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This Article is From Nov 02, 2022

क्यूबा के लिए रूस के बाद अब भारत बना एक नई उम्मीद ?

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    November 02, 2022 16:27 IST
    • Published On November 02, 2022 16:27 IST
    • Last Updated On November 02, 2022 16:27 IST

एक बार फिर क्यूबा पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग होने वाली है. क्यूबा का अगर कोई ऐसा उत्पाद है जो दुनिया भर में जाना जाता है तो वो है सिगार. और हाल फिलहाल में भारत की बात करें तो सलमान खान की फिल्म एक था टाइगर की शूटिंग यहां भी हुई थी. लेकिन क्यूबा उससे कहीं ज्यादा है और हज़ारों किलोमीटर दूर होते हुए भी भारत से जुडा हुआ है और भारत को सबसे अहम सहयोगियों में से एक मानता है. कोविड के पहले दोनों देशों के उच्च् नेतृत्व के दौरे भी हुए  लेकिन कोविड के दौरान पूरी दुनिया की ही तरह ये भी रुक गया. कोविड के खत्म होने के बाद अब  फिर से दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो गई है और क्यूबा को भारत से कई उम्मीदें हैं. और वो भारत का आभारी भी है.
क्यूबा 6 दशक से भी ज्यादा से अमेरिका के लगाए आर्थिक प्रतिबंध से जूझ रहा है, जिसका उसकी अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है.

प्रतिबंधों के दौर में रूस ने उसके साथ व्यापार जारी रखा लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एक बार फिर उसके लिए हालात कठिन दिख रहे हैं. कई बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्यूबा पर से प्रतिबंध हटाने पर वोट किया गया और भारत समेत अधिकतर देशों के प्रतिबंध हटाने के पक्ष में होने के बावजूद अमेरिका के विरोध के कारण ये हो नहीं पाया. क्यूबा समर्थन के लिए भारत का आभारी है. भारत में क्यूबा के राजदूत एलेहांद्रो सिमानकास मारिन  ने इंडियन वीमेंस प्एरेस कॉर्पस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक किस्सा सुनाया कि कैसे जब फिदेल कास्त्रो न्यू यॉर्क के ब्लैक बहुल छोटे से होटल में ठहरे थे, तब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पहले नेता थे जो उनसे मिलने गए और उनके सहज व्यवहार ने कास्त्रो का दिल जीत लिया.


दम घोंटने वाले अमेरिकी प्रतिबंधों और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजी और विषमताओं के बीच अब क्यूबा भारत से आर्थिक-व्यापारिक संबंधों को ज्यादा तरजीह दे रहा है. 2015 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायेंस की शुरुआत की, जिसके 124 सदस्य हैं. क्यूबा भी इस गठजोड़ का सदस्य है और वो चाहता है कि तेल पर उसकी निर्भरता कम से कम हो. वो इसके लिए विंड एनर्जी का भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहते हैं.  इस सब के लिए उसे भारत से विशेष सहयोग की दरकार है.
एक और क्षेत्र है जिसमें विश्व भर में भारत का दबदबा है और वो है फार्मा सेक्टर.

अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण कई दवाईयां और मेडिकल उपकरण क्यूबा में आसानी से उपवब्ध नहीं है.  ऐसे में भारत के साथ सहयोग उसकी फार्मास्यूटिकल सेक्टर को बढ़ने का मौका देगा और आम लोगों के लिए बेहद बड़ी मदद होगी. वैसे कोविड काल में ना सिर्फ क्यूबा ने चार वैक्सीन को हरी झंडी दी बल्कि और देशों को भी भेजा.


कृषि एक और क्षेत्र है जहां पर क्यूबा और भारत अब सहयोग कर रहे हैं. कई इथनोल प्लांट लगाने की योजना है और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को भी बढाने की योजना है.  क्यूबा में लोग बड़े चाव से चावल खाते हैं और अब जल्द ही भारत की बासमती क्यूबा के किचन में खुशबू बिखेरेगी.  इस पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है. क्यूबा के लिए पर्यटन सबसे बड़ा इंडस्ट्री है लेकिन अमेरिकी प्तिबंधों के कारण अमेरिकी प्रयटक सबसे नज़दीक होते हुए भी वहां नहीं आ सकते. लेकिन तब भी कोविड से पहले  सालाना पचास लाख के करीब पर्यटक यहां आते थे. अब फिर क्यूबा की कोशिश है कि पर्यटक यहां आएं. और क्यूबा इस कोशिश में है कि अमेरिका प्रतिबंध हटाए. वो परस्पर आदर और समझ के साथ सहयोग के लिए तैयार है.

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