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कादम्बिनी शर्मा

1999 में बिज़नेस रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत की. करीब आठ साल लीगल रिपोर्टिंग और फिर लगातार 11 वर्षों से विदेशी मामलों- घटनाओं, भारत की विदेश नीति पर रिपोर्टिंग और एंकरिंग करती रही हैं. खास नज़र भारत के पड़ोस, वहां की राजनीति और वहां पनपे आतंक का भारत पर हो रहे असर पर. चीन, अमेरिका और यूरोप पर. लेकिन इस छोटी सी बड़ी दुनिया में हर घटना-दुर्घटना के तार एक दूसरे से जुड़े होते हैं और देश की राजनीति का असर होता है अंतरर्राष्ट्रीय रिश्तों पर भी तो उस की खास ऐनालिसिस. पर्दे के पीछे चलती अलग अलग ट्रैक की डिप्लोमेसी सबके सामने लाने में दिलचस्पी. सामाजिक मुद्दों पर भी कई बार भड़ास निकालने को लिख बैठती हैं.

  • अब अमेरिका कई तरीके से चीनी समस्या से निपटने की कोशिश कर रहा है. यही वजह है कि इस महीने अमेरिका दो अहम चीज़ें कर रहा है.
  • प्रतिबंधों के दौर में रूस ने उसके साथ व्यापार जारी रखा लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एक बार फिर उसके लिए हालात कठिन दिख रहे हैं.
  • गुरुवार की सुबह जब इमरान इस्लामाबाद में घुसे तो उनके कारवां में लोग जुड़ते गए.बड़ी संख्या में महिलाएं भी आईं इस सब के बीच इमरान ने शहबाज़ शरीफ की 'इंपोर्टेड सरकार' को 6 दिन की मोहलत दी है कि वो ताज़ा चुनावों का ऐलान कर दें. और अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्होंने कहा है कि वो वो वापस अपने समर्थकों के साथ इस्लामाबाद लौटेंगे.
  • क्या भारत अपने रुख पर कायम रहेगा या इस लगातार खिंचते युद्ध में उसे एक पक्ष लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसका जवाब कई बातों पर निर्भर करता है.
  • ताइवान में चीन की गतिविधियां तो चीन की विस्तारवादी मंशा साफ करती ही हैं, भारत में घुसपैठ के सालभर बाद भी वो बाहर नहीं निकला है, ये भारत के लिए एक मुश्किल स्थिति है. कई स्तर पर बातचीत के बावजूद अप्रैल 2020 की स्थिति में एलएसी पर सेनाएं नहीं लौटी हैं. क्या 2022 में ये संभव हो पाएगा?
  • 15 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वर्चुअल मोड में बातचीत हुई. इसके बाद दोनों देशों ने इस पर प्रेस रिलीज जारी किए हैं. वाइट हाउस का बयान छोटा और सधा हुआ है.
  • अगर अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखें तो लगता नहीं कि कोई भी और पक्ष एक सरकार बनाने की हालत में है. रेसिसटेंस फोर्स अब कहीं नज़र नहीं आ रहा, ना ही कोई बड़ा समर्थन किसी और देश से उन्हें मिलता दिख रहा है. रूस और अमेरिका ने जिस तरह अफगानिस्तान छोड़ा उसके बाद शायद ही कोई देश एक बार फिर यहां पर उस तरह से आने की कोशिश करे.
  • चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने सीमा के मुद्दे पर हुए सभी समझौतों को तोड़ा और गैरकानूनी तरीके से चीन के क्षेत्र में घुसे जिसके कारण गलवान घाटी की घटना हुई.
  • विदेश मंत्रालय की तरफ से अफगानिस्तान के मामले में जारी किया हुआ पहला बयान अपने नागरिकों की सुरक्षा पर ही केंद्रित है. इस बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात बहुत तेजी से खराब हुए हैं और अभी भी लगातार बदल रहे हैं.
  • अब अफ़ग़ानिस्तान पर पूरी तरह तालिबान का क़ब्ज़ा हो चुका है. महज़ 12 घंटों में विकल्प और सेना को मज़बूत बनाने की बात कर रहे राषट्रपति अशरफ़ गनी चुपचाप अपने कुछ सहयोगियों के साथ देश से निकल गए.
  • मंगलवार सुबह जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाईयां दी हैं, इस पर चर्चा तेज़ हो गई कि क्या ये चीन को एक संदेश है? पिछले साल, ठीक गलवान झड़प के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी कोई बधाई नहीं दी थी.
  • भारत कभी भी तालिबान से बात करने के पक्ष में नहीं था, लेकिन पिछले दिनों ये खबर आई कि दोहा में भारतीय अधिकारियों और तालिबान के बीच मुलाकात हुई है. कतर के एक अधिकारी ने ये बात एक वेबिनार में कही लेकिन इस बैठक की पुष्टि भारत की तरफ से नहीं हुई. भारत लगातार कहता रहा है कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए, उनके ज़रिए उनकी बनाई सरकार के पक्ष में हैं. लेकिन कुछ वक्त से ये भी कहा जाने लगा कि अफगानिस्तान में युद्धविराम और शांति बहाली के लिए सभी स्टेकहोल्डर से संपर्क में हैं.
  • भारत और अमेरिका के बीच 2 प्लस 2 बैठक खत्म हुई. बैठक का महत्व इतना कि महामारी के वक्त और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से महज़ एक हफ्ता पहले अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्री दोनों भारत आए और आमने सामने अपने समकक्षों के साथ बैठक की - एक तथ्य जो विदेश मंत्री एस जयशंकर से प्रेस के सामने भी नोट किया.
  • नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने एक प्रेस कॉन्फेरेंस कर कहा कि ईरान और रूस ने वोटर रजिस्ट्रेशन की जानकारी हासिल कर ली है और ईरान धुर दक्षिणपंथी गुट प्राउड बॉय्ज़ बन के वोटरों को धमकाने वाले ईमेल भेज रहा है. इस प्रेस कॉन्फेरेंस में एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस रे भी मौजूकि जो द थे
  • ये सवाल भारत में ही नहीं, 2016 से अमेरिका में भी पूछे जा रहे हैं. जब से ये आरोप लगे कि पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस ने दखलअंदाज़ी की, तब से अमेरिका में नागरिकों के वोट को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
  • इस बार के अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन के साथ उपराष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतरीं भारतीय मूल की कमला हैरिस को लेकर भारत में काफी उत्सुकता है. लेकिन उनके इस चुनाव में उतरने की क्या है अहमियत? वो क्या कर पाएंगी एक उपराष्ट्रपति के तौर पर अगर वो चुनी जाती हैं? क्या ज़िम्मेदारियां या ताकत होगी उनके पास?
  • इस डिबेट की परंपरा 1976 में ही शुरू हुई. हमने 29 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडेन के बीच पहला डिबेट देखा. इसके पहले ही अमेरिका के कई राज्यों में हिंसा हुई है. जानकारों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों ने, उनके ट्वीट्स ने लोगों को बांटने का काम ज्यादा किया है और लोगों ने पहले ही तय कर रखा है कि वो अपना वोट रिपब्लिकन्स को देंगे या डेमोक्रैट्स को.
  • जब पूरी दुनिया कोविड से निबट रही है तब चीन भारत की ज़मीन हड़पने की कोशिश में है. मई के बाद एक बार फिर 29-30 अगस्त की रात चीनी सेना ने भारत के इलाके में घुसपैठ कर कब्जा़ करने की कोशिश की लेकिन सतर्क भारतीय सेना ने इसे बेकार कर दिया. अपनी पोज़िशन मज़बूत कर ली.
  • भारत के विदेश सचिव कोविड के इस दौर में भी विदेश यात्रा पर निकले हैं. और उनकी यात्रा का मुकाम है पड़ोसी बांग्लादेश. असल में पिछले एक हफ्ते में अचानक पड़ोस के मामले में कूटनीति में तेज़ी आ गई है. क्योंकि विदेश सचिव बांग्लादेश दौरे पर हैं तो पहले उसी की बात करते हैं. ये अचानक दौरा इसलिए हुआ क्योंकि अब चीनी निवेश की लंबी बांहें बांग्लादेश पहुंच चुकी हैं. वहां के मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि तीस्ता नदी के पानी के मैनेजमेंट के लिए चीन उसे एक बिलियन डॉलर या सात हज़ार करोड़ की मदद दे सकता है. तीस्ता नदी के पानी को आपस में बांटने को लेकर भारत और बांग्लादेश पिछले आठ साल से बात कर रहे हैं पर बात बनी नहीं है.
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के कहने पर कश्मीर पर बुलाई गई क्लोज्ड डोर बैठक बेनतीजा रही. बेनतीजा इसलिए कि अधिकतर देशों ने ये साफ कर दिया कि वे कश्मीर के मामले को अंतरराष्ट्रीय नहीं द्विपक्षीय मुद्दा समझते हैं. तो कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान और चीन की एक और कोशिश नाकाम हो गई. भारत ने इस बैठक पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है.
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