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    घर में कैद बुजुर्ग और हांफते लोग, दिल्ली की सांसों में घुला ये कैसा रोग?

    हमारी हवा जहरीली हो रही है. गुरुवार की शाम को जब मैं इस मुद्दे पर लिखने बैठी तो AQI लगातार 400 पार  जाकर दम घोंट रहा था. बहुत लोगों को यह मामला बोरिंग लगे, लेकिन जब आप अपने साथ काम करने वालों को खांसते-हांफते देखते-सुनते हैं, तो चिंता होने लगती है. सुबह उठते ही दरवाजे खिड़कियां खोलने के लिए डॉक्टर मना कर रहे हैं. बड़े बुजुर्गों के लिए तो मॉर्निंग वॉक बाहर की दुनिया से सीधे संपर्क का ज़रिया है, लेकिन डॉक्टर इसकी भी मनाही कर रहे हैं.

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    “उगअ हे सूरज देव, अरग के बेर”: मानवीय संवेदनाओं और सरोकारों की महान सरगम थीं शारदा सिन्हा

    अगर पूछा जाए कि पूरी दुनिया में विचरते हुए बिहारियों को कौन सी एक चीज बांधे रखती है? जवाब होगा- छठ. यह पर्व महज पर्व ही नहीं, बल्कि वह सांस्कृतिक धारा है जो बिहार को सदियों के संताप से मुक्त करती आ रही है. और कोई भी सांस्कृतिक धारा अपने शीर्ष तक नहीं पहुंचती जब तक उसमें संगीतमय प्रवाह नहीं हो, शारदा सिन्हा के रूप में यहां एक ऐसी गाथाई गायिका रही जिन्होंने अपने गीतों से छठ को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया. इनके गीतों ने छठ को वह संवेदनात्मक स्वर दिया जिसे अब तक न किसी ने दिया था और शायद कभी दिया जाएगा.

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    आपके गणित के ज्ञान को सुधार देगा महाराष्ट्र विधानसभा का यह चुनाव, समझदार मतदाता क्या करेगा

    महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव को कौन से कारक जटिल बना रहे हैं और इस चुनाव में एक समझदार मतदाता क्या करेगा, बता रहे हैं एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया.

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    सिर्फ बाहर उजाला करने से क्या होगा, रोशनी की सबसे ज्यादा जरूरत तो भीतर है!

    प्रकाश के पर्व को जबरन कुछ गैरजरूरी चीजों से जोड़कर हम न केवल अपनी धरती और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सेहत को भी खतरे में डालते हैं.

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    कभी दूसरों पर था निर्भर, आज डिफेंस सेक्टर में भारत ने कैसे कमाया दुनिया का भरोसा

    आज भारत जिस तेजी से विश्व बाजार में अपने उत्पादों को पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक समझौते और रिश्ते बना रहा है, ऐसा भारत की नीतियों में पहले कभी नहीं देखा गया था.

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    ईरान पर कब हमला करेगा इजरायल, किस दबाव में हैं बेंजामिन नेतन्याहू

    फलस्तीनी संगठन हमास ने सात अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमला किया था. इसमें एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. हमास ने सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था. इसके बाद से इजरायल ने गाजा पर हमला किया था. यह हमला अब लेबनान और यमन तक फैल गया है. यह लड़ाई कब रुक सकती है बता रहे हैं सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा.

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    स्वदेशीकरण की राजनीति और इसके विरोधाभास

    सवाल ये भी है कि क्या हम ये मान लें कि हमारे पारंपरिक पहनावे “सौम्य” और “सभ्य” नहीं हैं? और अगर ऐसा है तो फिर हमारे सभी राजनेता उन सांस्कृतिक पहनावों से ही क्यों राजनीतिक सामाजिक जीवन में आते हैं, जिन्हें कार्यालयी जीवन में “असभ्य” और “असौम्य” माना जाता है?

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    LEGAL EXPLAINER: SC के फ़ैसले का नागरिकता, घुसपैठ, रोहिंग्या और CAA पर प्रभाव

    शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश से फिर पलायन शुरू हो गया है, इसलिए नागरिकता क़ानून में बदलाव पर मुहर वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के दूरगामी परिणाम होंगे. फ़ैसले से जुड़े 10 क़ानूनी पहलुओं को समझने की ज़रूरत है.

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    UGC NET 2024 Result Declared Live: यूजीसी नेट रिजल्ट घोषित, JRF के लिए 4,970 और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 53, 694 अभ्यर्थी सफल, Direct Link

    UGC NET 2024 Result Declared LIVE Updates: जून सत्र की नेट परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है. जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए 4,970 उम्मीदवार क्वालिफायड हुएं, वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 53,694.

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    साहित्य और कला का अद्वितीय संगम : कुंवर नारायण और सीरज सक्सेना

    दो कलाओं का यह संगम अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे कला और साहित्य मिलकर नए रूप में प्रकट हो सकते हैं. इस प्रकार के रचनात्मक प्रयोग हमारे समाज में कला और साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका को और भी स्पष्ट करते हैं. वे यह सिद्ध करते हैं कि कला और साहित्य केवल देखने या पढ़ने की वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि वे मानवता की गहरी समझ, संवेदनाओं और विचारों को प्रकट करने के सशक्त और संवेदनशील माध्यम भी हैं.

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    वामपंथी लाल आतंक के सफाए में क्यों लग गए 6 दशक

    संविधान और सत्ता के खिलाफ गोली और बारूद के आतंक के बल पर सत्ता स्थापित करने की सोच चीन के नेता माओ त्से तुंग की थी, जिन्होंने अक्टूबर 1949 में चीन में क्रांति के जरिए साम्यवादी सत्ता की स्थापना की थी.

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    मॉनसून के संग महासागरीय पक्षी : महाराष्ट्र के समुद्रतट का प्राकृतिक चमत्कार

    मॉनसून का मौसम महाराष्ट्र के तट पर एक नाटकीय परिवर्तन लाता है, और पेलैजिक पक्षी इस प्राकृतिक चमत्कार का अभिन्न हिस्सा हैं. समृद्ध भोजन मैदानों के लाभ से लेकर तूफानों और ऊंची लहरों से उत्पन्न खतरों तक, समुद्री पक्षियों और मॉनसून के बीच का संबंध सौहार्द और चुनौती दोनों का है. जब ये पक्षी बारिश से भरी हवाओं के बीच उड़ते हैं, तो वे हमें प्रकृति की दृढ़ता और हमारे महासागरों में जीवन को बनाए रखने वाले जटिल संतुलन की याद दिलाते हैं.

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    मॉनसून-प्रेरित स्ट्रैंडिंग : बालीन व्हेल और डॉल्फ़िन पर मौसमी हवाओं का प्रभाव

    प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों के लिए समुद्री स्तनधारियों के फंसने के मूल कारणों को कम करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्रवाइयों की आवश्यकता होती है, जिससे जैव विविधता की सुरक्षा और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित हो सके.

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    बरसात में ज़मीन खोदकर निकलते हैं सह्याद्रि के अनोखे बैंगनी मेंढक

    भारतीय बैंगनी मेंढक (Nasikabatrachus sahyadrensis) एक दुर्लभ प्रजाति है, जो अपना अधिकांश जीवन ज़मीन के नीचे बिताते हैं. केवल बरसात के मौसम में यह पृथ्वी के तल से बाहर निकलकर ऊपर ज़मीन पर आते है. इसमें भी मादाएं साल में केवल एक दिन के लिए, और वह भी सिर्फ़ कुछ घंटों के लिए, सतह पर आती हैं, ताकि वे मिलन कर सकें और अपने अंडे दे सकें.

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    फार्मास्युटिकल साइंस में हैं करियर के ढेरों विकल्प

    हेल्थकेयर को बेहतर बनाने और इलाज को बेहतर बनाने के लिए जो लोग प्रतिबद्ध हैं, उनके लिए फार्मास्युटिकल साइंस में नौकरी के अपार अवसर हैं. आइए, फार्मास्युटिकल साइंस में करियर के विभिन्न विकल्पों पर एक नज़र डालें और जानें कि वे आगे कहां जाते हैं व उनमें तरक्की करने की कैसी संभावनाएं हैं.

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    सिर्फ कोचिंग सेंटर का बेसमेंट नहीं, अपनी शिक्षा-व्यवस्था की बुनियाद भी जांचना ज़रूरी

    ज़्यादातर स्टूडेंट जब एक बार किसी टीचर को आदर्श मान लेते हैं, किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट को 'नंबर वन' समझ लेते हैं, तो वहां पढ़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. खासकर सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम के लिए, जहां सक्सेस रेट महज 0.2% के आसपास हो. बड़े नाम वाले कोचिंग की भीड़ ही साल-दर-साल और बड़ी भीड़ को खींच लाती है.

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    वैश्वीकरण और उच्च शिक्षा : वर्तमान सन्दर्भ

    शिक्षा क्षेत्र में सुधारों को यदि यथार्थ के धरातल पर लाने में सफल रहे, तो उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के ज़रिये उच्च बौद्धिकता वाले नए भारत को विश्व के सामने लाने से कोई नहीं रोक सकता और तभी पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्द सार्थक हो सकेंगे - सन् 2020 तक या इससे पूर्व विकसित भारत कोई स्वप्न नहीं है, न यह कोरी कल्पना है, बल्कि यह ऐसा ध्येय है, जिसे हम सब को अपनाना चाहिए, हम इसमें अवश्य सफल होंगे.

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    खुद हिन्दी पढ़ें, और बच्चों को देखने दें - बस, सुधर जाएगी हिन्दी की हालत...

    भाषा से जुड़ा सबसे बड़ा सच यह है कि कोई भी शख्स आमतौर पर उसी भाषा को आत्मसात कर भली प्रकार प्रयोग कर सकता है, जिसमें वह सोचता है, गुनता है, शब्दों और वाक्यों को बुनता है... अगर वह इंग्लिश में सोचेगा, उसी में विचार करेगा, तो स्वाभाविक रूप से इंग्लिश में ही स्वयं को सरलता और सहजता से अभिव्यक्त कर पाएगा...

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    हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?

    भाषा के कई विद्वान हिंदी में नुक़्ता का प्रयोग साफ तौर पर न किए जाने के पक्षधर हैं. इनका तर्क है कि बाहर से आए जिन शब्दों में नुक़्ता लगाया जाता है, उन शब्दों को अब हिंदी ने पूरी तरह अपना लिया है. जब वैसे शब्द हिंदी में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं, तो उन्हें हिंदी के बाकी शब्दों की तरह बिना नुक़्ता के ही लिखा जाना चाहिए. ज़्यादातर हिंदीभाषी उन शब्दों का उच्चारण भी वैसे ही करते हैं, जैसे उनमें नुक़्ता न लगा हो.

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    मेडिकल एजुकेशन में मेडिकल इनोवेशन : हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा में बदलाव

    आज के समय में वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) हिन्दुस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति ला रहे हैं, जो आज सीखने के ऐसे अनुभव प्रदान करता है, जिसकी पहले कल्पना करना भी मुश्किल था.

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