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This Article is From Oct 01, 2021

क्वाड का असर है चीन के भड़काऊ बयान?

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    October 01, 2021 20:30 IST
    • Published On October 01, 2021 20:30 IST
    • Last Updated On October 01, 2021 20:30 IST

भारत ने पिछले सात दिन में भारत की सीमा में घुसपैठ को लेकर दो बार चीन के विदेश मंत्रालय के बयान का तीखा खंडन किया है. 24 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात कर रहे थे, जब चीन की दादागीरी से निपटने के लिए बने क्वाड चार देशों के समूह - अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान - की बैठक हो रही थी. तब तिलमिलाए चीन ने भारत पर गंभीर आरोप लगाया. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने सीमा के मुद्दे पर हुए सभी समझौतों को तोड़ा और गैरकानूनी तरीके से चीन के क्षेत्र में घुसे जिसके कारण गलवान घाटी की घटना हुई.

भारत ने इसका साफ जवाब देते हुए कहा था कि उसने हमेशा ये साफ कहा है कि चीन ने सभी समझौतों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा तौर पर एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की जिसके कारण ना सिर्फ शांति भंग हुई बल्कि द्विपक्षीय रिश्तों पर असर पड़ा. बयान में भारत ने कहा कि उम्मीद है कि चीन सभी समझौतों को मानते हुए जल्द से जल्द पूर्वी लद्दाख में एलएसी से जुड़े मुद्दों का समाधान करेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने 29  सितंबर की प्रेस ब्रीफिंग में फिर एक भड़काऊ बयान दिया. भारत के एलएसी पर हथियार तैनात करने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत लंबे वक्त से फॉरवर्ड पॉलिसी अपनाकर चीन के क्षेत्र में घुसपैठ कर रहा है, जिसके कारण दोनों देशों में सीमा को लेकर तनाव है. इस पर फिर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी कर कहा कि हमने पहले ही अपनी स्थिति साफ कर दी है कि ऐसे आधारहीन बयानों को हम खारिज करते हैं. चीन ने अपनी तरफ बड़ी संख्या में सेना जमा की, सभी समझौतों की अनदेखी करते हुए भड़काऊ व्यवहार किया और एकतरफा तरीके से एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की. इसके कारण पूर्वी लद्दाख में एलएसी इलाके में शांति भंग हुई है. क्योंकि चीन ने बड़ी संख्या में सैनिक और हथियार वहां पर जमा कर रखे हैं, अपनी सुरक्षा को देखते हुए भारत को भी ऐसे ही इतज़ाम करने पड़े.

चीन एक साल से ज्यादा समय से इस इलाके में घुसपैठ करके बैठा है. सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत के बावजूद अब तक पूरी तरह अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति में वापस नहीं गया है. और तो और चीन से सटे उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में पांच किलोमीटर तक चीन के सौ सैनिक घुस आए और तोड़ फोड़ की.

भारत के साफ बयान के बावजूद आखिर चीन एक के बाद एक भड़काऊ बयान क्यों दे रहा है. असल में मंशा शुरू से भारत को सैन्य बल के जरिए दबाव में डाल कर जमीन हड़पने की थी. लेकिन भारत ने पुरजोर विरोध किया. कोरोनावायरस के मूल तक पहुंचने की कोशिशों में चीन की गैर-पारदर्शिता, ताइवान, हॉंग कॉंग, शिनज्यांग पर रवैया, ईस्ट और साउथ चाइना सी पर दावे, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया से व्यापार, सायबर हमलों को लेकर तू-तू, मैं-मैं, और भारत सहित कई देशों से सीमा विवाद- ये वजह रहे हैं कि QUAD देश अब पूरी तरह एक दूसरे से सहयोग कर रहे हैं. इसके खिलाफ चीन कई बार बयान दे चुका है. लेकिन पड़ोसी भारत पर दबाव बनाने के लिए अब भारत पर आरोप लगा रहा है. भारत की कोशिश है तथ्यात्मक तौर पर चीन के झूठ को बार-बार काटे, एलएसी पर समान शक्ति से डटा रहे और अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर चीन के रवैये को उजागर करे. अब ये रणनीति क्या चीन पर असर करेगी ये बड़ा सवाल है.

कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और सीनियर एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...

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