15 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वर्चुअल मोड में बातचीत हुई. इसके बाद दोनों देशों ने इस पर प्रेस रिलीज जारी किए हैं. वाइट हाउस का बयान छोटा और सधा हुआ है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका शिनजियांग, तिब्बत, हांगकांग में और आम तौर पर चीन के रवैये से चिंतित है. स्वतंत्र और खुले इंडो- पैसिफिक की अहमियत पर चर्चा हुई. अमेरिका अपने कामगारों की चीन के अनुचित व्यापार और आर्थिक तरीकों से रक्षा करने को प्रतिबद्ध है. ताइवान पर अमेरिका ने कहा कि पहले की ही तरह वन चाइना पॉलिसी पर टिका है लेकिन समझौतों के तहत एक तरफा यथास्थिति बदलने के खिलाफ है.
उधर चीन की - इसी बैठक को लेकर - एक लंबी प्रेस रिलीज़ जारी की गई है. इसमें अलग अलग मुद्दों पर चीन की तरफ से क्या कहा गया वो देखिए. अमेरिका ने ताइवान पर अपनी बात कही इस पर चीन की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक -
जो भी आग से खेलेगा, वो जलेगा
राष्ट्ररति शी जिनपिंग ने ताइवान के सवाल पर नीतिगत स्थिति सामने रखी. कहा कि ताइवान स्ट्रेट में नए तनाव की लहर है जिसकी वजह ताइवान के अधिकारियों की स्वतंत्रता के एजेंडे के लिए अमेरिकी समर्थन की कोशिश है. साथ ही कुछ अमेरिकीयों की ताइवान को चीन को रोकने के लिए इस्तेमाल करने की मंशा है. ये खतरनाक है- वैसे ही जैसे आग से खेलना...जो भी आग से खेलता है, जलता है.
लोकतंत्र कई प्रकार के होते हैं
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि सभ्यताएं बड़ी और कई प्रकार की होती हैं, लोकतंत्र भी ऐसा ही है. लोकतंत्र का कोई एक खाका, चाबी नहीं और थोक उत्पादन नहीं होता. कोई देश लोकतांत्रिक है या नहीं ये उसके लोगों को ही तय करने दें. जो लोकतंत्र अपने जैसा नहीं उसे खारिज कर देना भी अलोकतांत्रिक है. परस्पर आदर के आधार पर चीन मानवाधिकारों पर बातचीत के लिए भी तैयार है लेकिन मानवाधिकार को आधार बनाकर दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखलंदाज़ी का विरोध करते हैं.
चीन ने किसी की एक इंच ज़मीन नहीं ली
चीन के लोगों ने हमेशा अमन को चाहा और अहमियत दी है. आक्रामकता या आधिपत्य जमाना उनके खून में नहीं. जब से चीन बना है उसने एक बार भी ना तो कोई युद्ध और ना ही कोई झड़प शुरू की है. चीन ने कभी किसी भी देश की एक इंच ज़मीन भी नहीं ली.
तो ये सब चीन ने बातचीत में अमेरिका को कहा है. साथ ही ये भी जोड़ दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ज़रूरत से ज्यादा खींच कर चीन के व्यापार को दबाने की कोशिश ना करें, बीमारी (कोविड) से निबटने का तरीका विज्ञान है, इसका राजनीतिकरण करेंगे तो नुकसान ही होगा. शी जिनपिंग ने ये भी कह दिया कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति बाइडेन राजनीतिक नेतृत्व दिखाएंगे और अमेरिका की चीन नीति वापस विवेकपूर्ण और व्यवहारिक रास्ते पर लाएंगे.
अब आप कुछ ही पहले का इतिहास देख लें तो चीन के इन बयानों पर आशचर्य भी होता है और ये भी समझ में आता है कि कैसे वो अपना पक्ष मनवाने पर तुला हुआ है.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और सीनियर एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...
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