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This Article is From Jun 08, 2023

चीन अब भी बना हुआ है गले की हड्डी

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 08, 2023 17:06 pm IST
    • Published On जून 08, 2023 17:06 pm IST
    • Last Updated On जून 08, 2023 17:06 pm IST

विदेश नीति के मामले में मोदी सरकार की नौ साल की उपलब्धियां विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताई. उनके साथ मंच पर तीनों विदेश राज्य मंत्री- मीनाक्षी लेखी, एस मुरलीधरन और राजकुमार रंजन सिंह और विदेश सचिव मौजूद थे. 

विदेश मंत्री ने विदेश नीति की "रिपोर्ट कार्ड" को मज़बूत बताते हुए कहा कि सफलता को नापने के दो पैमाने हैं- एक कि दुनिया अब भारत को कैसे देखती है और दूसरा कि विदेश नीति से हमारे नागरिकों को क्या फायदा हुआ. जितने भी विश्व के बड़े शक्तिशाली देश माने जाते हैं उनसे भारत के रिश्ते और बेहतर और मजबूत हुए हैं, सिवाय चीन के. लेकिन इसमें गलती भारत की नहीं है. सवालों के जवाब में विदेश मंत्री ने साफ कहा कि चीन ने द्विपक्षीय समझौतों को तोड़ा और जबरदस्ती लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की. उन्होंने यह भी कहा कि 2020 की गलवान झड़प के पहले ही हमने उनसे बातचीत की थी और कहा था कि आपकी सेनाओं का मूवमेंट देख रहे हैं लेकिन इसके बावजूद झड़प हुई, जिसमें हमारे सैनिक शहीद हुए. ऐसे में रिश्ता सामान्य कैसे रह सकता है? तब से वहां के विदेश मंत्री एक बार भारत आए हैं. हालांकि, बहुपक्षीय मंचों पर मुलाकात होती है.

असल में हालात ये हैं कि 2020 की गलवान झड़प के बाद अब तक भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. चीन की सेना पहले वाली स्थिति में नहीं लौटी है. उल्टा चीन भारत की जमीन पर दावा करता है और भारत पर ही जमीन कब्जे का आरोप लगाता है. सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई बार बातचीत हो चुकी है, कुछ बिंदुओं पर सीमा पर डिसइंगेजमेंट भी हुई है, लेकिन पहले वाली स्थिति पर सेनाएं अब भी नहीं हैं. ऊपर से चीन चाहता है कि पहले की तरह व्यापार, निवेश और आना जाना चलता रहे. भारत ने इससे साफ किनारा कर रखा है, कई चीनी ऐप्स पर रोक लगाई है. हालांकि, व्यापार के कुछ आंकड़े बताते हैं कि वो फिर से 2020 के पहले वाले स्तर पर है. लेकिन रिश्ते तल्ख हैं इसमें कोई शक नहीं. और तो और चीन क्वाड सहयोग पर भी आपत्ति करता है, जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहयोगी हैं और जो सैन्य गठजोड़ नहीं है. यहां तक कि अमेरिकी संसद की एक कमेटी के ये कहने पर कि भारत को NATO Plus का हिस्सा होना चाहिए, चीन बिफर पड़ा और उसके रक्षामंत्री ने एक कॉन्फ़्रेंस में अमेरिकी रक्षामंत्री की मौजूदगी  में अमेरिका पर इंडो पैसिफिक देशों को भड़काने और एक दूसरे के सामने खड़ा करने का आरोप लगाया, धमकी दे डाली कि अमेरिका और चीन में टकराव हुआ तो दुनिया के लिए बुरा होगा.

यानि कुल मिला कर चीन भारत को कमजोर देखना चाहता है ताकि उसका क्षेत्रीय वर्चस्व रहे और वैश्विक वर्चस्व की होड़ में वो अमेरिका को पीछे छोड़ दे. लेकिन भारत के बढ़ते कद, दुनिया में उसकी पूछ, वैश्विक संगठनों का हिस्सा होने, दुनिया के ताकतवर, विकासशील और छोटे देशों के भी साथ खड़े होने से उसे समस्या है. लेकिन भारत लगातार अपनी स्वतंत्र और साफ विदेश नीति से चीन के विस्तारवादी रवैये का सामना कर रहा है.

(कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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