लॉकडाउन को हुए दो महीने, क्या कोरोना वायरस रोकने में कामयाब हो पाया है भारत?

चिंता की बात यह है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राज़ील, रूस, संघर्ष कर रहे हैं तो ऐसे में 130 करोड़ वाला भारत क्या कोरोना वायरस को कंट्रोल कर पाएगा?

लॉकडाउन को हुए दो महीने, क्या कोरोना वायरस रोकने में कामयाब हो पाया है भारत?

मार्च के महीने में जब इटली में रोज कोरोना के 5000 से ज्यादा केस आ रहे थे तब डर लगता था. हर जगह इटली की चर्चा थी और इटली के प्रति एक सहानुभूति भी थी. भारत के साथ जब इटली की तुलना की जाती थी तो मन में एक सुकून भी था कि इटली में जिस रफ्तार में केस बढ़ रहे थे, भारत में उस रफ्तार में नहीं बढ़ रहे थे. उस समय इटली जैसे देश कोरोना को लेकर काफी चिंतित थे. लॉकडाउन लागू कर दिया गया था तो भारत के लोग ताली और थाली बजाने में व्यस्त थे. 21 मार्च को इटली में एक दिन में 6557 केस आए थे. उसके बाद कभी एक दिन इससे ज्यादा केस नहीं आए. अगर भारत की बात की जाए तो 21 मार्च को भारत में 83 नए केस आए थे. 21 मार्च तक भारत के कुल केस 332 थे जबकि इटली के कुल केस 53578 थे. यानी भारत से इटली में करीब 161 गुना ज्यादा केस थे. 

इटली की चर्चा इसीलिए कर रहा हूं क्योंकि अब बाजी पलट गई है. अब इटली कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाब हो रहा है जबकि भारत में केस बढ़ते जा रहे हैं. 24 मई को जो आंकड़े आए हैं उसके हिसाब से भारत में पिछले 24 घंटे में 6767 नए केस आए हैं जबकि 23 मई को इटली में 669 नए केस आए हैं. यानी इटली में भारत से करीब 10 दस गुना कम केस आए हैं. यह आंकड़े बदलते रहेंगे क्योंकि भारत में लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं. जबकि इटली में केस कम होते जा रहे हैं. 20 अप्रैल के बाद इटली में एक्टिव केस कम होते चले गए हैं. 20 अप्रैल को इटली में कुल एक्टिव केस 108237 थे जबकि 23 मई तक यह 57752 हो गए हैं. 20 अप्रैल को भारत में कुल एक्टिव केस 14674 के करीब थे जबकि 22 मई तक यह बढ़कर 69000 के करीब पहुंच गए हैं.

अगर मृत्य दर की बात की जाए तो भारत में इटली से कम मौतें हुई हैं. इटली में मृत्य दर 14 प्रतिशत से भी ऊपर है. यानी इटली में संक्रमित हर 100 में से करीब 14 लोगों की मौत हुई है. 24 मई की दोपहर तक इटली में कुल केस 229327 थे जिसमें से 32735 लोगों की मौत हो गई. भारत के कुल केस 131868 थे और 3867 लोगों की मौत हुई. भारत में मृत्य दर 3 प्रतिशत के करीब है. यानी हर 100 संक्रमित व्यक्तियों में से करीब 3 लोगों की मौत हुई है.. इसमें एक बात याद रखने की जरूरत है कि इटली में जब ज्यादा से ज्यादा केस आने लगे थे तब वहां जितनी संख्या में वेंटिलेटरों की जरूरत थी वो नहीं मिल पा रहे थे. इटली एक समय यह भी सोचने लगा था कि 60 साल के ज्यादा उम्र के लोगों को वेंटिलेटर नहीं दिया जाए, सिर्फ युवाओं को दिया जाए. 

भारत में अब लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं. यह बताना मुश्किल है कि भारत में केस कब चरम तक पहुंचेंगे. अगर भारत की स्थिति इटली की तरह होती है तो क्या भारत सभी क्रिटिकल मरीजों को वेंटिलेटर देने में सक्षम हो पाएगा? एक सवाल और भी है कि जब इटली में केस चरम पर थे तब इटली में लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जा रहा था. भारत में समस्या यह है कि जब केस बढ़ते जा रहे हैं तब लॉकडाउन में ढील दे दी गई है. एक समय इटली का जो हाल था अब कई दूसरे शक्तिशाली देशों का भी वही हाल है. कोरोना केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कुछ पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है? 

कई देश तो शुरुआती दौर में कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाब हुए थे लेकिन अचानक हाथ से मामला निकल गया है. शुरुआत में जर्मनी की काफी तारीफ हुई थी. जहां फ्रांस, इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में केस बढ़ते जा रहे थे, जर्मनी कोरोना संख्या रोकने में कामयाब हुआ था. 17 फरवरी तक जर्मनी में सिर्फ 16 केस थे. 17 मार्च तक यह संख्या बढ़कर 9367 हुई. 17 अप्रैल तक कुल केस 141397 पहुंच गए. यानी अचानक केस बढ़ते चले गए. 23 मई तक जर्मनी में कुल केस 180000 के करीब पहुंच गए हैं. 9 मार्च को जर्मनी में पहली मौत हुई. 31 मार्च तक 775 लोगों की मौत हुई थी. 23 मई तक जर्मनी में 8366 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई. जर्मनी में एक हफ्ते में पांच लाख के करीब टेस्ट हो रहे थे लेकिन फिर भी वह कोरोना को रोकने में कामयाब नहीं हो पाया है. 

यही हाल रूस का भी है. कोरोना के मामले में रूस की खूब तारीफ हुई थी लेकिन सबसे ज्यादा केस के मामले में रूस तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. दो मार्च को रूस में पहला केस आया. 31 मार्च तक रूस में 2337 केस थे, लेकिन फिर अचानक केस बढ़ते चले गए. 30 अप्रैल तक कुल केस 106498 पहुंच गए. वर्लडो मीटर के हिसाब से 24 मई को दोपहर तक रूस के कुल केस 344481 के करीब पहुंच गए हैं. रूस के साथ एक अच्छी बात यह है कि यहां बहुत कम लोगों की मौत हुई है. यहां कुल मौतें 3541 हैं. यह कुल केस का एक प्रतिशत के करीब है. लेकिन रूस के मौतों के आंकड़े पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.

अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी संघर्ष कर रहा है. अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख के करीब पहुंच गई है. Worldometer के हिसाब से 24 मई को दोपहर तक अमेरिका में कुल केस 1666828 हो गए हैं और 98683 लोगों की मौत हुई है. 23 मई को अमेरिका में कुल 21929 नए केस आए हैं. पिछले चार दिनों में नए केस 97000 के करीब पहुंच गए हैं. 24 मार्च तक अमेरिका में कुल 55398 लोग संक्रमित हुए थे. 24  अप्रैल तक कुल केस 925232 हो गए. यानी एक महीने में 869834 नए केस आए. 30 दिनों का औसत निकाला जाए तो रोज 29000 के करीब नए केस आए हैं. 24 मई तक कुल केस 1666828 हो गए हैं यानी पिछले एक महीने में 796994 नए केस आए हैं. औसत के हिसाब से रोज 26500 के करीब नए केस आए हैं.

अमेरिका के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर प्रोफेसर अनिर्बान बसु ने अनुमान लगाया है कि 2021 तक अमेरिका में कोरोना से 3.5 लाख से लेकर 12 लाख तक लोगों की मौत हो सकती है. प्रोफ़ेसर बसु ने यह भी बताया है विचलित करने वाला आंकड़ा है लेकिन पब्लिक हेल्थ को ठीक करके इस आंकड़े को कम किया जा सकता है. प्रोफसर बसु ने यह भी अनुमान लगाया है कि अमेरिका में 30 प्रतिशत के करीब लोग इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. 

सबसे ज्यादा केस के मामले में ब्राज़ील दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. ब्राज़ील में कुल केस 350000 के करीब पहुंच गए हैं. कुल 22000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है. ब्राज़ील में पहला केस 25 फरवरी को आया था. 25 मार्च तक ब्राज़ील में कुल केस 2554 थे. यानी 30 दिनों का औसत निकाला जाए तो रोज के हिसाब से 85 के करीब केस आए थे. 25 अप्रैल  तक कुल केस 59196 हो गए. यानी 25 मार्च और 25 अप्रैल के बीच 56642 नए केस आए. 24 मई की दोपहर तक ब्राज़ील में कुल केस 350000 के करीब  पहुंच गए हैं. यानी पिछले 27 दिनों में 291000 नए के आए हैं. पिछले 29  दिनों का औसत निकाला जाए तो ब्राज़ील में रोज 10000 से भी ज्यादा नए केस आए हैं. 

सबसे ज्यादा केस के मामले में स्पेन चौथे स्थान पर है. स्पेन में कुल 283000 के करीब लोग संक्रामित हुए हैं जबकि 28700 के करीब लोगों की मौत हुई है. स्पेन में एक्टिव केस कम होते जा रहे हैं. मार्च 19 के बाद स्पेन में रोज 3000 से भी ज्यादा केस आने लगे थे. मार्च 26 के बाद 8000 से भी ज्यादा केस आने लगे थे. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कम केस आ रहे हैं. 23 मई को सिर्फ 466 नए केस आए थे. 

कोरोना के मामले में कई देशों ने अच्छा काम भी किया है. न्यूज़ीलैंड में अब एक्टिव केस 28 रह गए हैं. न्यूज़ीलैंड में कुल 1504 लोग संक्रमित हुए थे जबकि 21 लोगों की मौत हुई. यह ध्यान रखना चाहिए कि न्यूज़ीलैंड एक छोटा देश है. यहां कुल जनसंख्या 50 लाख के करीब है. साउथ कोरिया में भी एक्टिव केस सिर्फ 705 रह गए हैं. साउथ कोरिया में कुल 11190 लोग संक्रमित हुए हैं जिसमें से 10213 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं. 266 लोगों की मौत हुई है. पिछले पांच दिनों में साउथ कोरिया में सिर्फ 112 नए केस आए हैं. स्विटजरलैंड में भी एक्टिव केस कम होते चले गए हैं. लेकिन सवाल यह है कि यह सब छोटे देश हैं जहां जनसंख्या बहुत कम है. 

चिंता की बात यह है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राज़ील, रूस, संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में 130 करोड़ वाला भारत क्या कोरोना वायरस  को कंट्रोल कर पाएगा? आंकड़े बताते हैं कि कहीं लॉकडाउन काम किया गया है तो कहीं लॉकडाउन फेल हुआ है, कहीं ज्यादा टेस्टिंग काम में आई है तो कहीं यह काम नहीं आई है. कोरोना ने सबको अचंभित किया है. भारत में लॉकडाउन के दो महीने हो गए हैं लेकिन एक्टिव केस कम नहीं हो रहे हैं. लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं. पिछले पांच दिनों में 25000 से भी ज्यादा केस आए हैं. अमेरिका, रूस, ब्राज़ील में जिस संख्या में रोज केस बढ़ रहे हैं भारत में अब ऐसा नहीं हो रहा है लेकिन अगले दो महीने में ही पता चलेगा कि भारत कहां खड़ा है?

(सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं)

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