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This Article is From Jul 11, 2021

हरलीन देओल का कैच भारत में मजबूत होते महिला सशक्तिकरण का प्रतीक!

Manish Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 12, 2021 12:47 pm IST
    • Published On जुलाई 11, 2021 18:14 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 12, 2021 12:47 pm IST

कुछ चीजें बहुत ही क्षणिक होती हैं, लेकिन उनका असर बहुत और बहुत ही दूरगामी होता है! ये क्षणिक बातें इतिहास में दर्ज हो जाती हैं, पर इनकी चमक हमेशा बरकरार रहती है.  ये क्षणिक बातें भविष्य की दिशा-दशा और सूरत बदलने का काम करती हैं. और लेखक, इतिहासकार और आने वाली पीढ़ियां बार-बार इन घटनाओं के पन्ने पलटकर पढ़ती/देखती रहती हैं. इनके उदाहरण दिए जाते हैं. शनिवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ और यह तस्वीर आई महिला क्रिकेट के मैदान से. एक ऐसी तस्वीर, जिसे अगर भारत में महिला सशक्तिकरण का होता विस्तार या एक नया रूप कह दिया जाए, तो एक बार को गलत नहीं ही होगा. यह विस्तार कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल में भी देखने को मिला, जब कुछ महिला मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया, तो एक दिन बाद ही नॉर्थेंप्टन (इंग्लैंड) में भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए पहले टी20 मुकाबले में इसका एक अलग आयाम देखने को मिला. यह महिला सशक्तिकरण 'एक अलग तरह' का था, जिस पर दिग्गज पुरुष भी खड़े होकर ताली बजा रहे थे. इस सशक्तीकरण का मिजाज और टेक्स्चर (संरचना) अलग तरह की थी. यह कैच बता गया कि इस दौर की भारतीय युवा महिलाएं पेशेवर रूप से कहीं ज्यादा और बेहतर मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हैं.

भारत डकवर्थ-लुईस से यह मैच 18 रन से हार गया, लेकिन हरलीन देओल का 19वें ओवर में एमी जोंस का बेहतरीन कैच बहुत कुछ कह और बयां कर गया. और देखते ही देखते ट्विवटर पर हर वर्ग की प्रतिक्रिया की बाढ़ सी आ गयी. हर कोई हरलीन कौर के कैच को देखकर झूम ही नहीं उठा, बल्कि विस्मित और अभिभूत सा रह गया. हर शख्स का गर्व से सीना चौड़ा था और इसी गौरव में यह सशक्तीकरण निहित है. और आखिर ऐसा हो भी क्यों न?

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Photo Credit: Twitter

हरलीन कौर को वर्तमान भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे सुंदर/मॉडल खिलाड़ियों में माना जाता है. सोशल मीडिया पर उनकी फैन फोलोइंग जबर्दस्त है,  लेकिन इस कैच से हरलीन ने मानो भारत के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के पुरुषों को यह बताने की कोशिश की/बता दिया, "अब आप हमें देखने का नजरिया बदल लीजिए"! अब सुंदर दिखने वाली भारतीय महिला सिर्फ बॉलीवुड/मॉडलिंग या डांस के क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है. वह हवा में गोते लगाकर/तैरकर मैदान पर भी सशक्तिकरण का झंडा गाड़ने के लिए तैयार हैं. और कौन जानता है कि आने वाले समय में कोई हरलीन जैसी दिखने वाली भारतीय महिला अपने मुक्कों की ताकत दुनिया को बताकर हैरान रही हो!

हरलीन देओल के कैच का असर बहुत और बहुत दूर तक जाएगा. क्रिकेट और खेल की दुनिया में ही नहीं, बल्कि बाकी क्षेत्रों में भी! देश भर में महिला क्रिकेट को करियर बनाने में जुटीं लड़कियों को यह कैच एक अलग ही संदेश और प्रेरणा देगा. हरलीन का कैच बता गया कि नए दौर की नई लड़कियां हर व्यवस्याय में झंडे गाड़ने के लिए तैयार हैं! अब आप इनके चेहरे-मोहरे से ध्यान हटाकर अब इनके कारनामों पर ध्यान दीजिए!

करीब आठ-नौ साल पहले जब एक न्यूज चैनल में था, तो एक ट्रेनी लड़की ने बातचीत में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जो बहुत ही हैरानी भरा अनुभव रहा. छोटे शहरों में लड़के गालियों के रूप में इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब मेट्रो शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों में ऐसी लड़कियों की बाढ़ सी आ गयी है, जिन्होंने इन शब्दों को जस का तस (हिंदी में) अपना लिया है. यह संस्कृति फलती-फूलती जा रही है और इसमें सिनेमा ने अच्छा खासा योगदान दिया है. साल 2018 में आयी "वीरे दी वेडिंग" जैसी फिल्में भी इस दिशा में अच्छा-खासा योगदान देती दिखती हैं! या ऐसा नहीं है? हो सकता है कि इन शब्दों से ये महिलाएं खुद को पुरुषों के बराबर समझती हों या ऐसा भाव उनके भीतर पैदा होता हो, लेकिन यह निश्चित तौर पर महिला सशक्तिकरण के दायरे में तो नहीं ही आता ! या क्या आता है?

पर हरलीन देओल का कैच जरूर महिला सशक्तिकरण को विस्तार  प्रदान करता दिखता है. एक अलग पहलू से, एक अलग नजरिए से. इस कैच ने साफ बयां किया कि यह सिर्फ कैच भर ही नहीं है, बल्कि कयी पहलुओं से इसके अलग-अलग मायने हैं. मसलन कुछ ऐसे कैच और आए नहीं कि आप  देखिएगा कि बाजार और विज्ञापन की दुनिया इन महिला क्रिकेटरों को कैसे हाथों-हाथ लेती है. और बाजार भी सशक्तीकरण बनाने में एक भूमिका अदा करता है. साथ ही, हरलीन ने यह भी बताया कि आगे भी इस तरह के कैचों के जरिए महिलाएं विराट कोहली जैसे सुपर सितारे के दबदबे वाले खेल में पुरुष खिलाड़ियों को को यह बताने की कोशिश करेंगी कि वे भी सीमा-रेखा (बाउंड्री) पर स्फूर्ति, चुस्ती-फुर्ती, ध्यान, संतुलन में उनसे किसी भी लिहाज से कम नहीं हैं. वे भी बाउंड्री पर उनके जैसे ही सजग प्रहरी हैं! ये महिलाएं बताएंगी कि जिन करतबों से तमाम पुरुष खिलाड़ी प्रशंसा/वाहवाही बटोरते हैं, अब वे भी उन्हीं करतबों से पुरुषों को खड़े होकर ताली बजाने पर मजबूर करने के लिए तैयार हैं. ट्वीटर पर गजब की प्रतिक्रिया को इस रूप में देखा जा सकता है. भविष्य में कुछ कैच ऐसे रहे और कुछ असाधाण पारियां बल्ले से निकलीं तो पुरुष क्रिकेट के आकर्षण के एक बड़े हिस्से को महिला क्रिकेट की तरफ झुकने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.

वास्तव में "इस तरह के कैचों" की भारत को हर क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा जरूरत है! हालांकि, पढ़ायी, शिक्षा, खेलों की दुनिया में  यह पहले से ही हो रहा है. पीटी ऊषा से लेकर मेरीकॉम  और सानिया मिर्जा तक ने भारतीय महिलाओं सहित करोड़ों भारतीयों का मस्तक गौरव से ऊंचा किया है. कुछ ही दिन बाद तोक्यो में होने जा रहे ओलिंपिक खेलों में घुड़सवारी में फौआद मिर्जा, तलवारबाजी में सीए भवानी देवी और सेलिंग में नेथ्रा कुमानन ने महाकुंभ का टिकट हासिल कर अपने-अपने क्षेत्र में पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल कर साफ बता दिया है कि "तस्वीर" बदल रही है.  नए दौर में महिलाएं स्टार्ट-अप में भी झंडे  गाड़ रही हैं.

बहरहाल, इन सबके बीच हरलीन कौर का कैच एक ताजे हवा के झोंके की तरह है!!  यह करोड़ों महिलाओं को खुद को पुरुषों के बराबर होने का एहसास करा रहा है. अगर ट्विटर पर प्रियंका गांधी से लेकर हर वर्ग की शीर्षस्थ महिला अगर हरलीन के कैच से गौरव से भर उठी और उन्होंने वीडियो के जरिए अपने अकाउंट से इसे पोस्ट किया, तो इसके पीछे सबसे बड़ी और इकलौती वजह यह रही कि उन्होंने इस असाधारण कैच के जरिए पुरुषों की बराबरी करने या उनसे बेहतर करने का भाव खुद के भीतर पाया. और यह सशक्तिकरण इसी लिहाज से है. इस संदर्भ में इस कैच की तुलना ठीक वैसे ही भाव से की जा सकती है, जो भाव महिलाओं के भीतर किसी महिला पायलट के विमान या लड़ाकू विमान उड़ाने से पैदा होता है. सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा जब महिला वर्ग में बड़ा खिताब जीतती हैं, तो इन महिलओं को खुशी तो होती है, लेकिन पुरुषों की बराबरी का भाव पैदा नहीं होता. यह भाव उदाहरण के तौर पर किसी महिला के विमान उड़ाने और इस तरह के कैच लेने से पैदा होता है. और ट्वीटर पर महिलाओं के झूमने की सबसे बड़ी वजह यही है, जिसका उन्हें पूरा-पूरा हक है. 

सोशल मीडिया पर तमाम महिलाओं का कैच के वीडियो के साथ खुशी को बयां करने के पीछे की मानसिकता  यही है कि वे भी ऐसे कैच पकड़ने में समर्थ हैं, जैसे पुरुष क्रिकेटर पकड़ते रहे हैं या पकड़ते हैं, लेकिन इस कैच ने दिग्गज पुरुष क्रिकेटरों और सर्वश्रेष्ठ फील्डर माने जाने वाले खिलाड़ियों को भी विस्मित कर दिया है. पीएम मोदी से लेकर सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद कैफ तक इस कैच से विस्मित हैं. सचिन ने इस कैच को साल का सर्वश्रेष्ठ कैच करार दिया है. यह कैच हवा की बहती एक नयी बयार की तरह है, जो वर्तमान पीढ़ी ही नहीं, बल्कि आने वाली लड़कियों के मिजाज और आत्मविश्वास के बारे में बताता है. और यह कैच अगली पीढ़ी को एक अलग ही कॉन्फिडेंस प्रदान करेगा, नया नजरिया देगा और भारत में क्रिकेट मैदान/अकादमियों पर तो इस कैच के असर दिखना एकदम सौ फीसदी तय है! क्या बीसीसीआई देख रहा है??  क्या आगे कुछ देखने को मिलेगा या इस कैच को सिर्फ तालियां बजाकर जाया कर दिया जाएगा?? कई पहलुओं से काम करने की जरूरत है!

मनीष शर्मा ndtv.in में डिप्टी न्यूज़ एडिटर हैं...

(डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.)

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