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This Article is From Jul 25, 2019

आम्रपाली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला- बकाया घर खरीदारों को कैसे मिलेगा इंसाफ?

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 25, 2019 11:42 am IST
    • Published On जुलाई 25, 2019 10:24 am IST
    • Last Updated On जुलाई 25, 2019 11:42 am IST

आम्रपाली से त्रस्त घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने कानूनी बारीकियों से परे जाकर मुंहमांगा इंसाफ देने की कोशिश की है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से सभी बिल्डरों की जांच करने को कहा है, जिससे बकाया घर खरीदारों को घर और न्याय मिल सके. इस फैसले के सभी पहलुओं को देशभर में लागू करने में खासी मुश्किलें आ सकती हैं...

प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए NBCC के सामने बड़ी चुनौती : सरकारी कंपनी NBCC को आठ फीसदी कमीशन के दायरे में आम्रपाली के बकाया प्रोजेक्टों को पूरा करना है. सुप्रीम कोर्ट ने 42,000 से ज्यादा खरीदारों को बकाया राशि, तीन महीने के भीतर बैंक में जमा कराने का आदेश दिया है. ख़बरों के अनुसार, बकाया प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 8,500 करोड़ रुपये की ज़रूरत है, जबकि घर खरीदारों से लगभग 4,000 करोड़ मिलने की उम्मीद है. आम्रपाली के अनेक फ्लैट बन चुके हैं, लेकिन बिके नहीं है. मंदी के इस दौर में उन फ्लैटों की नीलामी से यदि 2,000 करोड़ रुपये मिल भी गए, तो बैंकों की दावेदारी फिर से सामने आएगी. इन सबके बावजूद अधबने फ्लैटों के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये की कमी पड़ सकती है. सुप्रीम कोर्ट या सरकार इस कमी को कैसे पूरा करेगी...?

इन्सॉल्वेंसी कानून के तहत बैंकों का पहला हक : सरकारी बैंकों में भी जनता की ही गाढ़ी कमाई लगी है, जिसे आम्रपाली जैसे बिल्डरों ने हज़म कर लिया. दिवालिया कंपनियों से वसूली के लिए केंद्र सरकार ने इन्सॉल्वेंसी कानून बनाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नजरअंदाज़ कर दिया है. कानून के अनुसार कंपनी की संपत्तियों में बैंकों का पहला हक है. घर खरीदारों के कानूनी दर्जे और हक पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच द्वारा सुनवाई हो रही है. आम्रपाली की पेरेंट कंपनी आम्रपाली सिलिकॉन सिटी प्राइवेट लिमिटेड में दिवालिया कानून के तहत वसूली की कार्रवाई भी अन्य अदालत के सम्मुख चल रही है. संसद द्वारा कानून में बदलाव किए बगैर अन्य प्रोजेक्ट्स के घर खरीदारों को, बैंकों से बेहतर और पहले अधिकार कैसे मिल सकेंगे...?

आम्रपाली द्वारा डायवर्ट पैसों की वसूली कैसे होगी : सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आम्रपाली ने FEMA और FDI के नियमों का उल्लंघन कर खरीदारों के लगभग 2,765 करोड़ रुपये अन्य जगहों पर लगा दिए. आम्रपाली ने FMCG, हास्पिटैलिटी, मनोरंजन और फिल्मों की दुनिया में भी खूब पैसे उड़ाए. आम्रपाली के प्रमोटर और मालिक अनिल शर्मा ने JDU से बिहार में और BJP से राज्यसभा का चुनाव भी लड़ा. 2011 के विश्वकप में जीत के बाद आम्रपाली ने नोएडा एक्सटेंशन स्थित ड्रीम वैली प्रोजेक्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के सभी सदस्यों को विला देने का वादा भी किया था. देश के सभी बिल्डरों का कमोबेश यही हाल है, तो फिर इन अनगिनत प्रभावशाली लोगों से जनता और बैंकों के पैसों की वसूली कैसे होगी...?

दोषियों को दंड कब मिलेगा: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बैंकों और प्राधिकरण के हजारों करोड़ रुपये डूब सकते हैं. आम्रपाली के CA के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकांउटेंट्स ऑफ इंडिया को आदेश दिया है. मनी लॉन्डरिंग और हवाला की जांच के लिए ED ने मामले दर्ज कर लिए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कराए गए फॉरेंसिंक ऑडिट में नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, बैंक, राजनेता, ऑडिटर, अफसर, FDI की बिल्डर माफिया से खुली साठगांठ उजागर हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि प्राधिकरण और बैंकों के अधिकारियों ने आम्रपाली ग्रुप के फ्रॉड में साठगांठ की, तो अब उन लोगों के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं होती...?

कोर्ट रिसीवर की मुश्किलें : सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली कंपनी का RERA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली ग्रुप को दी गई सभी लीजों को भी रद्द करते हुए, सीनियर एडवोकेट आर. वेंकटरमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है. रिसीवर के पास आम्रपाली ग्रुप की सारी कंपनियों के अधिकार होंगे. NBCC कंपनी तो सिर्फ निर्माण के लिए ठेकेदार की भूमिका निभाएगी. हजारों करोड़ के बकाया प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अब आम्रपाली कंपनी का सिस्टम नहीं बचा. बकाया पैसों की वसूली के लिए आम्रपाली की संपत्तियों को बेचने के लिए कोर्ट रिसीवर द्वारा अन्य पक्षों के साथ करार करना होगा. 9,000 घर खरीदारों को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट और हजारों फ्लैट में नल और बिजली के कनेक्शन दिलवाने की जद्दोजहद भी अभी बाकी है. प्राधिकरण की औपचारिकताओं, सेल डीड से लेकर टैक्स भरने के अनेक झंझटों से निपटने के लिए कोर्ट रिसीवर का सिस्टम कैसे बनेगा...?

जेपी और यूनिटेक की बारी: सुप्रीम कोर्ट ने नियमों से परे जाकर आम्रपाली मामले में क्रांतिकारी फैसला दिया है, जिसके बाद अब जेपी और यूनिटेक की बारी आ सकती है. इन कंपनियों के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी समेत अनेक सिविल और क्रिमिनल मामले चल रहे हैं. फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार डमी कंपनियों के माध्यम से आम्रपाली ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये डायवर्ट किए हैं, जिसका पता लगाना और वसूली अब नामुमकिन ही है. राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समय पर कार्रवाई नहीं करने से प्राधिकरण और बैंकों के लगभग 8,000 करोड़ रुपये अब डूब सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नज़ीर मानते हुए क्या अब देशभर के सभी प्रोजेक्ट्स में घर खरीदारों के हितों को वरीयता मिलेगी, या दिल्ली-NCR से दूर बिल्डरों से सताए लोगों को, इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना होगा...?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

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