नफरत एक ऐसा नशा है जो आपकी जिंदगी का नक्शा बदल देता है. अगर आप नफरत के नशे के शिकार हो गए हैं तो आपको इससे निकलने के लिए भाईचारा और मोहब्बत जैसी दवाई की जरूरत है. यह दवाई कहीं मेडिसिन स्टोर में नहीं मिलती है, यह समाज में ही मिलती है, आप के आसपास है. बस आपको महसूस करने की जरूरत है. जिस दिन आप भाईचारे और मोहब्बत को महसूस कर लेंगे उस दिन आप नफरत के नशा से मुक्त हो जाएंगे. आप और आपके बच्चों की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाएगी. हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति होती है, मंदिर-मस्जिद तोड़े जाते हैं. धर्म के नाम पर आपको उलझा दिया जाता है.आप पत्थर लेकर सड़क पर उतरते हैं, एक-दूसरे से लड़ते हैं, दंगाई बन जाते हैं. फिर आप और आपका परिवार बर्बाद हो जाता है. जो आपको दंगाई बनाता है उसका जिंदगी खुशहाल होती है.
आज मैं आपके सामने नफरत नहीं भाईचारे और मोहब्बत की कहानी लेकर आया हूं. इस कहानी के मुख्य किरदार मोहब्बत और भाईचारा हैं जिन्होंने कई क्रिकेटरों की जिंदगी सवारी है.आज वे खिलाड़ी आईपीएल में खेल रहे हैं, नाम कमा रहे हैं. खिलाड़ी हिन्दू हैं तो कोच मुसलमान है, कोच हिन्दू है तो खिलाड़ी मुसलमान है. दोनों एक-दूसरे के हाथ पकड़कर आगे बढ़ गए. भाईचारा और मोहब्बत ने इन खिलाड़ियों की ज़िंदगी बना दी. जम्मू एक्सप्रेस उमरान मलिक को आप जानते होंगे. उमरान 157 की रफ्तार में आईपीएल में गेंद फेंक रहे हैं. 14 मैच में 21 विकेट ले चुके हैं. सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में उमरान पांचवे स्थान पर हैं. एक बार एक पारी में पांच विकेट भी ले चुके हैं. इस सीजन में हैदराबाद के लिए सबसे ज्यादा विकेट उमरान मलिक ने लिए हैं. उमरान के पिता पिछले 50 सालों से फल बेच रहे हैं. क्या आप जानते हैं उमरान के कोच कौन हैं, जिन्होंने शुरुआत में उमरान की खूब मदद की. अगर कोच मदद नहीं करते तो आज उमरान यहां तक नहीं पहुंच पाते. उमरान के कोच का नाम रणधीर सिंह है.
एक और खिलाड़ी तिलक वर्मा की बात करते हैं. तिलक वर्मा के पिता इलेक्ट्रीशियन हैं. तिलक हैदराबाद के रहने वाले हैं. मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहे हैं. तिलक वर्मा ने मुंबई के लिए 14 मैच में 397 रन बनाए हैं. तिलक वर्मा एक शानदार खिलाड़ी हैं. इस खिलाड़ी को शानदार बनाने में मोहब्बत ओर भाईचारा ही काम में आया. तिलक वर्मा के पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि अपने बेटे को किसी अकादमी में दाखिला दिला सकें. जहां पैसा नहीं होता है वहां मोहब्बत और भाईचारा काम आता है. तिलक के टैलेंट को देखते हुए कोच सलाम बयाश उनको पिछले 10 साल से फ्री में कोचिंग दे रहे हैं. एक समय था जब बयाश रोज तिलक को अपनी स्कूटी में बिठाकर स्टेडियम ले जाते थे फिर घर छोड़ देते थे. सलाम बयाश को उनके पिता ने सलाह दी थी कि कोचिंग देते वक्त कभी हिन्दू-मुस्लिम मत देखना, टैलेंट को देखते हुए कोचिंग देना. बयाश अपने पिता की सलाह को मानते हुए आज यही काम कर रहे हैं. बयाश की अकादमी में करीब 200 बच्चे हैं, सिर्फ 15 बच्चे हीं मुसलमान हैं बाकी सब हिन्दू हैं. पी विष्णु,अनीश रेड्डी, अर्नब जैसे कई खिलाड़ी आज स्टेट लेवल खेल रहे हैं.
रिंकू सिंह अलीगढ़ के रहने वाले हैं. रिंकू के पिता घर-घर गैस सिलेंडर पहुंचाते हैं. रिंकू कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेल रहे हैं. रिंकू को यहां तक पहुंचाने में दोस्त मोहम्मद जीशान और कोच मसूदूज़ अमिनी का सहयोग है.अमिनी पिछले 20 साल से अलीगढ़ में कोचिंग दे रहे हैं. अकादमी के 90 प्रतिशत बच्चे हिन्दू हैं. अमिनी की अकादमी का नाम अलीगढ़ क्रिकेट स्कूल है. एक और बात बताता हूं. रिंकू के पिता का नाम खानचंद सिंह है, कितना शानदार है न. रिंकू की मां का नाम रेणु देवी है.
मैं जानता हूं लोग कहेंगे खेल को धर्म से क्यों जोड़ रहा हूं. मैं खेल को धर्म से नहीं जोड़ रहा हूं, बस मोहब्बत और भाईचारे की बात कर रहा हूं. अगर हमारा समाज इतना परिपक्व होता तो आज देश में धर्म के नाम पर हिंसा नहीं होती. मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़ाई नहीं होती. नफरत ही सबको बर्बाद कर रहा है. नफरत को छोड़िए मोहब्बत और भाईचारा को अपना लीजिए. एक-दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ते जाईए. हाथ में पत्थर नहीं कलम लीजिए. मोहब्बत और भाईचारा की किताब लिखिए. यह किताब ही आपके बच्चों की ज़िंदगी में काम आएगी. ज़िंदगी बहुत छोटी है उसे प्यार और मोहब्बत से बड़ा बना दीजिए..