दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक में स्थित गृह मंत्रालय में काम के घंटे बढ़ गए हैं. ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि गर्मी के दिन काफी लंबे होते हैं, बल्कि इसकी वजह गृह मंत्री की बहुत ज्यादा काम करने की प्रवृति है. अमित शाह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को सुबह 10 बजे से पहले ही अपने कार्यालय पहुंच गए. गुरुवार को भी वे सुबह 9.40 बजे पहुंचे और देर तक रुके. मैं बीते एक दशक से गृह मंत्रालय को कवर कर रही हूं और चार गृह मंत्रियों को देखा है. अमित शाह ऐसे पहले गृह मंत्री हैं जो अपना पूरा दिन ऑफिस में बिताने हैं और रात 8 बजे के बाद निकलते हैं.
नतीजा यह है कि सिर्फ अधिकारी ही नहीं, यहां तक कि दो गृह राज्यमंत्री भी लंबे समय तक काम करते हैं. अपने पूर्ववर्ती राजनाथ सिंह के विपरीत गृह मंत्री दोपहर के भोजन के लिए भी घर नहीं जाते हैं. उनके लिए दोपहर का खाना 12.45 बजे तक पूरी सफाई के साथ पैक की गई टोकरी में आ जाता है. यहां तक कि मंगलवार को ईद के मौके पर भी अमित शाह काम करते दिखे. उन्हें देखते हुए उनके दो डिप्टी और काफी सीनियर अफसर भला कैसे इस दिन को छुट्टी का दिन मान लेते.
अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय बड़ा पॉवर सेंटर बन रहा है.
उनके एक जूनियर मंत्री ने कहा कि 'यदि वरिष्ठ मंत्री आफिस में हों तो हमें आसपास ही रहना होता है. और यह तो सिर्फ शुरुआत है, क्योंकि वे अक्सर देर तक काम करते हैं और यह उनकी आदत में है.' कई बीजेपी नेता कहते हैं कि वे सोने से पहले अपने बिस्तर पर पेन और कागज रख लेते हैं, पता नहीं कब अमित शाह का फोन आ जाए. यह पार्टी अध्यक्ष की आदत में शामिल है, देर रात में फोन कर देना और काम सौंपने के साथ उसकी डेडलाइन भी तय कर देना.
एक राज्यमंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा कि 'हमारे मंत्री तो 80 समितियों का संचालन देखते रहे हैं, अब तो यहां सिर्फ आठ हैं.' अब अधिकारी देश के 30 वें गृह मंत्री के साथ तालमेल रखने की कोशिश कर रहे हैं.
पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह रायसीना हिल के अपने आफिस में आधा दिन काम करने के बाद बाकी काम घर से पूरा करते थे. कई महत्वपूर्ण बैठकें, राजनीतिक बैठकें भी उनके घर पर ही होती थीं. नए गृह मंत्री की लगभग सभी बैठकें नॉर्थ ब्लॉक में ही होती हैं. गवर्नर, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य बीजेपी वगैरह, सबके लिए अब यह नया पता है.
कई अर्धसैनिक बल प्रमुख उनसे मिल सकते हैं, लेकिन राज्य के पुलिस प्रमुख अभी भी कतार में हैं. उनसे कहा जाता है कि मंत्री 'व्यस्त' हैं. ऐसा ही है निश्चित रूप से. वे अपने मंत्रालय की विभिन्न विंगों में ब्रीफिंग लेते हैं. 19 विभाग हैं और प्रत्येक को मंत्री के लिए एक प्रजेंटेशन तैयार करने के लिए कहा गया है.
यह संकेत है कि अमित शाह के नेतृत्व वाला गृह मंत्रालय बड़ा पाॉवर सेंटर बनेगा. वे आठ कैबिनेट कमेटियों में हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम छह समितियों में है. राजनाथ सिंह का नाम गुरुवार को आई पहली लिस्ट में सिर्फ दो समितियों में था. शाम को उनका नाम छह समितियों में हो गया.
अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी दो दशकों से आपस में काफी करीब हैं. दो आम चुनाव उन्होंने मिलकर जीते हैं.
क्या अमित शाह वास्तव में उप प्रधानमंत्री हैं? यह विषय नौकरशाही के लिए अबूझ है. मंत्रालय के एक अधिकारी बताते हैं कि "वे खुद को इस तरह से आगे बढ़ा रहे हैं कि बाबू भी महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर लाइन में लगे रहते हैं. कोई भी उन्हें न नहीं कहना चाहता, या एक काउंटर पॉइंट ऑफ व्यू देना चाहता है." कुछ नौकरशाहों का कहना है कि नवोदित केंद्रीय मंत्री, जिन्हें भाजपा की अविश्वसनीय जीत का श्रेय दिया जाता है, मोदी युग 2 के उभरते हुए सितारे हैं.
एक तथ्य यह भी है कि अमित शाह उन कमेटियों में भी हैं जिनका गृह मंत्रालय से कोई संबंध नहीं है. एक नई कमेटी, जो कि रोजगार और आर्थिक वृद्धि के लिए है, में उनका होना स्पष्ट उदाहरण है. सरकार में उनकी अहमियत का संकेत है. एक अधिकारी ने कहा कि राजनाथ सिंह को नंबर दो मंत्री के रूप में माना जा रहा है, लेकिन इनमें से अधिकांश समितियां शाह के महत्व को कम नहीं करती हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का नई सरकार में रोल भी पीएम मोदी के लिए ईंधन की तरह है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि "आंतरिक सुरक्षा के मामलों में, पहले एनएसए के आदेश से कार्रवाई होती थी. लेकिन अमित शाह किसी नौकरशाह को छूट नहीं दे सकते हैं."
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी एक और विषय है जिसके बारे में पावर कॉरिडोर में सबसे ज्यादा चर्चा की जाने वाली है. इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी सरकार 2 के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इसके पैनल में हमेशा सरकार के शीर्ष चार लोग शामिल होते हैं, और नए विदेश मंत्री एस जयशंकर इसका एक हिस्सा हैं.
डोभाल की पदोन्नति कैबिनेट रैंक के रूप में हो गई है. अधिकारियों का अनुमान है, उन्हें केवल जयशंकर की बराबरी पर लाना था, क्योंकि यह महसूस किया गया था कि दोनों के बीच निरंतर तुलना की जाएगी. सरकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि 'पिछली सरकार में पहले जयशंकर डोभाल की बैठकों में आया करते थे लेकिन अब वे कैबिनेट कमेटी (CCS) में हैं, बहुत ऊंची छलांग है.'
जम्मू-कश्मीर से जुड़ा मामला, नक्सली समस्या, पूर्वोत्तर, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, नागरिकता बिल और पाकिस्तान से भारत के संवाद को फिर से शुरू करना वे मुख्य विषय हैं जिन पर अगले पांच सालों में चर्चा होनी है.
(नीता शर्मा एनडीटीवी इंडिया में संपादक- रणनीतिक और सुरक्षा मामले हैं)
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