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भारत के स्पेस हीरो शुभांशु शुक्ला की घरवापसी जल्द, दिल्ली से लखनऊ तक स्वागत को लेकर उत्साह

लखनऊ में शुभांशु के पिता शंभु दयाल शुक्ला ने NDTV से बात करते हुए बताया कि शुभांशु 17 अगस्त को दिल्ली आ रहे हैं और 25 अगस्त को लखनऊ आ सकते हैं.

भारत के स्पेस हीरो शुभांशु शुक्ला की घरवापसी जल्द, दिल्ली से लखनऊ तक स्वागत को लेकर उत्साह
  • ISS की 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब अमेरिका से भारत लौटने वाले हैं.
  • उनके पिता ने बताया कि शुभांशु शुक्ला 17 अगस्त को दिल्ली और 25 अगस्त को लखनऊ आ सकते हैं.
  • शुभांशु शुक्ला 23 अगस्त को दूसरे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर देशवासियों से बातचीत भी कर सकते हैं.
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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब स्वदेश लौटने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन के दौरान इसकी जानकारी दी. भारत के 21वीं सदी के स्पेस हीरो शुभांशु शुक्ला की घरवापसी को लेकर उत्साह है. उनके परिजनों ने बताया कि शुभांशु 17 अगस्त को दिल्ली और 25 अगस्त को लखनऊ आ सकते हैं. शुभांशु 23 अगस्त को दूसरे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर देशवासियों से बातचीत भी कर सकते हैं. 

पीएम मोदी ने लालकिले से दी जानकारी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि स्पेस सेक्टर का कमाल तो पूरा देश देख रहा है और गर्व भी महसूस कर रहा है. हमारे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन से लौट चुके हैं और आने वाले कुछ दिनों में वह भारत भी आ रहे हैं. पीएम मोदी ने स्पेस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का जिक्र करते हुए कहा कि हम स्पेस में भी अपने दम पर, आत्मनिर्भर भारत के तहत गगनयान की तैयारी कर रहे हैं. हम अपने बलबूते पर अपना स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

शुभांशु के परिवार में खुशी का माहौल

शुभांशु शुक्ला की घरवापसी की खबर से उनके परिवार में भी खुशी का माहौल है. लखनऊ में शुभांशु के पिता शंभु दयाल शुक्ला ने NDTV से बात करते हुए बताया कि शुभांशु 17 अगस्त को दिल्ली आ रहे हैं और 25 अगस्त को लखनऊ आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि  हम सभी बेटे से मिलने के बहुत इच्छुक हैं. आखिरी बार अप्रैल 2024 में मुलाकात हुई थी. 

उन्होंने मिशन की सफलता पर गर्व करते हुए कहा कि शुभांशु ने देश का गौरव बढ़ाया है. यह उनके परिवार के लिए सौभाग्य की बात है. हम सभी इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हैं. उन्होंने कहा कि सभी की दुआओं से उनका मिशन पूरा हुआ. मिशन में जब देरी हो रही थी, तो पूरा देश चिंतित था. सभी के सहयोग और आशीर्वाद से मिशन पूरा हो पाया. इसके लिए सभी का बहुत धन्यवाद. हमें उम्मीद है कि 2027 में गगनयान मिशन भी इसी तरह सफलता के साथ पूरा होगा. 

शुभांशु को प्रधानमंत्री ने दिया था होमवर्क

Axiom-4 कमर्शल स्पेस मिशन के तहत आईएसएस पर गए शुभांशु शुक्ला अब भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान प्रोग्राम के लिए मार्गदर्शक बनेंगे. पीएम मोदी ने स्पेस में मौजूद शुभांशु से जब बात की थी, तब उन्होंने उन्हें एक खास होमवर्क दिया था. उनसे कहा था कि वह अपनी स्पेस ट्रेनिंग और अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए गए पलों का हर विवरण दर्ज करें ताकि भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए वह हैंडबुक का काम कर सके.

गगनयान मिशन में रहेगा अहम योगदान

मिशन गगनयान का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी रॉकेट से भारत की धरती से अंतरिक्ष में भेजना है. इसके लिए भारत ने लॉन्च व्हीकल मार्क-3 को मानव उड़ान के लिए तैयार कर लिया है. हालांकि क्रू मॉड्यूल और एनवायर्नमेंट लाइफ कंट्रोल सिस्टम जैसी तकनीकों पर काम चल रहा है. शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को इसके लिए चुना जा चुका है. पिछले कई वर्षों से उनकी ट्रेनिंग चल रही है. 

अंतरिक्ष मिशन में काम आएगा शुभांशु का अनुभव 

प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से भारत के भविष्य के अंतरिक्ष लक्ष्यों का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय को उतारने का लक्ष्य है. इसी के तहत अब शुभांशु शुक्ला अपने अनुभव से भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन की नींव रखेंगे. भारत अपने दम पर इंसान को अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब होता है तो वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

21वीं सदी के भारतीय स्पेस हीरो हैं शुभांशु

21वीं सदी के भारतीय स्पेस हीरो शुभांशु शुक्ला ने नासा, एग्जियोम और स्पेसएक्स आदि की फैसिलिटी में एक साल से अधिक समय तक ट्रेनिंग ली है. Axiom-4 मिशन के दौरान, उन्होंने आईएसएस पर भारत के लिहाज से खास 9 प्रयोग भी किए, जिनके परिणाम जल्द ही सामने आने की उम्मीद है. शुक्ला की यह उड़ान 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा की ऐतिहासिक यात्रा के बाद भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. राकेश शर्मा तत्कालीन सोवियत संघ के अंतरिक्ष स्टेशन पर गए थे. 

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