
- मेघालय सरकार विवाह से पहले एचआईवी जांच को अनिवार्य करने के लिए नया कानून लाने पर विचार कर रही है
- राज्य में एचआईवी/एड्स के मामले देश में छठे स्थान पर हैं और पूर्वोत्तर क्षेत्र पर इसका विशेष प्रभाव है
- स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को कैबिनेट नोट तैयार करने का निर्देश दिया है ताकि नई नीति बनाई जा सके
मेघालय की स्वास्थ्य मंत्री एंपरीन लिंगदोह ने बताया कि सरकार राज्य में एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए विवाह से पहले एचआईवी जांच अनिवार्य करने के लिए नया कानून लाने पर विचार कर रही है. उन्होंने बताया कि मेघालय एचआईवी/एड्स प्रसार के मामले में देश में छठे स्थान पर है और पूर्वोत्तर क्षेत्र पर इसका अधिक प्रभाव देखा जा रहा है.
लिंगदोह ने कहा, ‘‘अगर गोवा ने विवाह से पहले एचआईवी जांच को अनिवार्य कर दिया है तो मेघालय को भी इस तरह का कानून क्यों नहीं लागू करना चाहिए? यह पूरे समाज के लिए फायदेमंद होगा.'' स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग की अध्यक्षता में एक बैठक में हिस्सा लिया जिसमें समाज कल्याण मंत्री पॉल लिंगदोह और ईस्ट खासी हिल्स जिले के आठ विधायक भी शामिल हुए. इस बैठक में एचआईवी/एड्स पर एक नीति बनाने पर चर्चा हुई.
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में कैबिनेट नोट तैयार करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही इसी तरह की बैठकें गारो हिल्स और जैंतिया हिल्स क्षेत्रों में आयोजित की जाएंगी ताकि क्षेत्रवार रणनीति तैयार की जा सके. स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि सिर्फ ईस्ट खासी हिल्स जिले में ही अब तक एचआईवी/एड्स के 3,432 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से केवल 1,581 मरीज ही उपचार प्राप्त कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि राज्य में इस संक्रमण का प्रमुख कारण असुरक्षित यौन संबंध हैं. मंत्री ने कहा, ‘‘हमें सुनिश्चित करना होगा कि जांच के बाद संक्रमित पाए गए हर व्यक्ति का इलाज कराया जाए. एचआईवी/एड्स घातक नहीं है, अगर इसका समय पर और सही तरीके से इलाज हो.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं