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सुशील महापात्र

सुशील महापात्र पिछले 10 सालों से एनडीटीवी में कार्यरत हैं. सुशील अलग-अलग मुद्दे पर लिखते आ रहे हैं, लेकिन क्रिकेट में उनकी खास रुचि है. क्रिकेट में रूटीन की खबरों से हटकर कुछ लिखने का शौक है.

  • नफरत एक ऐसा नशा है जो आपकी जिंदगी का नक्शा बदल देता है. अगर आप नफरत के नशे के शिकार हो गए हैं तो आपको इससे निकलने के लिए भाईचारा और मोहब्बत जैसी दवाई की जरूरत है. यह दवाई कहीं मेडिसिन स्टोर में नहीं मिलती है, यह समाज में ही मिलती है, आप के आसपास है. बस आपको महसूस करने की जरूरत है. जिस दिन आप भाईचारे और मोहब्बत को महसूस कर लेंगे उस दिन आप नफरत के नशा से मुक्त हो जाएंगे. आप और आपके बच्चों की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाएगी.
  • गुड्डी राव के परिवार को ओडिशा सरकार के तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. जिस गुड्डी राव समाज के लिए अपने ज़िन्दगी गुजार दी, अपने खुद की पैसे से गरीब तबकों की मदद किया आज उसी गुड्डी राव का परिवार तकलीफ में है.
  • मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा रिलीज किए गए डेटा के हिसाब से पिछले 24 घंटों में भारत में 1,61,736 कोरोना केस आए हैं. 879 लोगों की मौत हुई है. पिछले तीन दिनों से डेढ़ लाख से भी ज्यादा केस आ रहे हैं जबकि पिछले 7 दिनों से 1 लाख से ज्यादा केस रिकॉर्ड किए गए हैं. मार्च 2020 में जब भारत में लॉकडाउन लगाया गया तब देश में 500 के करीब केस थे. अब जब देश में रोज डेढ़ लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं तब भी कई राज्यों  में चुनाव हो रहे हैं. रोड शो और रैली हो रही हैं. हज़ारों की संख्या में लोग बिना मास्क पहने, बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रैली और रोड शो में शामिल हो रहे हैं.
  • करीब दो महीने पहले किसी एक रिसर्च स्कॉलर का फोन आया. रिसर्च करके वो कोरोना के ऊपर कोई किताब लिख रहे थे. जब मैंने पूछा कि आप मुझसे क्या चाहते हैं तो उनका जवाब था कि कोरोना के ऊपर उन्होंने काफी रिसर्च की है और टीवी पर आ कर बोलना चाहते हैं. उनका कहना था कि भारत में कोरोना का कोई असर नहीं होगा, लोगों को डरने की जरूरत नहीं. लॉकडाउन खोल देना चाहिए, लॉकडाउन करके सरकार ने गलती की है.
  • चिंता की बात यह है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राज़ील, रूस, संघर्ष कर रहे हैं तो ऐसे में 130 करोड़ वाला भारत क्या कोरोना वायरस को कंट्रोल कर पाएगा?
  • एक समय कोरोना को नियंत्रित करने के मामले में ओडिशा सरकार की काफी तारीफ हुई थी. ऐसा लगा था कि कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने में ओडिशा सरकार जल्दी कामयाब हो जाएगी. इसके पीछे कई वजह भी थीं. पहली वजह यह थी कि ओडिशा के 30 में से 22 जिले कोरोना फ्री थे और जिन आठ ज़िलों में केस थे उसमें से कुल केस के 80 प्रतिशत सिर्फ एक ज़िले यानी खोरदा में थे. ओडिशा में पहला केस 16 मार्च को खोरदा ज़िले में ही आया. 31 मार्च तक ओडिशा में चार केस थे और 15 अप्रेल तक ओडिशा में कुल केस 60 पहुंचे थे. इसमें से 40 लोग ठीक होकर घर जा चुके थे जबकि एक की मौत हुई थी. 15 अप्रैल तक कुल 60 केस में से 46 केस सिर्फ खोरदा ज़िले से थे, यानी कुल केस के 80 प्रतिशत के करीब खोरदा ज़िले से थे.
  • ट्रंप ने कहा की जब अर्थव्यवस्था लुढ़क जाएगी तब लोग आत्महत्या करने लगेंगे और यह संख्या कोरोना से मरे हुए संख्या से ज्यादा होगी. अगर ट्रंप लॉकडाउन हटाने का निर्णय लेते हैं तो क्या होगा?
  • इटली में एक लाख में से करीब 78 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. स्पेन में एक लाख में से 46 लोग इस वायरस की चपेट में आए हैं. इटली और स्पेन के साथ भारत की तुलना नहीं करनी चाहिए, वरना जो आंकड़े सामने आएंगे वो भयावह होगा. फिर भी भारत को हर स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है. इटली और स्पेन भी कभी उम्मीद नहीं कर रहे थे कि इतने सारे लोग संक्रमित हो जाएंगे.
  • सितंबर 2012 की बात है, बीजेपी के लीगल सेल ने एक सेमिनार का आयोजन किया था जिस में अरुण जेटली ने कहा था कि "रिटायरमेंट के पहले के फैसले, रिटायरमेंट के बाद किसी भी पद की प्रति इच्छा से प्रभावित होते हैं, रिटायरमेंट के बाद जॉब के प्रति मांग न्यायपालिका के निपक्षता पे असर डालता है" उस समय जेटली राज्य सभा में विपक्ष के नेता थे और ऐसे भी जेटली जानेमाने वकील भी थे. इस सेमिनार में जेटली ने कहा था कि किसी भी जज को ट्रिब्यूनल और कमीशन में कोई भी पोस्ट पर अपॉइंट करने से पहले दो साल का कूलिंग पीरियड जरूरी है. जेटली की बातों को समर्थन करते हुए उस समय के बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी जो वहां मौजूद थे, ने जेटली का साथ देते हुए कहा था कि दो साल का कूलिंग पीरियड होना चाहिए.
  • कोरोना वायरस को हल्के में लेना नहीं चाहिए, लोगों को अपना ख्याल रखना चाहिए. डॉक्टर और सरकार जो भी सलाह दे रही है उसे पूरी तरह मानना चाहिए. लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. आप कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, कितने लोगों से मिल रहे हैं, इस सब पर आपको ध्यान देना चाहिए. सरकार ने यह सलाह दी है कि 200 से ज्यादा लोग एक जगह जमा नहीं होने चाहिए, लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं.
  • समानता में विश्वास रखने वाली साना मरीन का मानना है कि किसी भी इंसान को एक हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करना चाहिए और ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने परिवार को देना चाहिए. अगस्त के महीने में जब वह यह प्रस्ताव लेकर सामने आई थीं, तो इसे किसी ने नहीं माना था, लेकिन अब वह प्रधानमंत्री बन गई हैं, सो, देखना होगा कि सप्ताह में सिर्फ 24 घंटे काम करने वाला प्रस्ताव पारित हो पाएगा या नहीं. साना मरीन अपने परिवार को लेकर भी काफी सक्रिय रहती हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपने परिवार के साथ तस्वीरें पोस्ट करती रहती हैं.
  • झूठ बोलने की वजह से फिनलैंड के प्रधानमंत्री एंटी रिने (Antti Rinne) को इस्तीफा देना पड़ा है लेकिन हमारे यहां तो सरकार बनाने और चुनाव जीतने के लिए नेता अनगिनत झूठ बोलते हैं. यहां तो राजनीति की शुरुआत ही झूठ से होती है. फिनलैंड के प्रधानमंत्री ने देश में चल रही पोस्टल स्ट्राइक को लेकर संसद को गुमराह किया था. उनका झूठ पकड़ा गया और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
  • कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है. अब चुनाव से पहले बहुत कुछ वादे किए जाएंगे. किसानों की समस्या को लेकर बात होगी. किसानों के लिए कई योजनाओं की घोषणा होगी. चुनाव के बाद यह सब वादे खोखले साबित होंगे क्योंकि अगर राजनैतिक दलों ने अपना वादा पूरा किया होता तो आज किसान आत्महत्या नहीं करता.
  • शुक्रवार को कम से कम 28 देशों के 20 लाख लोग और स्कूल छात्र अपना काम और पढ़ाई छोड़कर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सड़क पर उतरे. स्पेन, न्यूज़ीलैंड, नीदरलैंड्स के कुल जनसंख्या के 3.5 प्रतिशत लोग इस प्रदर्शन में हिस्सा लिए. प्रदर्शन से पहले न्यूज़ीलैंड के लोगों ने वहां के संसद के नाम एक चिट्ठी भी लिखी. इस चिट्ठी में उन्होंने मांग की कि दश में क्लाइमेट इमरजेंसी घोषित की जाए. साथ ही जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अलग-अलग कॉउंसिल भी बनाई जाए. उधर, कनाडा के 85 शहर में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.
  • 15 जून को पुरी के अलग-अलग गांव में जब मैं घूम रहा था, तब मैंने यह नहीं सोचा था कि लोग साइक्लोन फोनी के 45 दिनों के बाद भी संघर्ष कर रहे होंगे. भुवनेश्वर से करीब 120 किलोमीटर दूर मेरी गाड़ी जब कृष्ण-प्रसाद ब्लॉक के लिए निकली, तब मेरे मन में कई सवाल थे. मेरी गाड़ी जब धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई, सभी सवालों ks जवाब मिलते गए. रास्ते के चारों तरफ बिखरे हुए पेड़ और टूटे हुए मकान देखकर मैं समझ गया साइक्लोन फोनी कितना खतरनाक था.
  • ऐसी सोच पत्रकारिता को खत्म करती है. किसी भी पार्टी की हार या जीत पर पत्रकार को खुश या दुखी नहीं होना चाहिए. पत्रकार को अपना काम करना चाहिए. पत्रकार का काम लोगों की समस्या पर ध्यान देना, लोगों की समस्या दिखाना है, न की किसी पार्टी की गोद में बैठ जाना. इस देश में कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो सरकार की हमेशा आलोचना करते हैं, कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगता है. इन पत्रकारों को गाली दी जाती है. परेशान किया जाता है. कई लोग यह भी कहते हैं कि यह पत्रकार सरकार की तारीफ क्यों नहीं करते. पत्रकार का काम सरकार की तारीफ करना नहीं है चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो. पत्रकार का काम है सवाल करना लोगों की समस्या को सामने रखना है. पत्रकारों को उस दिन सरकार की तारीफ करनी चाहिए जिस दिन सभी समस्या खत्म हो जाये.
  • ऑस्ट्रेलिया टीम इसीलिए अच्छा प्रदर्शन करती है. भारत की राजनीति में भी यह फार्मूला लागू होना चाहिए. फॉर्म में जो नेता नहीं हैं उनके जगह नए नेताओं को टिकट देना चाहिए. यह जो पुराने नेता है उन्हें टेनिस की तरह नॉन प्लेइंग कप्तान बना देना चाहिए जो बाहर बैठकर सलाह देते रहे.
  • 2014 से लेकर 2019 के बीच राहुल गांधी के अंदर बहुत बदलाव आया है. इस चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने कई इंटरव्यू दिए है. शुक्रवार को राहुल गांधी ने एनडीटीवी के रवीश कुमार को इंटरव्यू दिया. मध्य प्रदेश के सुजालपुर में यह इंटरव्यू हुआ. इंटरव्यू के लिए मैं भी रवीश कुमार के साथ ट्रेवल कर रहा था. हम सबके मन में एक सवाल यह भी था क्या राहुल गांधी लाइव इंटरव्यू देंगे? समय के मुताबिक राहुल गांधी सुजालपुर पहुंचते है फिर कार्यक्रम शुरू होता है. स्टेज पर कमल नाथ समेत कई बड़े नेता मौजूद थे. मेरी नजर राहुल गांधी पर थी, यह पहला मौका था जब मैं राहुल गांधी को करीब से देख रहा था. राहुल के हावभाव पर मेरी नजर थी. मैं राहुल गांधी का आत्मविश्वास को मापने में लगा हुआ था.
  • बीते रविवार को दिल्ली रैली की राजधानी बना रहा. देश के अलग हिस्सों से हजारों की संख्या में मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन करते हुए नजर आए. संसद मार्ग पर एक तरफ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी तरफ अलग-अलग राज्यों से आए मजदूर विरोध जता रहे थे. संसद मार्ग से थोड़ी दूर जंतर मंतर पर मिलिट्री फोर्स के रिटायर्ड जवान प्रदर्शन कर रहे थे. दूर-दूर तक इन मजदूरों ली आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन इन आवाजों को कैद करने के लिए मीडिया चैनलों के कैमरे नहीं थे.
  • जिन किसानों ने बीजेपी को वोट दिया था आज वो परेशान है .अनाज का सही MSP नहीं मिल रहा है. किसान आज सड़क पर प्रदर्शन कर रहा है. अपना हक मांग रहा है. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम यह दर्शाती है कि लोग बीजेपी से खुश नहीं है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की बड़ी हार है. तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार थी. यह हार सिर्फ बीजेपी की नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी है. 
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