यह सामान्य यात्रा नहीं थी. अबूझमाड़ के घने जंगलों के मुहाने पहुंचना वह भी तब जब दुर्दांत माओवादी बसवराजू के ख़ात्मे के बाद ज़मीनी हालात बिल्कुल बदल गए हों. रायपुर से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ अबूझमाड़ के लिए जब हेलिकॉप्टर से रवाना हुआ तब तेज गर्मी थी. धीरे-धीरे कंक्रीट के जंगल गायब होते गए और घने जंगल नीचे दिखाई देने लगे. बीच में हल्की बारिश ने स्वागत किया और करीब पचास मिनट की यात्रा के बाद हम पहुंच गए अबूझमाड़ के गांव कुन्दला में. यहां बीएसएफ़ का बड़ा कैंप है.

यहां मुख्यमंत्री का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे. इनमें महिलाओं की संख्या बहुत अधिक थी. कैंप के ठीक सामने ही सिनेमा हॉल खुल गया है. वहां खड़ी स्कूली छात्राओं ने सीएम का तालियां बजाकर स्वागत किया.
यह दौरा सीएम के सुशासन तिहार नाम के कार्यक्रम का हिस्सा है. इसमें सीएम बिना स्थानीय प्रशासन को पूर्व सूचना दिए बिना अचानक ग्रामीणों के बीच पहुंचते हैं. सरकार की योजनाएं गांव वालों तक पहुंच रही हैं या नहीं, यह पूछते हैं.
यहां उन्होंने एक महिला से महतारी वंदन योजना के बारे में पूछा कि उन्हें एक हज़ार रुपये प्रति महीने मिल रहा है या नहीं? महिला ने बहुत आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया कि उन्हें न केवल हर महीने पैसा मिल रहा है, बल्कि इसका उपयोग उन्होंने सिलाई मशीन ख़रीदने में किया, जिससे कमाई का ज़रिया मिल गया है. यह संवाद पहले हिन्दी में हो रहा था. जल्दी ही कहा गया कि अबूझमाढ़िया में बात करें. एक अनुवादक भी सामने आ गई, जिसने अबूझमाढ़िया से हिन्दी में अनुवाद शुरू कर दिया. बताया गया कि गोंड और अबूझमाढ़िया मिलती-जुलती हैं.

गांव के बच्चे बहुत होशियार और चंचल हैं. यह गांव मैराथन के लिए प्रसिद्ध है. दो बच्चों ने करीब 23 किलोमीटर की मैराथन पूरी की. पढ़ाई में भी कुछ बच्चे होशियार हैं. दसवीं कक्षा में उनके अच्छे अंक आए. सीएम ने इन बच्चों का सम्मान किया.
सीएम ने अपने भाषण में बताया कि कैसे उनकी सरकार माओवाद के ख़ात्मे के लिए प्रतिबद्ध है. यह ज़िक्र आते ही लोगों ने जबरदस्त ढंग से भारत माता की जय का नारा बुलंद किया. सीएम ने बसवराजू के ख़ात्मे का ज़िक्र किया. उन्होंने लोगों से वादा किया कि जल्दी ही यह पूरा क्षेत्र माओवाद से मुक्त करा लिया जाएगा.
थोड़ी ही दूर पर डीएसजी के वे बहादुर जवान सीएम का इंतज़ार कर रहे थे, जिन्होंने बसवराजू को ढेर किया. कल उन्होंने वापसी के बाद होली खेलकर ऑपरेशन की सफलता का जश्न मनाया था. आज भी कई जवानों के हाथों में रंग लगा हुआ था.
इस कैंप के ठीक पीछे एक पुल बन रहा है. वहां बताया गया कि किसी जमाने में माओवादी इस धारा को पार नहीं करने देते थे. उनका वर्चस्व किनारे तक था. पुल का काम पूरा नहीं होने देते थे, लेकिन अब उन्हें काफी पीछे खदेड़ दिया गया है.
यहां लाइन से मोटरसाइकिलें खड़ी दिखीं. पूछने पर बताया गया कि कच्चे रास्तों से सुदूर जंगल जाने के लिए जवान इन्हीं का उपयोग करते हैं. ऐसा जल्दी पहुंचने के साथ ही बारूदी सुरंगों से बचने के लिए भी किया जाता है.

यहां एक बहुत ही नौजवान महिला आईएएस अधिकारी से मुलाकात हुई. केवल तीस वर्ष की उत्तराखंड की रहने वाली इन आईएएस अधिकारी प्रतिष्ठा ममगेन के हौसले को सलाम करने की इच्छा होती है. वे बाइक पर पीछे बैठ कर गांवों में जाती हैं. जल्दी ही बारिश होने वाली है. लिहाजा गर्भवती महिलाओं को तैयार कर रही हैं कि वे नजदीकी क़स्बे में अपने रिश्तेदारों के घरों में शिफ़्ट कर लें ताकि प्रसव में उचित देखभाल हो सके. सरकारी योजनाओं को ज़मीन पर उतारने के लिए उनकी ललक क़ाबिल ए तारीफ़ है. मैंने उनसे पूछा कि अबूझमाड़ में इतनी कम उम्र में तैनाती के बारे में वे क्या सोचती हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने काम से प्रसन्न हैं और यहां उनका मन लगता है.

वापसी में पायलट से पूछा कि कहीं मौसम खराब तो नहीं मिलेगा. कैंप में सिग्नल नहीं आते. उन्होंने बताया कि अभी तक मौसम खराब होने की चेतावनी नहीं है. वापसी में घने जंगल के बीच एक सीधी लकीर दिखी. पूछने पर पता चला कि यह नई रेलवे लाइन बिछाई जा रही है. कुछ किलोमीटर दूर रायपुर से विशाखापत्तनम एक्सप्रेसवे का काम भी चल रहा है. विकास बस्तर की दहलीज़ पर दस्तक दे रहा है. कोई हैरानी नहीं होगी अगर आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र केवल छत्तीसगढ़ का ही नहीं बल्कि पूरे देश का ग्रोथ इंजन बन जाए.
केंद्र सरकार ने नक्सलवाद मिटाने के लिए मार्च 2026 की समयसीमा तय की है. सीएम का कहना है कि छत्तीसगढ़ इस समयसीमा से पहले ही नक्सलवाद खत्म कर देगा.
अगर ऐसा होता है तो यह भारत की आंतरिक सुरक्षा को कई दशकों से मिल रही चुनौती का ख़ात्मा होगा॥