बीते रविवार को दिल्ली रैली की राजधानी बना रहा. देश के अलग हिस्सों से हजारों की संख्या में मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन करते हुए नजर आए. संसद मार्ग पर एक तरफ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी तरफ अलग-अलग राज्यों से आए मजदूर विरोध जता रहे थे. संसद मार्ग से थोड़ी दूर जंतर मंतर पर मिलिट्री फोर्स के रिटायर्ड जवान प्रदर्शन कर रहे थे. दूर-दूर तक इन मजदूरों ली आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन इन आवाजों को कैद करने के लिए मीडिया चैनलों के कैमरे नहीं थे. शायद मीडिया के कैमरे नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस और रैली कवर करने में व्यस्त थे. शाम को टीवी चैनलों पर इन प्रदर्शनकारियों के मुद्दों पर कोई बहस भी नहीं हुई.
सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया
सितंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं से बातचीत की थी. प्रधानमंत्री ने आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों की तन्ख्वाह बढ़ाने की बात कही थी. आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों द्वारा देश भर में किए गए प्रदर्शन के बाद सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया था. प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि बढ़े हुए पैसे दीवाली से पहले कार्यकर्ताओं के एकाउंट में आ जाएंगे. छह महीने हो गए लेकिन अभी तक पैसा नहीं आया है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शिवानी कौल का कहना है कि यह सरकार सिर्फ जुमलेबाजी करती रहती है. शिवनी ने कहा कि सरकार ने आंगनवाड़ी वर्कर्स के लिए 1500 और हेल्पर्स के लिए 750 रुपये बढ़ाने की बात कही थी लेकिन अभी तक यह पैसा नहीं मिली है. कौल का यह भी कहना है कि सरकार की तरफ से अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है.
आंगनवाड़ी कर्मियों के सामने कई समस्याएं
दिल्ली की रैली में हजारों आंगनवाड़ी कर्मी शामिल हुईं. कोई 25 साल से काम कर रही है तो कोई 20 साल से, वेतन के नाम पर वर्करों को 9600 रुपये मिल रहे हैं तो हेल्परों को 4800. इतने कम वेतन में इन लोगों के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है. इस प्रदर्शन में आईं एक महिला ने बताया कि वे पैसा न होने की वजह से अपने बच्चे का इलाज नहीं करवा पाईं और उसकी मौत हो गई. इस महिला के बेटे की किडनी फेल हो गई थी. प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए पैसा नहीं था और सरकारी अस्पताल में समुचित इलाज नहीं हो पाया. आंगनवाड़ी कर्मियों का कहना है कि उनको छुट्टी भी नहीं मिलती है. इमरजेंसी में कभी छुट्टी लेते हैं तो पैसा काट दिया जाता है. महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि आंगनवाड़ी में मिलने वाले खाने की क्वालिटी काफी खराब है. आंगनवाड़ी कर्मी वेतन बढ़ाने के साथ-साथ नौकरी स्थायी करने की मांग कर रही हैं.
मजदूरों को काम नहीं मिल रहा
मजदूर रैली में अलग-अलग राज्यों के मजदूर शामिल हुए. बिहार, ओडिशा, हरियाणा, कर्नाटक,उत्तर प्रदेश जैसे कई बड़े राज्यों के मजदूर इस रैली में शामिल हुए. मजदूरों की कहानी काफी मार्मिक है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है, न सरकार, न ही मीडिया. बिहार से आए मजदूरों ने बताया कि उनके पास काम नहीं है. मनरेगा के तहत काम नहीं मिलती है. कई मजदूरों को 2015 से मनरेगा का पैसा भी नहीं मिला है. हरियाणा के जींद जिले से आए एक मजदूर ने बताया कि मनरेगा में काम पाने के लिए रिश्वत देना पड़ रही है. जब काम नहीं मिल रहा है तो मजदूरों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है.
क्या फ्री सिलिंडर में गैस भर पा रहे हैं मजदूर?
मजदूर रैली में 60 साल से भी ज्यादा उम्र की महिलाएं भी शामिल हुईं. यह महिलाएं मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि इन्हें पेंशन नहीं मिल रही है. कई मजदूरों ने बताया कि राशन भी नहीं मिल रहा है. अगर परिवार में 10 सदस्य हैं तो राशन सिर्फ दो सदस्यों के लिए मिल रहा है. बिहार से आए कुछ मजदूरों ने बताया कि बिजली बिल बहुत ज्यादा आ रहा है. घर में सिर्फ बल्ब जलते हैं, न फ्रिज है, न टीवी लेकिन साल का 35000 रुपये बिजली बिल आया है. कई मजदूरों को मजबूर होकर अपना बिजली कनेक्शन काट देना पड़ा है. उज्ज्वला स्कीम के तहत सरकार गरीब लोगों लो फ्री में गैस सिलेंडर देने की बात कह रही है लेकिन इस रैली में आए मजदूरों का कहना है सिलिंडर तो मिले हैं लेकिन गैस भरने के लिए पैसे नहीं है. सिलिंडर ऐसे खाली पड़े हुए हैं.
सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं
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