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This Article is From Dec 12, 2018

यह हार बीजेपी के साथ-साथ मीडिया की भी है, लेकिन जीत कांग्रेस की नहीं किसानों की हुई है

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 12, 2018 13:42 pm IST
    • Published On दिसंबर 12, 2018 13:29 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 12, 2018 13:42 pm IST
वर्ष 2014 की बात है तब लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई थीं. इलेक्शन स्टोरी करने के लिए मैं दिल्ली से लुधियाना के लिए ट्रेन में सफर कर रहा था. प्रोग्राम का नाम “टिकट इंडिया का” था. शूट ट्रेन में करना था और ट्रेन में सफर कर रहे लोगों से बात करना था, उनके मिज़ाज को जानना था. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता मैंने देखा था. कम्पार्टमेंट में जीतने भी लोग थे वो सिर्फ मोदी की तारीफ कर रहे थे. उन्हें लग रहा था कि मोदी ही देश को आगे ले जाएंगे. मुझे याद है एक छोटे बच्चे से जब मैंने पूछा था कि आप भविष्य में क्या बनना चाहते हो तो उसका जवाब था कि वो नरेंद्र मोदी बनना चाहता है. 2014 में मोदी वेव सब ने देखा है. उस समय एक तरफ कांग्रेस के ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे दूसरी तरफ मोदी की शानदार स्पीच ने लोगों के मन मे एक उम्मीद जगाई थी.

2014 में बीजेपी की सरकार बनी. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. शुरुआत में मोदी ने कुछ ऐसे कदम भी उठाए थे, जिसकी तारीफ होने लगी, लेकिन धीरे-धीरे सरकार की कई योजनाएं फ्लॉप साबित हुईं. किसानों को नरेंद्र मोदी सरकार से काफी उम्मीद थी, लेकिन उस उम्मीद पर सरकार अभी तक खड़ी नहीं उतर पाई है. जिन किसानों ने बीजेपी को वोट दिया था आज वो परेशान है .अनाज का सही MSP नहीं मिल रहा है. किसान आज सड़क पर प्रदर्शन कर रहा है. अपना हक मांग रहा है. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम यह दर्शाती है कि लोग बीजेपी से खुश नहीं है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की बड़ी हार है. तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार थी. यह हार सिर्फ बीजेपी की नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी है. 

बीजेपी की बड़ी हार है, लेकिन इस चुनाव में हीरो कांग्रेस नहीं बल्कि किसान है, आम आदमी है. लोगों ने कांग्रेस को नहीं जिताया है बल्कि बीजेपी को हराया है. अक्टूबर के महीने गाज़ियाबाद और 29 और 30 नवंबर को दिल्ली में दो दिन तक हुए किसान रैली में किसानों को अगर कोई करीब से देखा होगा, तो वो समझ गया होगा किसान कितना परेशान है. जिन किसानों ने 2014 में बीजेपी को वोट दिया था,  वो अब बीजेपी के खिलाफ बोल रहे थे. सरकार MSP बढ़ाने की बात करती है लेकिन किसानों से अनाज डायरेक्ट नहीं खरीदती है, जिसके कारण किसान को अपने अनाज को कम दाम में बेचना पड़ रहा है. 

सितंबर के महीने में 30,000 के करीब किसान 15 दिन तक पैदल और ट्रैक्टर में सफर करने के बाद इसीलिए दिल्ली पहुंचे थे, ताकि अपना दुख दर्द सरकार को बता सकें. इस रैली में मध्य प्रदेश के मालवा इलाके से आये किसान बहुत परेशान थे और यह कह रहे थे कि उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ. मालवा इलाके में इस बार बीजेपी बुरी तरह हारी है. किसानों का वोट बीजेपी के खिलाफ गया है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ के किसान भी अपना दुख-दर्द बता रहे थे. सरकार फसल बीमा की बात करती रहती है, लेकिन फसल बीमा से किसानों को कम बीमा कंपनियों को ज्यादा फायदा है. कृषि मंत्रालय के आंकड़े के हिसाब से 2016 और 2017 में खरीफ फसल के लिए जो बीमा हुए थे उस मे बीमा कंपनियों को 10000 करोड़ के करीब फायदा हुआ है. इससे पता चलता है कि किसान फसल बीमा को लेकर जो सवाल उठा रहे हैं वो सही है. रैली के दौरान कई किसानों ने कहा था कि फसल बीमा नहीं कि बल्कि फ्रॉड बीमा है. सिर्फ किसान नहीं आज युवा भी नाराज़ है. युवायों के लिए नौकरी नहीं है. हज़ारों संख्या के युवाओं का चयन हो जाने बावजूद भी ज्वॉइनिंग नहीं हो पा रही है. 

यह हार बीजेपी के साथ-साथ उन न्यूज़ चैनलों का भी है जो आम मुद्दे को दरकिनार करते हुए ज्यादा से ज्यादा  हिन्दू मुस्लिम टॉपिक पर डिबेट कर रहे हैं. किसान और आम आदमी परेशान होकर जब सड़क से संसद तक प्रदर्शन कर रहा है. जब रात के अंधेरे में किसान रो रहा था, अपना हक का मांग रहा था, मीडिया से अपने मुद्दा उठाने के लिए भीख मांग रहा था, तब ज्यादातर एंकर पाउडर लगाकर, टाई पहनकर स्टूडियो में सरकार की तारीफ करने में लगे हुए हैं. लोगों को मीडिया का व्याख्या करना जरूरी हो गया है. रोज की क्लिप निकालिए और देखिए किस-किस विषय पर डिबेट हुआ है. आज यह साबित हो गया कि मीडिया में कितना भी प्रचार कर लीजिए लेकिन आप आम आदमी को दरकिनार नहीं कर सकते हैं. यही लोकतंत्र है. आगे किसान और युवा ही देश का भविष्य तय करेगा. 

किसानों ने कांग्रेस के लिए एक विनिंग पिच तैयार कर दिया है. बहुत दिनों के बाद कांग्रेस फॉर्म में लौटी है. यह सिर्फ T20 मैच था. असली टेस्ट तो अप्रैल 2019 में है. कांग्रेस को अपने फॉर्म को बरकरार रखने के लिए जहां जीत हुई है, वहां अच्छा कप्तान चुनना पड़ेगा. कप्तान को किसान और युवाओं का ध्यान रखते हुए एक कदम आगे आकर बल्लेबाजी करनी पड़ेगी, नहीं तो आगे कांग्रेस को हारने से कोई नहीं बचा सकता. 

सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं

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