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This Article is From May 13, 2023

त्वरित विश्लेषण- BJP के हाथ से क्यों फिसला कर्नाटक? ये 5 गलतियां पड़ी भारी

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    May 13, 2023 18:03 IST
    • Published On May 13, 2023 18:03 IST
    • Last Updated On May 13, 2023 18:03 IST

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे (Karnataka Elections Result 2023) कांग्रेस (Congress) के लिए जहां संजीवनी से कम नहीं है, जो पार्टी में जान और ऊर्जा डालने का काम करेगी. वहीं, बीजेपी के लिए चुनाव में हार (BJP Lost Karnataka Elections) किसी सदमे जैसा है. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत राज्य की उस 38 साल की परंपरा का भी दोहराव है, जिसमें 1985 के बाद कोई सरकार रिपीट नहीं हुई है. 

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के कारणों की जितनी चर्चा हो रही है, उतनी ही या उससे ज्यादा चर्चा बीजेपी की हार की हो रही है. कर्नाटक में बीजेपी की हार के ये पांच कारण हैं:-

बीएस येदियुरप्पा को किनारे करना  
बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया. कर्नाटक में उनसे बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार कराया, लेकिन जिस तरह से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे लिंगायत वोटों की नाराजगी बढ़ी. ये नाराजगी चुनाव में भारी पड़ी. मतदाताओं में यह संदेश गया कि येदियुरप्पा पार्टी की अंदरूनी राजनीति में अपने विरोधी और ताकतवर नेता बीएल संतोष के शिकार बने. लिंगायत बहुल सीटों पर कांग्रेस की बड़ी जीत बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.  

भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई न करना 
बीजेपी उन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती नहीं दिखी, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. पार्टी ने ईश्वरप्पा का टिकट जरूर काटा, लेकिन उनसे दूरी न बना कर इस मुद्दे पर कांग्रेस को आक्रामक होने का मौका दे दिया. कांग्रेस '40 प्रतिशत कमीशन' की सरकार का लेबल बीजेपी पर चिपकाने में कामयाब रही. 

स्थानीय मुद्दों के बजाए राष्ट्रीय मुद्दों को तरजीह देना 
बीजेपी कांग्रेस के सधे चुनावी अभियान का स्थानीय स्तर पर मुकाबला करने में नाकाम रही. कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर हावी रही. बीजेपी इसके मुकाबले राष्ट्रीय और सांप्रदायिक मुद्दे उछालती रही. बीजेपी ने अपना घोषणा-पत्र लाने में बहुत देरी की. तब तक कांग्रेस अपनी पांच गारंटियों को जनता तक पहुंचा चुकी थी. 

गुजरात मॉडल को लागू न करना 
बोम्मई सरकार के 11 मंत्री और कई विधायक चुनाव हार गए. यह सरकार के प्रति लोगों के गुस्से का सबूत है. बीजेपी एंटी-इंकमबेंसी का मुकाबला नहीं कर सकी. चुनाव से पहले यह मांग उठी थी कि बीजेपी 'गुजरात मॉडल' को लागू करते हुए बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटे, लेकिन इसे नहीं माना गया.  

मोदी बनाम राहुल नहीं हुआ 
बीजेपी विधानसभा चुनाव को भी मोदी बनाम राहुल कर राष्ट्रीय स्वरूप देने की रणनीति पर काम करती है. इसी तरह बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को मोबेलाइज कर मतदाताओं को वोट देने के लिए लाती है. लेकिन इस माइक्रो-मैनेजमेंट पर कांग्रेस का वोकल फॉर लोकल भारी पड़ा. टिकट बंटवारे में गड़बड़ी, अंदरूनी राजनीति, भितरघात बीजेपी के खिलाफ गया. वहीं, कांग्रेस स्थानीय मुद्दों से टस से मस नहीं हुई. राहुल गांधी भी अपने प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों को तूल देने से बचे. चुनाव को मोदी बनाम राहुल बनने से कांग्रेस ने बखूबी रोक दिया.

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के एग्जीक्यूटिव एडिटर (पॉलिटिकल) हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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