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This Article is From May 17, 2020

क्या कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में सक्षम हो पाएगी ओडिशा सरकार?

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 17, 2020 18:16 pm IST
    • Published On मई 17, 2020 18:16 pm IST
    • Last Updated On मई 17, 2020 18:16 pm IST

एक समय कोरोना को नियंत्रित करने के मामले में ओडिशा सरकार की काफी तारीफ हुई थी. ऐसा लगा था कि कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने में ओडिशा सरकार जल्दी कामयाब हो जाएगी. इसके पीछे कई वजह भी थीं. पहली वजह यह थी कि ओडिशा के 30 में से 22 जिले कोरोना फ्री थे और जिन आठ ज़िलों में केस थे उसमें से कुल केस के 80 प्रतिशत सिर्फ एक ज़िले यानी खोरदा में थे. ओडिशा में पहला केस 16 मार्च को खोरदा ज़िले में ही आया. 31 मार्च तक ओडिशा में चार केस थे और 15 अप्रेल तक ओडिशा में कुल केस 60 पहुंचे थे. इसमें से 40 लोग ठीक होकर घर जा चुके थे जबकि एक की मौत हुई थी. 15 अप्रैल तक कुल 60 केस में से 46 केस सिर्फ खोरदा ज़िले से थे, यानी कुल केस के 80 प्रतिशत के करीब खोरदा ज़िले से थे.

यह अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि अगर खोरदा ज़िले में कोरोना रोकने में ओडिशा सरकार कामयाब हो जाती है तो कोरोना को नियंत्रित करने कामयाब हो जाएगी. खोरदा ज़िले में कोरोना नियंत्रण करने में ओडिशा सरकार कामयाब तो हो गई लेकिन अब दूसरे जिलों में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. खोरदा ज़िले में पहला केस 16 मार्च को आया.15 अप्रैल तक खोरदा ज़िले में कुल 46 थे 17 मई तक कुल केस 59 हैं जिसमें से 45 लोग ठीक होकर घर जा चुके है, दो लोगों की मौत हुई है. यानी एक्टिव केस सिर्फ 12 हैं. पिछले 30 दिनों में खोरदा में सिर्फ 13 नए केस आए हैं.

अगर पूरे ओडिशा की बात की जाए तो हिसाब 16 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कुल केस 60 थे, यानी 30 दिनों में ओडिशा में रोज औसत दो केस आए थे. 30 अप्रैल तक ओडिशा में कुल केस 143 तक पहुंचे. यानी 15 दिनों में 83 नए केस आए. रोज के हिसाब से 5 से ज्यादा नए केस थे. एक मई के बाद ओडिशा में केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. 17 मई तक ओडिशा में कुल केस 828 पहुंच गए हैं. यानी पिछले 17 दिनों में 685 नए केस आए हैं. अगर औसत निकाला जाए तो 17 दिनों में रोज 40 केस आ रहे हैं. ओडिशा में कई ऐसे ज़िले हैं जहां कोरोना का कोई केस नहीं था लेकिन पिछले कुछ दिनों से केस सभी जगह बढ़ते जा रहे हैं.

कुछ दिनों पहले तक ओडिशा के गंजाम ज़िले में एक भी केस नहीं था लेकिन अब इस ज़िले में 292 केस हैं. यहां ज्यादातर मजदूर सूरत से आए हैं. दो मई को गंजाम में पहला केस आया अब 17 मई तक 292 केस हो गए. यानी 16 दिनों औसत निकाला जाए तो करीब 18 केस रोज आए हैं. 18 अप्रैल को बालासोर ज़िले में पहला केस आया, सात मई तक बालासोर ज़िले में कुल केस 27 थे. 17 मई तक बालासोर ज़िल में कुल केस 119 हो गए हैं. यानी 8 मई से 17 मई के बीच 92 नए केस आए हैं, पिछले 10 दिनों में औसत नए केस 9 से ज्यादा हैं. तीन अप्रैल को जाजपुर ज़िले में पहला केस आया. 30 अप्रैल तक जाजपुर ज़िले में कुल केस 36 थे.17 मई तक कुल केस 121 पहुंच गए हैं. बालासोर, जाजपुर और भद्रक ज़िले के ज्यादातर प्रवासी मजदूर पश्चिम बंगाल से आए हैं.

17 मई तक ओडिशा के सिर्फ पांच ज़िलों में 80.3 प्रतिशत मरीज हैं. कुल केस 828 से 35.3 प्रतिशत गंजाम ज़िले से हैं,14.4 प्रतिशत केस बालासोर से, 14.6 प्रतिशत केस जाजपुर से, 8.9 प्रतिशत केस भद्रक और 7.1 प्रतिशत केस खोरदा ज़िले से हैं. बाहर राज्यों से लगातार प्रवासी मजदूर ओडिशा वापस आ रहे हैं. 16 मई  तक अन्य राज्यों से 133000 से भी ज्यादा मज़दूर ओडिशा वापस आ चुके हैं. 650000 से भी ज्यादा मज़दूरों ने ओडिशा वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. अब ओडिशा सरकार के लिए जो सिरदर्द का कारण बनने जा रहा है वह है क्वारंटाइन. इतने सारे मज़दूरों को क्वारंटाइन कहां किया जाएगा, यह बड़ा सवाल है. ओडिशा सरकार ने बाहर से आ रहे लोगों के लिए 14 दिनों की जगह 28 दिनों का क़्वारंटाइन समय तय किया है. 21 दिनों तक मज़दूर क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे और सात  दिनों तक अपने घर में क़्वारंटाइन किए जाएंगे. अगर घर में सुविधा नहीं है तो उन्हें सरकारी क्वारंटाइन में 28 दिनों तक रहना पड़ेगा.

ओडिशा में जो लोग अन्य राज्यों से आ रहे हैं और अपने गांव जा रहे हैं तो उनके लिए पंचायत के स्कूल में क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई है. जो अन्य राज्य या देश से आ रहे हैं लेकिन उनका घर शहर में है तो उन्हें होम क्वारंटाइन में रहने के लिए कहा गया है. इसके लिए घर में अलग व्यवस्था सब होनी चाहिए. पूरे परिवार को होम क्वारंटाइन किया जाएगा. घर के बाहर  एक टिकर लगा दिया जाएगा. पड़ोसी को भी नज़र रखने के लिए कहा जाएगा. अगर परिवार  क्वारंटाइन का नियम नहीं मान रहा है तो नोडल अफसर को सूचित करने के लिए कहा गया है. ओडिशा सरकार को बाहर से शहर आ रहे लोगों के लिए भी क्वारंटाइन की व्यवस्था करनी चाहिए? किसी एक व्यक्ति के लिए पूरे परिवार को होम क्वारंटाइन में रखना ठीक बात नहीं.

अगर ग्रामीण क्वारंटाइन की बात की जाए तो ओडिशा सरकार का कहना है कि 6798 ग्राम पंचायतों में  14795 अस्थाई मेडिकल सेंटर बनाए गए हैं जिसमें कुल 628686 बेड़ों की व्यवस्था की गई है लेकिन सवाल यह है कि कई ऐसी पंचायत हैं जहां ज्यादा लोगों ने वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है जबकि बेड की संख्या कम है. जैसे जगतसिंहपुर ज़िले की कनिमूल ग्राम पंचायत में 400 से भी ज्यादा लोगों ने वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. अब उस ग्राम पंचायत के एक स्कूल में 50 बेड की सुविधा है जबकि एक दूसरे स्कूल में व्यवस्था की जा रही है. लेकिन एक साथ में 100 से ज्यादा लोग वापस आएंगे तो उन्हें कहां रखा जाएगा? ऐसी कई ग्राम पंचायतें हैं जहां बेड खाली हैं क्योंकि उस ग्राम पंचायत में ज्यादा लोग वापस नहीं आ रहे हैं.

जैसे-जैसे ओडिशा में प्रवासी मज़दूर आते रहेंगे केस बढ़ते रहेंगे. एक और सवाल भी क्या सभी मजदूरों का ओडिशा सरकार टेस्ट करवा पाएगी? 16  मई को ओडिशा में 5083 टेस्ट हुए थे. अब तक कुल मिलाकर 91223 लोगों के टेस्ट हुए हैं. जितने भी टेस्ट हुए हैं उसकी 0.91 प्रतिशत रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं. आगे अगर कम से कम ओडिशा आने वाले 6 लाख मजदूरों का टेस्ट होता है (जो मुश्किल है) तो 0.91 के हिसाब से 55000 के करीब लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने की आशंका है. इतने लोगों के लिए क्या अस्पताल हैं? इसमें कई लोग ऐसे होंगे जिनके अंदर कोई लक्षण नहीं होगा, तो हो सकता है कि अस्पताल की जरूरत न पड़े लेकिन अगर 20 प्रतिशत लोगों को अस्पताल की जरूरत पड़ती है तो 11000 के करीब अस्पताल बेड चाहिए. अगर 5 प्रतिशत लोगों को ICU की जरूरत पड़ती है तो 550 ICU बेड चाहिए. ओडिशा में कुल Covid अस्पताल 34 हैं और कुल बेड 5493 हैं जिसमें 296 ICU बेड हैं तो संख्या के हिसाब से बेड और ICU कम पड़ सकता है. इसलिए ओडिशा सरकार को अपनी बेड संख्या और ICU बेड डबल करने की जरूरत है.

ओडिशा के साथ एक सकरात्मक बात यह है कि ओडिशा में कोरोना अब तक गांव में नहीं पहुंची है. बाहर से आ रहे हैं प्रवासी मजदूरों की वजह से केस बढ़े हैं. समय के साथ-साथ जैसे-जैसे प्रवासी मजदूरों का आना कम होता जाएगा, केस भी कम होते चले जाएंगे. ओडिशा सरकार ने एक अच्छा काम यह किया कि अपने लोगों को ओडिशा वापस ला रही है. एक बार ओडिशा हाई कोर्ट ने यह भी आर्डर दे दिया था कि ओडिशा में सिर्फ वे मजदूर वापस आ सकते हैं जिनकी रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई हो. लेकिन ओडिशा सरकार ने  इस आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और केस जीता. कब लगातार प्रवासी मजदूर ओडिशा वापस आ रहे हैं और सरकार उनकी मदद कर रही है जो एक अच्छी बात है. अभी तक ओडिशा सरकार ने कोरोना के मामले में अच्छा काम किया है लेकिन जिस तरह पिछले कुछ दिनों में केस बढ़े हैं, यह चिंता की बात है.

सुशील मोहपात्रा NDTV इंडिया में Chief Programme Coordinator & Head-Guest Relations हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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