकर रखा है...

नेहा ने इस वीडियो के अंत में अपने कपड़े उतारकर फेंक दिए, लेकिन सवाल यह है कि क्या कपड़े उतारने, शादी न करने, और विवाह से पहले शारीरिक होने से ही लड़कियां 'बोल्ड और ब्यूटीफुल' होंगी...? आखिर इन सब की बजाय उन्हें यह क्यों नहीं कहा जाता कि अपनी शिक्षा के लिए लड़ो, घर से बाहर की दुनिया को सीखने के लिए लड़ो, शादी या बच्चे करने न करने के लिए नहीं, अपना करियर बनाने के लिए लड़ो...

दूसरी बात, हर बार लड़कियों को ही सलाह क्यों दी जाती है. हो सकता है, इन वीडियो में अप्रत्यक्ष रूप से लड़कों को भी टारगेट किया जाता हो. अगर ऐसा है, तो फिर मेरा सवाल है - अप्रत्यक्ष क्यों, सीधे तौर पर क्यों नहीं...?

हर बार लड़कियों को सलाह दी जाती है - दबो नहीं, डटकर लड़ो... ऐसे नहीं, ऐसे रहो... डरो नहीं, सहो नहीं और भी बहुत कुछ... माना कि अपने लिए, अपनी लड़ाई लड़कियों को खुद ही लड़नी होगी. लेकिन फिर भी क्या इसमें लड़कियों के अलावा समाज का कोई रोल नहीं... क्‍या यह बात सामाजिक व्यवस्था, रूढ़ियों से जुड़ी नहीं है...

अगर हम वाकई महिलाओं के लिए न्या‍य और समानता चाहते हैं, तो हमें समझना होगा कि सिर्फ महिलाओं को जागरूक करने से हम अपना लक्ष्‍य नहीं पा सकते. हमें उन पुरुषों को भी जागरूक बनाना होगा, जो इस असमानता को बढ़ावा देते हैं. इसके लिए हमें सिर्फ महिलाओं पर केंद्रित वीडियो या विषयों पर जागरूकता से कहीं ज़्यादा पुरुषों को यह समझाना होगा.

तीसरी बात, यदाकदा ऐसे वीडियो भी देखने को मिलते हैं, जिनमें पुरुषों के लिए कोई संदेश हो. लेकिन कभी भी उन्हें ऐसे संदेश नहीं दिए जाते, जैसे महिलाओं को – 'यह आपकी मर्ज़ी है कि आप शादी करें या न करें', 'शादी से पहले सेक्स करें या न करें', 'बच्चे पैदा करें या न करें', या तो महिलाओं में इस तरह की जागरूकता फैलाने वाला यह तबका मान चुका है कि पुरुष तो विवाह से पहले किसी न किसी के साथ शारीरिक हो ही चुका होता है. बस, एक महिला नहीं होती, तो उसे भी इस क्षेत्र में आज़ादी होनी चाहिए...

जितना मैं अपने समाज को जानती हूं, पुरुषों पर भी विवाह और बच्चे करने का उतना ही दबाव रहता है. और शारीरिक होने, विवाह करने और बच्चे करने से जुड़े मामलों में जितना दबाव या मनाही महिलाओं पर है, पुरुषों पर भी उतनी ही है.

अंत में, मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि अगर जागरूकता फैलानी है, तो महिलाओं से कहीं अधिक पुरुषों को जागरूक करने की ज़रूरत है. भटकने से बचते हुए हमें यह सोचना होगा कि हम महिलाओं को किस दिशा में जागरूक बनाएं. वास्तव में हमारे देश और समाज की महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए किस तरह के संदेशों की ज़रूरत है...

अनिता शर्मा NDTVKhabar.com में डिप्टी न्यूज़ एडिटर हैं...

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