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अखिलेश शर्मा

पत्रकारिता में पिछले 24 साल से सक्रिय अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक और प्राइम टाइम एंकर हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा, संसदीय लोकतंत्र, राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा दलीय राजनीति से जुड़े विषयों में उनकी गहन दिलचस्पी है। पिछले डेढ़ दशक से बीजेपी से जुड़ी ख़बरें कवर कर रहे हैं।

  • भारत के इतिहास में अकेले जवाहर लाल नेहरू ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. क्या मोदी यह करिश्मा कर इतिहास में अपनी एक अमिट छाप छोड़ पाएंगे?
  • बीजेपी की बात करें तो उसके लिए उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बचाना बेहद जरूरी है. गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि अगर मोदी को 2024 में फिर से पीएम बनाना है तो 2022 में यूपी जीतना जरूरी है.
  • अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 में अगर मोदी को फिर पीएम बनाना है तो यूपी में 2022 में योगी को जिताना जरूरी है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को नुकसान की आशंका थी. लखीमपुर खीरी की घटना ने भी बीजेपी का नुकसान किया.
  • अपने पहले पांच साल के कार्यकाल में केवल एक मुख्यमंत्री हटाने वाले नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के केवल डेढ़ साल में पांच मुख्यमंत्री बदल चुके हैं. पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में तो बीजेपी एक कदम और आगे बढ़ गई. न केवल मुख्यमंत्री बर्खास्त हुआ. बल्कि उसकी पूरी कैबिनेट ही बर्खास्त कर दी गई.
  • इनमें छह क्षेत्रीय दलों के ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री हैं. ममता बनर्जी को मिला कर सात हो जाते हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लेफ्ट पार्टियां भी साथ आ सकती हैं. यानी विपक्ष के शासन वाले 12 राज्यों को एक मंच पर लाने का प्रयास हो रहा है. इसमें प्रमुख भूमिका चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर निभा रहे हैं.
  • BJP को अगर मिशन 2022 में कामयाब होना है तो वह ब्राह्मणों की उपेक्षा नहीं कर सकती. इस समुदाय का पिछले तीन चुनावों से पार्टी को जमकर समर्थन मिला है. राज्य में उनकी संख्या 10 प्रतिशत से भी अधिक है और चुनाव परिणाम तय करने में उनकी एक बड़ी भूमिका होती है.
  • कल रात ट्विटर पर एक बड़ी खबर आई. फ्रांस की समाचार एजेंसी एएफपी ने ब्रेकिंग न्यूज चलाई कि नाइजीरिया ने अनिश्चितकाल के लिए ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया है. पता चला कि ट्विटर ने वहां के राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी का एक ट्वीट कुछ समय के लिए हटा दिया था. इस ट्वीट में राष्ट्रपति ने देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की थी जिन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. कई लोगों ने इस ट्वीट की शिकायत की थी और इसे ट्विटर की एब्यूजिव बिहेवियर नीति का उल्लंघन माना था जिसके बाद ट्विटर ने उनका ट्वीट हटा दिया. जिसके बाद नाइजीरिया ने यह कार्रवाई की. सरकार के फैसले के तुरंत बाद ट्विटर की साइट पर रोक लग गई और लोग ट्वीट नहीं कर पाए. वहां ट्विटर बहुत लोकप्रिय है. उसके करीब चार करोड़ यूजर हैं.
  • बिहार के विधानसभा चुनाव में इस बार नौकरियों और रोजगार का मुद्दा छाया हुआ है. आरजेडी के दस लाख सरकारी नौकरियों के वादे को खूब प्रचार मिल रहा है और बीजेपी को भी इसके जवाब में अगले पांच साल में चार लाख नौकरियों और 15 लाख रोजगार का वादा करना पड़ा है.
  • हरिवंश की आलोचना इसलिए हो रही है कि उन्होंने मत विभाजन क्यों नहीं कराया और सदन का कामकाज आगे बढ़ाने के लिए आम राय क्यों नहीं बनाई. वह चाहते, तो सदन कुछ देर के लिए स्थगित कर मत विभाजन का प्रयास कर सकते थे.
  • अकाली दल और BJP का रिश्ता काफी पुराना है. 53 साल पहले दोनों दल साथ आए थे. तब भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने पुराने स्वरूप भारतीय जनसंघ में थी. यह एक चुनाव-बाद गठबंधन था. पंजाब और हरियाणा के गठन के बाद हुए चुनाव में 104 सदस्यों की विधानसभा में अकाली दल को 36 और जनसंघ को 9 सीटें मिली थीं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 वर्ष के हो गए. वे देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म भारत की स्वतंत्रता के बाद हुआ. इस तरह से स्वतंत्र भारत और उनकी जीवन यात्रा लगभग साथ-साथ चली है. यह संयोग ही है कि दो साल बाद भारत 72 वर्ष के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएगा. वे इस पद पर आसीन होने वाले ऐसा नेता भी हैं जो चुनी हुई सरकार के प्रमुख के पद पर सर्वाधिक समय रहे हैं.
  • बिहार चुनाव में एक प्रमुख खिलाड़ी लोक जनशक्ति पार्टी है. उसके नेता चिराग पासवान पहली बार आगे आकर कमान संभाल रहे हैं. अभी तक रामविलास पासवान ही पार्टी का चेहरा होते थे, लेकिन चिराग पासवान अपने पिता के नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं. हर चुनाव से पहले रामविलास पासवान सीटों के बंटवारे को लेकर जिस तरह पैंतरे दिखाते हैं वैसे ही चिराग भी दिखा रहे हैं. लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं.
  • दोनों में न कोई रिश्ता, न कोई बातचीत. फर्क यह कि आज जेटली नहीं रहे और मोहम्मद मुन्ना टेलर हंसी-खुशी अपने बच्चों के साथ जीवन काट रहा है. लेकिन जेटली नहीं होते तो शायद मोहम्मद मुन्ना आज का दिन नहीं देख पाता.
  • क्या इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस बीजेपी और नरेंद्र मोदी के साथ वैसे खुलकर साथ नहीं आ रहा है जैसे कि पिछले लोकसभा चुनाव में आया था? क्या आरएसएस के स्वयंसेवक मोदी सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं? क्या आरएसएस के समर्थन के बिना मोदी की नैया डूब रही है? कम से कम बीएसपी प्रमुख मायावती का तो यही दावा है.
  • अभी लोकसभा चुनाव के दो चरण होने बाकी हैं. 23 मई को क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, लेकिन कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए अभी से जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है, पर इन्हें एक डर है. वह यह कि त्रिशंकु लोकसभा के हालात में बीजेपी अगर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तो कहीं राष्ट्रपति उसे सरकार बनाने के लिए न बुला लें. ऐसा 1996 में हो चुका है जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया था.
  • पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स में लगे भ्रष्टाचार के आरोप पीएम नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर उछाल दिए. उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी है कि दम है तो बाकी बचे दो चरणों में इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ कर देख ले. पीएम मोदी ने कहा कि अभी पंजाब में, दिल्ली में, भोपाल में वोटिंग होनी है. कांग्रेस चाहे तो राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़ कर दिखा दे. और अब से कुछ देर पहले दिल्ली में एक रैली में राहुल गांधी ने पीएम को जवाब दिया है. आपको बता दूं कि राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर एक बताने के पीएम मोदी के बयान से कांग्रेस पहले से ही भड़की हुई है. पार्टी ने आज इसकी शिकायत चुनाव आयोग को भी कर दी. कांग्रेस का कहना है कि यह अपमानजनक भाषा है.
  • लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान खत्म होते ही बीजेपी ने भी अपनी चुनावी रणनीति का दूसरा चरण शुरू कर दिया है. यह वह चरण है जिसमें बीजेपी अपने तरकश में मौजूद हर तीर का इस्तेमाल कर रही है. इसे हिंदुत्व 2.0 का नाम दिया गया है. यानी मोदी-शाह का वह हिंदुत्व जो वाजपेयी-आडवाणी के हिंदुत्व से बिल्कुल अलग है. तब मंदिर मंडल का दौर था तो इस दौर में मंदिर और मंडल को मिलाकर हिंदुत्व का नया रूप तैयार किया गया है. यह आक्रामक हिंदुत्व है जो खुलकर ध्रुवीकरण करता है.
  • एक सवाल देश में कई लोगों को बेहद परेशान कर रहा है. बालाकोट हमले में कितने आतंकवादी मारे गए? सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह संख्या तीन सौ है तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कम से कम ढाई सौ आतंकवादियों के मरने की बात कही. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह कह रहे हैं कि चार सौ आतंकवादी मारे गए. एक बात बिल्कुल साफ है. किसी भी ऑपरेशन की कामयाबी की पुष्टि तीन जरियों से ही हो सकती है. या तो वायुसेना कहे कि हमला सही निशाने पर किया गया. दूसरा जमीनी खुफिया जानकारी बताए कि हमला कितना कामयाब रहा और तीसरा जरिया तकनीक से जुटाई जानकारी, जिसमें निशाने पर हमले से पहले मौजूद लोगों की संख्या का आकलन हो ताकि हमले में उनके मरने की पुष्टि हो सके.
  • पुलवामा के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने में भारत को कामयाबी मिलती नजर आ रही है. न्यूजीलैंड की संसद ने पुलवामा आतंकी हमले की निंदा में एक प्रस्ताव पारित किया है. संसद में निंदा प्रस्ताव पारित करने वाला न्यूजीलैंड पहला देश बन गया है.
  • सोचिए अगर इस आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिले. किसी गठबंधन को भी न मिले. त्रिशंकु संसद की हालत में क्या होगा? यह एक ऐसा सवाल है जो बार-बार पूछा जा रहा है. इसका एक जवाब यह भी है कि ऐसे हालात में राष्ट्रपति सबसे बड़ी पार्टी या फिर चुनाव पूर्व सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं. ऐसा पहले भी हुआ है. हम यह बात इसलिए उठा रहे हैं कि चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी ने न सिर्फ अपना कुनबा बढ़ाना शुरू कर दिया है.
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