विज्ञापन
This Article is From Nov 20, 2014

नीता शर्मा की नज़र से : बीजेपी के लिए आसान नहीं है कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतना...

नीता शर्मा की नज़र से : बीजेपी के लिए आसान नहीं है कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतना...
नई दिल्ली:

बेशक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कश्मीरी पंडितों के भरोसे राज्य की सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद कर रही हो, और दावा कर रही हो कि वह 62,000 विस्थापित कश्मीरी पंडितों को बसा देगी, लेकिन हकीकत यह है कि कश्मीरी पंडित बीजेपी से खफा हैं।

"प्रधानमंत्री बदलने से हमारी हकीकत नहीं बदली..." यह वह सच है, जो आज हर कश्मीरी पंडित की ज़ुबान पर है। बड़गाम जिले के शेखपुरा इलाके में जब एनडीटीवी पहुंचा, तब वहां रह रहे कश्मीरियों ने अपना दर्द बताते हुए कहा, जब नए प्रधानमंत्री आए थे, उनसे उन्हें भी उम्मीदें थीं, उन्होंने भी सोचा था कि प्रधानमंत्री कश्मीरी पंडितों के हालात भी बदल देंगे, लेकिन पिछले छह महीनों में हालात कतई नहीं बदले हैं। "अब चुनाव आ गए हैं, तो वादे ज़रूर कर रहे हैं, लेकिन सब वादे झूठे हैं...," यह कहना है नानाजी का, जो पिछले चार साल से शेखपुरा में रह रहे हैं।

लोगों में इस बात पर भी गुस्सा है कि नरेंद्र मोदी बाढ़ के बाद कई बार घाटी आए, लेकिन उनसे नहीं मिले। इसी कॉलोनी में रहने वाले विनोद पंडिता का कहना है, "बाढ़ तो अभी आई, हम तो पिछ्ले 20 साल से बेघर हैं, हमें तो वह नही मिले..."

गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत उन्हें नौकरी भले ही मिल गई हो, लेकिन तनख्वाह बीते छह महीनों से अटकी हुई है। बंटी धर और उनके पति नटीपुरा हाईस्कूल में टीचर हैं, लेकिन उन्हें सैलरी नहीं मिल रही तो अपने ही बच्चों की फीस भरने के पैसे नहीं जुट रहे। बंटी ने एनडीटीवी से कहा, "क्या करें, खाने को भी कई बार पैसे नहीं होते..."

नजरीश काटजू, जो सरकारी कमर्चारी हैं, कहते हैं, उन्हे पिछले आठ महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। उनका कहना था, "पहले हम 1,500 लोगों को बसाएं, फिर आगे की बात करें..." यहां आने से पहले कुलगाम में रहने वाले सरकारी नौकर आशू बट्ट ने भी बताया, "मुझे भी पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली, हम बस इधर-उधर धक्के खाते रहते हैं..."

हालांकि कुछ ने यह भी माना कि पैसा केंद्र से आ जाता है, लेकिन राज्य उसे आगे नहीं बांटता, जिसकी वहज से उन्हें सैलरी नहीं मिलती। दरअसल वर्ष 2008 में 3,000 कश्मीरी पंडितों के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत राज्य सरकार को पैसा तो दिया, लेकिन नौकरी सिर्फ 1,200 लोगों को मिल सकी, और बाकियों के तो इश्तिहार तक नहीं छपे।

उस योजना के तहत जिन लोगों को बसाया गया, उन्हें बड़गाम के शेखपुरा, अनंतनाग के मट्टन, कुलगाम के वेसु, कुपवाड़ा के नटसुआ, पुलवामा के हेवल, और बारामूला के केचर बथरी में बसाया गया था। लेकिन इन्हीं में से एक रेणु के मुताबिक, "हालात इतने खराब हैं कि एक-एक घर में पांच-पांच परिवार रहते हैं, और एक-एक रसोई में पांच-पांच चूल्हे हैं..."

उधर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि केंद्र सरकार 62,000 लोगों को वापस बसाएगी और उनके लिए जमीन भी देखी जानी शुरू हो गई थी, जिनमें जकुरा और अनंतनाग जिले शामिल हैं।

सो, बीते तीन दशकों में घाटी के पंडितों ने सियासत के कई रंग देखे हैं, और इसीलिए इनका भरोसा जीतना बीजेपी के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं लगता।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
जम्मू एवं कश्मीर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कश्मीरी पंडित, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव, नीता शर्मा, Jammu And Kashmir, Bharatiya Janata Party (BJP), Kashmiri Pundits, Jammu-Kashmir Assembly Polls, Neeta Sharma, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2014, Jammu-Kashmir Assembly Polls 2014, विधानसभा चुनाव 2014, Assembly Polls 2014
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com