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This Article is From Nov 17, 2014

नीता शर्मा की नजर से : जम्मू-कश्मीर में उलटफेर कर पाएगी बीजेपी?

नीता शर्मा की नजर से : जम्मू-कश्मीर में उलटफेर कर पाएगी बीजेपी?
भाजपा महासचिव राम माधव की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

इस बार जम्मू−कश्मीर के चुनावों में क्या बीजेपी वाकई उलटफेर कर पाएगी। अब वह अपने मिशन 44 के आगे जाकर 50 सीटें लाने की बात कर रही है। उसे उम्मीद है कि इस बार उसे घाटी में भी समर्थन मिलेगा।

जम्मू-कश्मीर में चुनावों से पहले एक के बाद एक पार्टी ने चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन कराया है। पहले लग रहा था कि ये आने वाले चुनाव का उत्साह है। लेकिन, अब सामने आ रहा है कि ये मिशन-44 पूरा करने की बीजेपी की रणनीति है। इन पार्टियों में
कश्मीर डेवलपमेंट फ्रंट, जेके सेव पार्टी, तहरीक़े हक़ और पीपुल्स रिपब्लिक पार्टी भी शामिल है जिसके पीछे दूसरी पार्टियों के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर धार्मिक जमातों तक के लोग हैं।

राज्य में बीजेपी सभी 87 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसे उम्मीद है कि जम्मू की 37 सीटों में उसे 25 मिल सकती हैं। लद्दाख की चार में से तीन और घाटी की 46 सीटों में तीन या चार सीट यानी कुल मिलाकर 32 सीटें। बाकी सीटें वह दोस्तों से जुटाएगी और बीजेपी को किसी से ऐतराज़ नहीं है।

पूर्व अलगाववादी नेता सज्जाद लोन पहले ही प्रधानमंत्री से मिल चुके हैं। ये ही नहीं बीजेपी के पार्टी महासचिव राम माधव कई निर्दलीय विधायकों से मिल चुके हैं। इनमें उमर अब्दुल्ला सरकार के कृषि मंत्री ग़ुलाम हसन मीर और पीपुल्ड डेमोक्रैटिक फ्रंट के विधायक हक़ीम यासीन शामिल हैं।

जब एनडीटीवी उनसे मिला तब उन्होंने बताया कि वह सब अब घाटी में बने तीसरे मोर्चे का हिस्सा हैं। तीसरा मोर्चा− यानी अवामी मुत्तदा महज− सबसे ज़्यादा नुकसान पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस को पहुंचा सकता है।

गुलाम हसन मीर ने माना पीडीपी और एनसी अब एक दूसरे की परछाई बन चुकी हैं। दोनों को लगता है कि घाटी में उन्हीं दोनों मे से कोई सरकार बनाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं है, अब हम लोगों को एक नया विक्लप देंगे।

दरअसल गुलाम हसन मीर ने ही कई साल पहले पीडीपी को बनाया था। मीर दो बार टनमर्ग से चुन कर आए हैं और बीजेपी से इनके क़रीबी संबंध हैं। पूर्व सेना प्रमुख और पूर्वोत्तर मामलों के मंत्री वीके सिंह से भी इन दिनों यहीं हैं। उनका दावा है कि अवामी मुत्तदा महज अगली सरकार बनने में अहम भूमिका निभाएगी। घाटी में मिली जुली सरकार ही बनेगी ये उनका दावा है। उनके साथ हमें हक़ीम यासीन साहब भी मिले उनका बडगाम में काफी दबदबा है।

वह 1996 से ही खाना साहिब सीट से जीतते रहे हैं। अब नई सियासी जोड़तोड़ में लगे हुए हैं। हम सब छोटे दल इक्कट्ठा हुए हैं
जाहिर है इस तीसरे मोर्चे का फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा। बीजेपी की कोशिश ऐसी तमाम पार्टियों से रिश्ता बनाए रखने की है।

पार्टी महासचिव राम माधव, मीर और कई निर्दलीय विधायकों से मिल चुके हैं। इनमें सीपीएम के मोहम्मद यूसुफ़ तारीगामी भी हैं
लंगेट के विधायक इंजीनियर राशिद भी कई पुराने नेता जैसे चमनलाल गुप्ता उससे जुड़ रहे हैं। तो कई नेता भी− जैसे जम्मू−कश्मीर के युवराज रहे कर्ण सिंह के बेटे अजातशत्रु।

बीजेपी जम्मू कश्मीर में सत्ता हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है। वो जानती है कि अगर वह सरकार बनाने के जरा भी करीब आई तो पूरे विश्व में उसकी पार्टी की चर्चा होगी ओर उसके नेता की भी।

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