
- जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार किया
- जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड मामले की जांच के लिए 3 सदस्य कमेटी का गठन किया गया
- इस मामले में गठित कमेटी पहले अपनी रिपोर्ट देगी. तब तक यह प्रस्ताव लंबित रहेगा.
कैशकांड की वजह से सुर्खियों में आने वाले जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 146 सांसदों के साइन किए प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है. स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय पैनल की घोषणा की. स्पीकर ने कहा, " कमेटी के सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय के जज, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं.
कमेटी में में कौन कौन शामिल-
- न्यायमूर्ति अरविंद कुमार न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय
- न्यायमूर्ति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव मद्रास उच्च न्यायालय
- बीवी आचार्य वरिष्ठ अधिवक्ता कर्नाटक उच्च न्यायालय
इस मामले में कमेटी पहले अपनी रिपोर्ट देगी. तब तक यह प्रस्ताव लंबित रहेगा. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजेंगे. इस मामले में सभी सांसदों को एक सुर में बोलना चाहिए, यह बेहद गंभीर मामला है. कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस दौरान स्पीकर ने बताया कि उनके परिसर में आग लगने के कारण नगदी बरामद हुई, जिसका विवरण सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक किया था.
जस्टिस यशवंत वर्मा को कोर्ट से झटका
जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए कार्यवाही का रास्ता साफ उसी वक्त साफ हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने आंतरिक प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही का अंश पढ़ते हुए कहा था कि हमने कहा है कि हमारी किसी भी टिप्पणी से भविष्य की कार्यवाही में याचिकाकर्ता को कोई नुकसान न हो. हम सावधानी से कदम उठाएंगे. भविष्य में, यदि आवश्यक हो, उचित उपायों के माध्यम से शिकायतें उठाने की संभावना खुली है.
पद से हटाने की याचिका को दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने उनकी याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था. दरअसल, जस्टिस वर्मा ने अपने आवास से जला हुआ कैश मिलने के मामले में गठित जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने के लिए भेजी गई सिफारिश को भी चुनौती दी थी.
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