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This Article is From Mar 25, 2020

क्या 16 फीसदी बुजुर्गों के बारे में सोचना बंद कर देगा अमेरिका? 

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 25, 2020 01:28 am IST
    • Published On मार्च 25, 2020 01:28 am IST
    • Last Updated On मार्च 25, 2020 01:28 am IST

कोरोनावायरस के कहर से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. अमेरिका, चीन, इटली, फ्रांस, स्पेन और इंग्लैंड जैसे शक्तिशाली देश इस वायरस के सामने कमजोर नज़र आ रहे हैं. जो देश परमाणु बम और केमिकल हथियार से एक दूसरे को धमकी देते रहते हैं कोरोना वायरस का हल नहीं ढूंढ पा रहे हैं. कोरोनावायरस का टीका कब बनेगा इसकी कोई समयसीमा नहीं है. कोई कह रहा 18 महीने लगेंगे तो कोई कह रहा दो साल. अगर एक टीका बनाने में इतना समय लग जाएगा तो दुनिया कितना आगे गया है इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. मारने के लिए काफी सारे हथियार देश सब बना तो लिया है, लेकिन लोगों को बचाने के लिए, टीका बनाने के लिए इनके पास कोई विकल्प नहीं है. इस में कोई दोराय नहीं कि इस वायरस ने सबकी कमर तोड़ दी है. लोग दुखी हैं, परेशान हैं लेकिन एक बात तो साफ है कि इस वायरस की वजह से दुनिया का हेल्थ सिस्टम कितना लाचार है यह पता चल गया है. 

अमेरिका में ICU और वेंटिलेटर की कमी बहुत जल्दी होने वाली है. अमेरिका कह रहा है अगर कोरोना इस रफ्तार बढ़ने लगा कि तो एक हफ्ते के बाद वेंटिलेटर की कमी होगी और सबको वेंटिलेटर नहीं मिल पाएगा. न्यूयॉर्क सिटी के फ़ेडरल अफसर ने कहा है कि अगर एक हफ्ते के अंदर वेंटिलेटर नहीं मिलेगा तो हम उन लोगों को खो देंगे जिनको हम बचा सकते थे. इंग्लैंड में भी वेंटिलेटर की कमी है. इंग्लैंड में इस समय 30000 वेंटिलेटर की जरूरत है, लेकिन इंग्लैंड के पास सिर्फ 8000 के करीब वेंटिलेटर है. महीने के अंत तक इंग्लैंड को कम से कम 5000 वेंटिलेटर किसी भी हालत में चाहिए. स्मिथ ग्रुप, एयरबस, मैकलारेन, निसान जैसी कंपनियां वेंटिलेटर बनाने में लग गए हैं.

इटली में वेंटिलेटर की बहुत कमी है. The Sun ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उत्तरी इटली में अब 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए वेंटिलेटर मुहैया किया जाएगा, यानी जो बुजुर्ग हैं उनको वेंटिलेटर नहीं दिया जाएगा. यह निर्णय कितना खतरनाक है. एक रोगी तड़पता रहेगा, लेकिन उसे वेंटिलेटर नहीं मिल पायेगा. इटली में 60000 के करीब लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं और 5500 के करीब लोगों की मौत हो गई है. स्पेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे देश में अस्पताल में बेड नहीं है. आर्मी को मदद के लिए सड़क पर उतरना पड़ा है. आर्मी अस्थाई अस्पताल बनाने में लगी हुई है. जर्मनी के विएना में एक 15000 स्क्वॉयर फ़ीट हॉल को 880 बेड का कोरोनावायरस अस्पताल बना दिया गया है. जर्मनी ने 10000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया है. स्पेन की सरकार लगभग 4000 होटल कमरे को अस्पताल बेड बनाने की योजना बना रही है. एक कॉवेक्शन सेन्टर में करीब 5500 बेड बनाने की तैयारी चल रही है.

बड़े बड़े देश इस समय संघर्ष कर रहे हैं. भारत का हाल क्या होगा यह अभी पता नहीं. यूरोपियन देशों की तरह भारत में इतने ज्यादा केस नहीं आये हैं, लेकिन कभी भी यह संख्या बढ़ सकती है. भारत की जनसंख्या देखते हुए डरने की जरूरत है. इटली में हर दस लाख में 1057 लोग कोरोना का शिकार हुए हैं. यानी एक लाख में 105 लोग संक्रमित हुए हैं. इटली की जनसंख्या 6 करोड़ है और अब तक 63927 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. स्पेन में हर दस लाख में 449 लोग संक्रमित हुए हैं. जर्मनी में हर दस लाख में 362 लोग संक्रमित हुए हैं. अमेरिका में हर दस लाख में 139 लोग संक्रमित हुए हैं. चीन जहां से इस वायरस की शुरुआत हुई थी वहां हर दस लाख में 56 लोग संक्रमित हुए हैं. अब जिस तरीके से यह बीमारी बढ़ते जा रही है आगे इस आंकड़े में बढ़ोतरी होगी.

इटली की तरह अगर भारत की स्थिति हुई तो लाखों संख्या में लोग इस वायरस से संक्रमित होंगे. क्या हम इस सब के लिए तैयार हैं? क्या भारत के पास वेंटिलेटर प्रयाप्त मात्रा में है? जब बड़े-बड़े देश जहां जनसंख्या कम है वो वेंटिलेटर और ICU को लेकर परेशान है तो भारत परेशान क्यों नहीं है? अभी से वेंटिलेटर ऑर्डर करने की जरूरत है. हो सकता है कि भारत में कोरोना वायरस से ज्यादा संक्रमित न हो. भारत सरकार रोकने में कामयाब हो जाये, लेकिन अगर यह मात्रा बढ़ते गया तो उसके लिए हम लोग कितने तैयार हैं? अगले तीन हफ्ते में भारत की स्थिति के बारे में पता चल सकता है.

मंगलवार को पीएम ने घोषणा की है कि रात के 12 बजे से पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया जाएगा. अगले 21 दिन के लिए यह होगा. कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने 15 हज़ार करोड़ भी सैंक्शन किए हैं. अब लोगों को पूरी तरह यह तय कर देना चाहिए कि 21 दिन तक बाहर नहीं निकलना है नहीं तो वो 21 साल पीछे चले जाएंगे. पूरी दुनिया में कोरोना से अब तक कुल मिलाकर 392952 लोग संक्रमित हो चुके हैं और हर दस लाख में 50 के करीब लोग संक्रमित हुए हैं. अगर इस आंकड़े से तुलना की जाए तो भारत में 65000 के करीब संक्रमित हो सकते हैं. इस आंकड़े में कमी भी आ सकती है और बढ़ोतरी भी हो सकती है. अगर कोरोना को रोकना है तो अब लोगों को सरकार और डॉक्टरों की हर बात मानना चाहिए.

बात सिर्फ संक्रमित या मरने की नहीं है. इस वायरस की वजह से पूरी अर्थव्यवस्था के ऊपर भी असर होगा. अगर यह वायरस ज्यादा दिन तक रहता है और लॉकडाउन जारी रहता है तो लाखों संख्या में नौकरी जाएगी, कई कंपनियां बंद होंगी. ऐसी स्थिति के लिए भारत कितना तैयार है? सरकार बार-बार कह रही है कि वो तैयार है और बहुत जल्द पैकेज की घोषणा की जाएगी. अमेरिका जैसे धनी देश इस स्थिति को संभाल नहीं पा रहा है. अमेरिका में अभी कई शहरों में लॉकडाउन है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लॉकडाउन को लेकर साफ संदेश दे दिया है. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका ज्यादा दिन तक लॉकडाउन से गुजर नहीं सकता. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका लॉकडाउन के लिए बना ही नहीं और अर्थव्यवस्था को वो कोरोना से निकालना होगा जबकि अमेरिका के डॉक्टरों का कहना है कि महीनों तक लॉकडाउन की जरूरत है नहीं तो स्थिति बहुत खराब हो सकती है. ट्रंप ने इस बात को नकार दिया है. अब लोगों की ज़िंदगी से ज्यादा ट्रम्प को अर्थव्यवस्था की पड़ी है.

ट्रंप ने कहा की जब अर्थव्यवस्था लुढ़क जाएगी तब लोग आत्महत्या करने लगेंगे और यह संख्या कोरोना से मरे हुए संख्या से ज्यादा होगी. अगर ट्रंप लॉकडाउन हटाने का निर्णय लेते हैं तो क्या होगा? फिर अमेरिका के लोग काम करने के लिए जाएंगे. वायरस का शिकार होंगे और उनमें से कइयों की मौत होगी. ट्रंप को पता है की कोरोना का असर युवाओं के ऊपर कम हो रहा है. जो भी लोग मर रहे हैं उस मे ज्यादातारों की उम्र 65 साल से ज्यादा है. ट्रंप ने साफ तरीके से यह संदेश देने की कोशिश की है कि युवाओं के भविष्य को देखते हुए बुजुर्गों को अपना ज़िंदगी के साथ समझौता करना पड़ेगा. आंकड़े के हिसाब से अमेरिका की जनसंख्या 33 करोड़ की करीब है, जिसमें से 16 प्रतिशत लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा है. 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 22 प्रतिशत हो जाएगी. अगर ट्रंप जो कह रहे हैं वो करते हैं तो अमेरिका के 16 प्रतिशत लोगों की ज़िंदगी को दावं पर लगाएंगे. युवाओं के लिए बुजुर्गों को अपने ज़िंदगी के साथ समझौता करना पड़ेगा. 


सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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