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This Article is From Dec 28, 2020

फिरोजशाह कोटला (अब जेटली) स्टेडियम में यह नए दौर का धर्म है

Manish Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 28, 2020 16:48 pm IST
    • Published On दिसंबर 28, 2020 16:27 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 28, 2020 16:48 pm IST

खुद 'धर्मयोद्धा' सोमवार को फिरोजशाह कोटला स्टेडियम (अब जेटली) के प्रांगण में मौजूद थे. इनके मन के भीतर भले ही कुछ और चल रहा हो, लेकिन इनकी शारीरिक भाषा से गौरव बहुत ही ज़्यादा चू-चू कर टपक रहा था. कौन जानता है कि इन 'धर्मयोद्धाओं' में भविष्य का मुख्यमंत्री छिपा हो, बंगाल का मुख्यमंत्री छिपा हो. रविवार को को राज्यपाल के साथ हुई मुलाकात के बाद अटकलें तेज़ हो ही गई हैं.

बहरहाल, जैसे ही मूर्ति लोकार्पित हुई, इन 'धर्मयोद्धाओं' की शारीरिक भाषा कह रही थी, मानो, आकाश में कर्कश आवाज़ के साथ बिजली गूंज उठी, फिरोजशाह कोटला के ऊपर घटादार बादल छा आए. मानो, 'क्रिकेट देवता' सहित तमाम देवताओं ने आकाश से पुष्पों की वर्षा की. अप्सराएं नृत्य करने लगीं. पक्षी चहचहाने लगे.

वृक्षों की लताएं मानो लहलहाकर झूमने लगीं. मोर खुश होकर नृत्य करने लगे, वातवारण संगीतमय हो गया. और फिर पाच्चजन्य शंख की ध्वनि गगन को भेद गई, और इसी के साथ फिरोजशाह कोटला स्टेडियम (अब जेटली) के प्रांगण में धर्म की स्थापना हो गई. अब यह 'धर्म' कोटला से चल पड़ा है और कौन जानता है कि देश के न जाने कितने स्टेडियमों से गुज़रता हुआ अपनी स्थापना करेगा.

भविष्य में जब छोटे-छोटे बच्चे प्रांगण में आकर सवाल पूछेंगे - पापा 'इन अंकल' ने कितने विकेट लिए, कितने रन बनाए, तो शायद पापा कहें - बेटा, कुछ रन और विकेट रिकॉर्डबुक में दर्ज नहीं होते... इन्होंने बहुत ही बड़े-बड़े दिग्गज खिलाड़ियों के विकेट चटकाए हैं...

इस मामले पर कुछ 'धर्मयोद्धा' मन ही मन नाराज़ हैं, लेकिन आएदिन हर विषय पर राय रखने वाले इन 'धर्मयोद्धाओं' के होठ सिल गए हैं. दरअसल, ये बड़ा धर्म देख रहे हैं. ये धर्म की व्यापकता में भरोसा रखते हैं. यही वजह है कि इनके मुख से कोई आवाज़ नहीं आई, और जब मूर्ति का अनावरण हो रहा था, तो यही धर्मयोद्धा तालियां बजा रहे थे. इन्हें भविष्य में 'राज्य का नेतृत्व' कर बड़ा धर्म निभाना है. ऐसे में बड़े-बड़े शहरों / स्टेडियमों में ऐसी छोटी बातें होती रहती हैं.

वहीं एक 'धर्मयोद्धा' ने स्टेडियम से अपना नाम हटाने के लिए कानूनी धमकी दी है, तो मैदान पर बड़े 'कर्मयोद्धा' और पारी में सभी 10 विकेट चटकाने वाले शख्स का दिल रो रहा है. लेकिन कौन जानता है, इनके मन में भी बड़ा धर्म चल रहा हो. लेकिन यही बड़ा धर्म नए दौर का धर्म है. यह कोटला स्टेडियम (अब जेटली) से चल पड़ा है. आगे तेल देखिए और तेल की धार देखिए.

मनीष शर्मा Khabar.Ndtv.com में बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर कार्यरत हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है. 

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