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मेडिकल एजुकेशन में मेडिकल इनोवेशन : हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा में बदलाव

Trivikram Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 14, 2024 09:56 am IST
    • Published On सितंबर 18, 2024 16:03 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 14, 2024 09:56 am IST

आज हिन्दुस्तान की मेडिकल एजुकेशन में बड़ा पॉजिटिव बदलाव देखने को मिल रहा है और यह सब संभव हो पाया है टेक्नोलॉजी के चलते. टेक्नोलॉजी की मदद से आज मेडिकल शिक्षा में काफी बड़े बदलाव संभव हो पाए हैं. यही टेक्नोलॉजी प्रेरित मेडिकल शिक्षा आज मेडिकल स्टूडेंट्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स के ट्रेनिंग करने के तरीके में बदलाव ला रही है. एक बड़ी आबादी और विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ हिन्दुस्तान मेडिकल शिक्षा में क्वालिटी और टेक्नोलॉजी की मदद से बेहतर करने की स्थिति में है. यह आलेख हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से मेडिकल शिक्षा में बड़े बदलावों और देश में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य के बारे में है.

वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR)

आज के समय में वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) हिन्दुस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति ला रहे हैं, जो आज सीखने के ऐसे अनुभव प्रदान करता है, जिसकी पहले कल्पना करना भी मुश्किल था. यह टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स को मानव शरीर रचना विज्ञान के 3-डी मॉडल से इंटरएक्ट करने, सर्जरी करने में मदद करने और प्रैक्टिस के दौरान रिस्क-फ्री वातावरण देने में मददगार है.

आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी जैसे संस्थान अपने चिकित्सा पाठ्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए VR और AR टूल्स की मदद ले रहे हैं. उदाहरण के लिए, VR सिमुलेशन स्टूडेंट्स को वर्चुअल सर्जरी करने की अनुमति देता है, जिससे उन्हें वास्तविक ऑपरेटिंग कमरे में कदम रखने से पहले व्यावहारिक अनुभव मिलता है. AR एप्लिकेशन फिजिकल मॉडल पर डिजिटल जानकारी को ओवरले करते हैं, जिससे विद्यार्थियों को क्लिनिकल प्रैक्टिस के दौरान जटिल शारीरिक संरचनाओं को विज़ुअलाइज़ करने में मदद मिलती है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) भारत में चिकित्सा शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. आज इन तकनीकों का उपयोग पर्सनलाइज्ड लर्निंग एक्सपीरियंस, स्टूडेंट्स परफॉर्मेंस को एनैलाइज़ करने और डाइग्नोस्टिक स्किल्स को बेहतर बनाने में किया जा रहा है.

AI-संचालित प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत लर्निंग पैटर्न का आकलन करने में मदद करते हैं. उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करते हैं, जहां स्टूडेंट्स को सुधार और बेहतर करने की आवश्यकता है. साथ ही ये कस्टमाइज्ड कंटेट प्रोवाइड कराने में मदद करता है, जिसकी पहले कमी थी. इसके अतिरिक्त, AI का उपयोग कर स्टूडेंट्स को मेडिकल इमेजिस और पेशेंट डेटा को एनैलाइज़ करने में प्रशिक्षित करने में मदद करता है, जिससे स्थिति को डाइग्नोस करने में मदद मिलती है, इसलिए आज हिन्दुस्तान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और विभिन्न मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान विद्यार्थियों को स्वास्थ्य देखभाल के भविष्य के लिए तैयार करने के लिए अपने कार्यक्रमों में AI टूल को शामिल कर रहे हैं.

ऑनलाइन लर्निंग और टेलीमेडिसिन ट्रेनिंग

COVID-19 महामारी ने पूरे भारत में ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों को अपनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे आज वह चिकित्सा शिक्षा का भी एक अभिन्न अंग बन गई. कौरसेरा, EDX और NPTEL जैसे प्लेटफार्मों के साथ इस समय भी मेडिकल विद्यार्थियों के पास पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत शृंखला तक पहुंचाने में मदद मिली, जो उनकी ट्रेडीशनल शिक्षा की पूरक थी.

इसी के साथ टेलीमेडिसिन ट्रेनिंग की भी ज़रूरत बढ़ी है, जिससे आज स्टूडेंट्स वर्चुअल परामर्श करना, दूर बैठे मरीजों का इलाज करना और टेलीहेल्थ के कानूनी और नैतिक विचारों को समझना सीख रहे हैं. आज के समय में टेलीमेडिसिन भारत के स्वास्थ्य सेवा लैंडस्केप की एक बेहद ज़रूरी ज़रूरत बन गई है. यह स्किल भविष्य के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए आवश्यक होता जा रहा है.

सिमुलेशन-आधारित शिक्षा

सिमुलेशन-आधारित शिक्षा लंबे समय से चिकित्सा शिक्षा की आधारशिला रही है, लेकिन टेक्नोलिजिक्ल एडवांसमंट इन सिमुलेशन को अधिक रियलिस्टिक और इफेक्टिव बना रही है. हाई फिडेलिटी मेनिक्युन्स, वर्चुअल पेशेंट्स और AI-ऑपरेटिड सिमुलेशन अब पूरे भारत के मेडिकल स्कूलों में आम बात हो गई है. ये टूल्स स्टूडेंट्स को एमरजेंसी प्रोसीजर्स, क्रिटिकल केयर और अधिक कॉम्पलेक्स मेडिकल इंटरवेंशन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.

गोपाल नारायण विश्वविद्यालय जैसे संस्थान सिमुलेशन केंद्रों में निवेश कर रहे हैं, जो स्टूडेंट्स को विभिन्न क्लिनिकल सिनेरियो को एक्सपीरियंस करने का अवसर प्रदान करते हैं. ये सेंटर्स नई टेक्नोलॉजी से लैस हैं, ताकि स्टूडेंट्स वास्तविक दुनिया की मेडिकल प्रैक्टिस की चुनौतियों के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकें.

बिग डेटा और एनैलिटिक्स

बिग डाटा और एनैलिटिक्स भारत में मेडिकल एजुकेशन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (EHR), क्लिनिकल स्टडीज और अन्य स्रोतों से डेटा का विश्लेषण कर शिक्षक मेडिकल नॉलेज में ट्रेंड और गैप की पहचान कर सकते हैं, जिससे अधिक टार्गेटेड और प्रभावी पाठ्यक्रम बनाने में मदद मिल सके.

इसके अलावा, स्टूडेंट्स की प्रोग्रेस को मॉनीटर करने और रियल टाइम फीडबैक देने में एनैलिटिक्स टूल का उपयोग किया जा रहा है, जिससे शिक्षकों को अपने स्टूडेंट्स की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अपने लर्निंग के तरीकों को तैयार करने में मदद मिल रही है. यह डेटा-संचालित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में मदद कर रहा है कि भारत में चिकित्सा शिक्षा वर्तमान और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो.

गेमिफ़िकेशन और इंटरएक्टिव लर्निंग

चिकित्सा शिक्षा में विद्यार्थियों को एनरॉल करने के लिए गेमिफिकेशन लोकप्रिय तरीके के रूप में उभर रहा है. क्विज़, चैलेंजेस और पुरस्कार जैसे गेमिंग एलिमेंट्स की मदद से शिक्षक सीखने को अधिक इंटरएक्टिव और मनोरंजक बना रहे हैं. कहूट जैसे प्लेटफार्म और मेडिकल स्पेसिफिक ऐप्स का इस्तेमाल आसान तरीके से सिखाने के लिए किया जा रहा है. इंटरएक्टिव लर्निंग मॉड्यूल, जिसमें केस स्टडीज, वर्चुअल पेशेंट्स और समस्या-समाधान प्रैक्टिस शामिल हैं, जो आज के समय में काफी पसंद किए जा रहे हैं. ये विधियां स्टूडेंट्स को सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक स्थितियों में इस्तेमाल करने, महत्वपूर्ण सोच और निर्णय लेने की स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं, जो आज मेडिकल प्रैक्टिस के लिए बेहद ज़रूरी है.

निष्कर्ष

भारत में चिकित्सा शिक्षा में टेक्नोलॉजी का सामंजस्य न केवल सीखने के अनुभवों को बढ़ा रहा है, बल्कि देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का भी समाधान कर रहा है. इन इनोवेशन्स को अपनाकर भारत मेडिकल हेल्थ प्रोफेशनल्स की एक नई पीढ़ी को प्रशिक्षित कर सकता है, जो न केवल कुशल हैं, बल्कि आधुनिक चिकित्सा की जटिलताओं को संभालने के लिए भी तैयार हैं.

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास जारी है, भारत में चिकित्सा शिक्षा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. सही निवेश और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ भारत बेहतर स्वास्थ्य सेवा के साथ 21वीं सदी की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है. भारत में मेडिकल एजुकेशन का भविष्य उज्ज्वल है, टेक्नोलॉजी पॉजिटिव बदलाव ला रही है, जिससे भविष्य में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे. 

त्रिविक्रम सिंह, गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय (GNSU) के प्रबंध निदेशक (MD) हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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