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    नरेंद्र मोदी की तीसरी जीत, भारत ही नहीं दुनिया में भी असाधारण

    नरेंद्र मोदी की उपलब्धि असाधारण मानी जा रही है. यह वैश्विक स्तर पर भारत के मजबूत लोकतंत्र और निष्पक्ष तथा पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया का भी एक ज्वलंत उदाहरण है. 

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    यूरोप और पश्चिम एशिया से व्यापार की तस्वीर बदल देगा नया कॉरीडोर

    भारत, अमेरिका यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी इटली और यूरोपीय संघ आयोग ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. समुद्र और रेल मार्ग के जरिए यह एक ऐसा कॉरीडोर होगा जिससे दक्षिण पूर्व एशिया से माल सीधे पश्चिम एशिया और यूरोप तक ले जाया जा सकेगा.

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    एनडीए के सामने चुनौतियां, आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा

    2019 में बीजेपी ने अपना दल के साथ मिल कर लोक सभा चुनाव लड़ा था. तब अपना दल को दो सीटें दी गईं थीं जो उसने जीत लीं. इस बार ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी भी बीजेपी के साथ है.

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    मंत्रिपरिषद में फेरबदल, एक तीर से दो निशाने

    रिजिजू को हटाने के फैसले को न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव से जोड़ा जा रहा है. वहीं, इस फैसले को इस साल होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों से जोड़ कर भी देखा जा रहा है.

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    त्वरित विश्लेषण- BJP के हाथ से क्यों फिसला कर्नाटक? ये 5 गलतियां पड़ी भारी

    कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के कारणों की जितनी चर्चा हो रही है, उतनी ही या उससे ज्यादा चर्चा बीजेपी की हार की हो रही है.

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    मोदी @72 : जनता का विश्वास, PM मोदी की असली शक्ति

    भारत के इतिहास में अकेले जवाहर लाल नेहरू ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. क्या मोदी यह करिश्मा कर इतिहास में अपनी एक अमिट छाप छोड़ पाएंगे?

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    'टीम राहुल' को बीजेपी की एक और चोट

    बीजेपी की बात करें तो उसके लिए उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बचाना बेहद जरूरी है. गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि अगर मोदी को 2024 में फिर से पीएम बनाना है तो 2022 में यूपी जीतना जरूरी है.

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    मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस क्यों लिया, जानें 6 बड़े कारण

    अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 में अगर मोदी को फिर पीएम बनाना है तो यूपी में 2022 में योगी को जिताना जरूरी है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को नुकसान की आशंका थी. लखीमपुर खीरी की घटना ने भी बीजेपी का नुकसान किया.

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    बीजेपी पर हावी आलाकमान संस्कृति, दूसरे राज्यों में भी लागू होगा गुजरात मॉडल?

    अपने पहले पांच साल के कार्यकाल में केवल एक मुख्यमंत्री हटाने वाले नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के केवल डेढ़ साल में पांच मुख्यमंत्री बदल चुके हैं. पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में तो बीजेपी एक कदम और आगे बढ़ गई. न केवल मुख्यमंत्री बर्खास्त हुआ. बल्कि उसकी पूरी कैबिनेट ही बर्खास्त कर दी गई.

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    क्या राष्ट्रीय मोर्चे की तर्ज पर बनने जा रहा है राष्ट्रीय मंच? मोदी को मिलेगी साझा चुनौती?

    इनमें छह क्षेत्रीय दलों के ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री हैं. ममता बनर्जी को मिला कर सात हो जाते हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लेफ्ट पार्टियां भी साथ आ सकती हैं. यानी विपक्ष के शासन वाले 12 राज्यों को एक मंच पर लाने का प्रयास हो रहा है. इसमें प्रमुख भूमिका चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर निभा रहे हैं.

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    जितिन प्रसाद के जरिये बीजेपी ने साधे एक तीर से कई निशाने 

    BJP को अगर मिशन 2022 में कामयाब होना है तो वह ब्राह्मणों की उपेक्षा नहीं कर सकती. इस समुदाय का पिछले तीन चुनावों से पार्टी को जमकर समर्थन मिला है. राज्य में उनकी संख्या 10 प्रतिशत से भी अधिक है और चुनाव परिणाम तय करने में उनकी एक बड़ी भूमिका होती है.

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    ट्विटर विवाद : क्योंकि भारत नाइजीरिया नहीं है

    कल रात ट्विटर पर एक बड़ी खबर आई. फ्रांस की समाचार एजेंसी एएफपी ने ब्रेकिंग न्यूज चलाई कि नाइजीरिया ने अनिश्चितकाल के लिए ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया है. पता चला कि ट्विटर ने वहां के राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी का एक ट्वीट कुछ समय के लिए हटा दिया था. इस ट्वीट में राष्ट्रपति ने देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की थी जिन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. कई लोगों ने इस ट्वीट की शिकायत की थी और इसे ट्विटर की एब्यूजिव बिहेवियर नीति का उल्लंघन माना था जिसके बाद ट्विटर ने उनका ट्वीट हटा दिया. जिसके बाद नाइजीरिया ने यह कार्रवाई की. सरकार के फैसले के तुरंत बाद ट्विटर की साइट पर रोक लग गई और लोग ट्वीट नहीं कर पाए. वहां ट्विटर बहुत लोकप्रिय है. उसके करीब चार करोड़ यूजर हैं.

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    पत्रकार परिसर के मुन्ना टेलर को नया जीवन दे गए जेटली

    दोनों में न कोई रिश्ता, न कोई बातचीत. फर्क यह कि आज जेटली नहीं रहे और मोहम्मद मुन्ना टेलर हंसी-खुशी अपने बच्चों के साथ जीवन काट रहा है. लेकिन जेटली नहीं होते तो शायद मोहम्मद मुन्ना आज का दिन नहीं देख पाता.

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    कितना दम है सरकारी नौकरी के चुनावी वादे में? 

    बिहार के विधानसभा चुनाव में इस बार नौकरियों और रोजगार का मुद्दा छाया हुआ है. आरजेडी के दस लाख सरकारी नौकरियों के वादे को खूब प्रचार मिल रहा है और बीजेपी को भी इसके जवाब में अगले पांच साल में चार लाख नौकरियों और 15 लाख रोजगार का वादा करना पड़ा है.

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    हरिवंश निशाने पर क्यों...?

    हरिवंश की आलोचना इसलिए हो रही है कि उन्होंने मत विभाजन क्यों नहीं कराया और सदन का कामकाज आगे बढ़ाने के लिए आम राय क्यों नहीं बनाई. वह चाहते, तो सदन कुछ देर के लिए स्थगित कर मत विभाजन का प्रयास कर सकते थे.

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    अकाली-BJP रिश्तों पर गंभीर संकट

    अकाली दल और BJP का रिश्ता काफी पुराना है. 53 साल पहले दोनों दल साथ आए थे. तब भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने पुराने स्वरूप भारतीय जनसंघ में थी. यह एक चुनाव-बाद गठबंधन था. पंजाब और हरियाणा के गठन के बाद हुए चुनाव में 104 सदस्यों की विधानसभा में अकाली दल को 36 और जनसंघ को 9 सीटें मिली थीं.

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी @70

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 वर्ष के हो गए. वे देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म भारत की स्वतंत्रता के बाद हुआ. इस तरह से स्वतंत्र भारत और उनकी जीवन यात्रा लगभग साथ-साथ चली है. यह संयोग ही है कि दो साल बाद भारत 72 वर्ष के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएगा. वे इस पद पर आसीन होने वाले ऐसा नेता भी हैं जो चुनी हुई सरकार के प्रमुख के पद पर सर्वाधिक समय रहे हैं.

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    बिहार चुनाव: सीट बंटवारे को लेकर पिता जैसे पैंतरे दिखा रहे चिराग पासवान

    बिहार चुनाव में एक प्रमुख खिलाड़ी लोक जनशक्ति पार्टी है. उसके नेता चिराग पासवान पहली बार आगे आकर कमान संभाल रहे हैं. अभी तक रामविलास पासवान ही पार्टी का चेहरा होते थे, लेकिन चिराग पासवान अपने पिता के नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं. हर चुनाव से पहले रामविलास पासवान सीटों के बंटवारे को लेकर जिस तरह पैंतरे दिखाते हैं वैसे ही चिराग भी दिखा रहे हैं. लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं.

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    आरएसएस पर मायावती का पैंतरा

    क्या इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस बीजेपी और नरेंद्र मोदी के साथ वैसे खुलकर साथ नहीं आ रहा है जैसे कि पिछले लोकसभा चुनाव में आया था? क्या आरएसएस के स्वयंसेवक मोदी सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं? क्या आरएसएस के समर्थन के बिना मोदी की नैया डूब रही है? कम से कम बीएसपी प्रमुख मायावती का तो यही दावा है.

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    त्रिशंकु लोकसभा की आशंका को लेकर जुगाड़ में जुटे विपक्षी दल

    अभी लोकसभा चुनाव के दो चरण होने बाकी हैं. 23 मई को क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, लेकिन कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए अभी से जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है, पर इन्हें एक डर है. वह यह कि त्रिशंकु लोकसभा के हालात में बीजेपी अगर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तो कहीं राष्ट्रपति उसे सरकार बनाने के लिए न बुला लें. ऐसा 1996 में हो चुका है जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया था.

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