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This Article is From Oct 23, 2020

अमेरिकी चुनाव में ईरान, रूस चीन की दखलंदाज़ी?

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 23, 2020 10:44 am IST
    • Published On अक्टूबर 23, 2020 10:43 am IST
    • Last Updated On अक्टूबर 23, 2020 10:44 am IST

अमेरिकी चुनाव में बाहरी ताकतों की दखलंदाज़ी का अंदेशा काफी वक्त से जताया जा रहा है और अब अमेरिका के खुफिया विभाग के उच्च अधिकारियों ने ये आरोप लगाया है कि ईरान, रूस और चीन गलत जानकारी फैला कर चुनाव में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं. नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने एक प्रेस कॉन्फेरेंस कर कहा कि ईरान और रूस ने वोटर रजिस्ट्रेशन की जानकारी हासिल कर ली है और ईरान धुर दक्षिणपंथी  गुट प्राउड बॉय्ज़ बन के वोटरों को धमकाने वाले ईमेल भेज रहा है. इस प्रेस कॉन्फेरेंस में एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस रे भी मौजूकि जो द थे

रैटक्लिफ ने कहा कि जो डाटा इन देशों ने हासिल किया है उससे झूठी जानकारी दे कर वोटरों को भ्रमित करना, अफरा तफरी फैलाना और अमेरिकी लोकतंत्र में भरोसा कम करने की कोशिश है.

उन्होंने ये भी कहा कि ये ईमेल जो कहते हैं कि ट्रंप को वोट दो वरना....असल में राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है. डेमोक्रैट और कुछ पूर्व खुफिया सेवा के अधिकारियों  ने रैटक्लिफ पर चुन चुन कर जानकारी लीक कर ट्रंप की मदद करने का आरोप लगाया है.

यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वेनिया की कम्युनिकेशन प्रोफेसर डॉ कैथलीन हॉल फैक्ट चेक की साइट  FactCheck.org  की को फाउंडर भी हैं और कहती हैं कि 2016 के चुनावों में कई तरह से अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशें हुईं. इनमें मालवेयर, ट्रोल कैंपेन, नकली अमेरिकी स्थानीय न्यूज़ वेबसाइट, राजनीतिक पार्टी की वेबसाइट की नकल, शांत पड़े सोशल मीडिया एकाउंट के अचानक ऐक्टिव होकर भ्रम फैलाना  वगैरह शामिल हैं. डॉ हॉल के मुताबिक इनसे और विकीलीक्स के आधार पर हुई रिपोर्टिंग ने असल में एजेंडा तय किया और उस कवरेज का असर वोटिंग पर हुआ हो सकता है. लीक हुई जानकारी - जैसे हिलेरी क्लिंटन के कैंपेन मेनेजर के ईमेल - के आलोचनात्मक इस्तेमाल न होने से कई ऐसे बिंदुओं पर ध्यान रहा जिनके कारण हिलेरी को वोट नहीं देने की संभावना बनी हो.

मतलब ये कि जब पत्रकार भी रिपोर्ट करते हैं तो  उन्हें इन चीज़ों को लेकर सावधान रहना होगा और पाठकों या दर्शकों को ये भी बताना चाहिए कि स्वतंत्र तौर पर उन्होंने  इसे परखा है या नहीं और इनको स्रोत क्या है. हालांकि इन चुनावों में अमेरिकी सरकार ने बाहरी ताकतों से वोटिंग पर कोई असर ना हो उसके लिए कई कदम उठाए हैं और एहतियात बरत रहे हैं.

ये इसलिए भी अहम है क्योंकि मौजूगा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयानों से सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार अमेरिका में शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण होगा अगर ट्रंप चुनाव हार जाते हैं. वैसे इस बार वहां वोटर बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट चुन रहे हैं और अब तक करीब 40 मीलियन या 29 फीसद वोटरों ने वोट दे भी दिया है. चुनाव 3 नवंबर को है.

कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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