बिहार विधानसभा चुनाव में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया. इसके विपरीत, MGB (महागठबंधन) को केवल 35 सीटों पर सिमटना पड़ा, जबकि अन्य दलों ने 6 सीटें, AIMIM ने 5 सीटें और BSP ने 1 सीट जीती. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी.
सोशल मीडिया पर विवाद और आरोप
चुनाव परिणामों के बाद सोशल मीडिया पर काफी बहस छिड़ गई जब यह तथ्य सामने आया कि RJD (राष्ट्रीय जनता दल) को BJP और JDU दोनों से अधिक वोट और वोट शेयर मिला, फिर भी पार्टी ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी. इस पर कई लोगों ने धोखाधड़ी और चुनाव आयोग की मदद से जीत के गंभीर आरोप लगाए. लेकिन क्या ये आरोप वास्तव में सही हैं? आइए तथ्यों के साथ इसका विश्लेषण करें...
वोट और वोट शेयर का आंकड़ा
चुनाव के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार RJD को 1.15 करोड़ वोट मिले और 23% वोट शेयर रहा, BJP को 1 करोड़ वोट मिले और 20.08% वोट शेयर रहा, JDU को 96.67 लाख वोट मिले और 19.25% वोट शेयर रहा. पहली नजर में देखने पर लगता है कि RJD को सबसे ज्यादा वोट मिले, फिर भी पार्टी चुनाव हार गई। लेकिन यह पूरी तस्वीर नहीं है.

प्रत्याशी संख्या का महत्व
असली तस्वीर तब सामने आती है जब हम देखते हैं कि प्रत्येक पार्टी ने कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में RJD ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, BJP और JDU दोनों ने केवल 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा. स्पष्ट है कि RJD ने BJP और JDU से लगभग 1.4 गुना अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा. जब आप अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, तो स्वाभाविक रूप से आपको कुल मिलाकर अधिक वोट मिलेंगे. इसलिए कुल वोटों की तुलना करना गलत होगा.
प्रति सीट औसत वोट का विश्लेषण
असली तस्वीर तब सामने आती है जब हम प्रति सीट औसत वोट देखते हैं. इस चुनाव में RJD को प्रति सीट औसतन केवल 80,742 वोट मिले,BJP को प्रति सीट औसतन 99,813 वोट मिले जबकि JDU को प्रति सीट औसतन 95,714 वोट मिले. यहां तक कि LJP को भी RJD से अधिक प्रति सीट 89,191 वोट मिले. यह आंकड़ा साफ करता है कि जिन सीटों पर ये पार्टियां लड़ीं, वहां RJD का प्रदर्शन वास्तव में कमजोर था.
प्रतियोगी वोट शेयर (Contested Vote Share): असली संकेतक
प्रतियोगी वोट शेयर वह औसत वोट शेयर है जो पार्टी ने अपनी लड़ी गई सीटों पर प्राप्त किया.पार्टी को प्राप्त कुल वोटों को उन सीटों पर पड़े वोटों की संख्या से विभाजित किया जाता है. RJD को 143 सीटों पर 1.15 करोड़ वोट मिले, इन सीटों पर 2.91 करोड़ वोट पड़े, यानी चुनाव में वोट शेयर 39.6% रहा. RJD का प्रतियोगी वोट शेयर 39.6% रहा, BJP का प्रतियोगी वोट शेयर 48.3%, JDU का प्रतियोगी वोट शेयर , 46.3% और LJP का प्रतियोगी वोट शेयर 43.1% रहा.यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अपनी लड़ी गई सीटों पर RJD का प्रदर्शन BJP और JDU से काफी कमजोर रहा. बीजेपी का प्रतियोगी वोट शेयर RJD से 8.7 फीसदी ज्यादा रहा, JDU का 6.5 फीसदी ज्यादा और यहां तक कि LJP का 3.5 फीसदी ज्यादा रहा.

RJD बनाम विभिन्न प्रतिद्वंद्वी: विस्तृत विश्लेषण
RJD ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 51 सीटें BJP के खिलाफ, 61 सीटें JDU के खिलाफ, 31 सीटें LJP, HAM और RLM के खिलाफ, RJD ने कुल 25 सीटें जीतीं, जहां उसका वोट शेयर 46.2% रहा और उपविजेता का 39.6% रहा. यहां औसत जीत का अंतर 6.6% था.
RJD की हार का विश्लेषण
AIMIM और BSP के खिलाफ: RJD 4 सीटें हारी, जहां उसका वोट शेयर केवल 22.9% रहा, जबकि विजेता का 39.9% रहा। हार का अंतर 17% का रहा.RJD ने BJP के खिलाफ 51 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से केवल 5 सीटें जीती और BJP 43 सीटें जीतने में कामयाब रही. हारी गई सीटों पर RJD का वोट शेयर 40% रहा जबकि BJP का 49.3% रहा. हार का औसत अंतर 9.3% का रहा.RJD ने JDU के खिलाफ 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से केवल 9 सीटें जीती और JDU 51 सीटें जीतने में कामयाब रही. हारी गई सीटों पर RJD का वोट शेयर 37.9% रहा जबकि JDU का 47.7% रहा. हार का औसत अंतर 9.8% का रहा. LJP, HAM और RLM जैसे इन छोटे NDA सहयोगी दलों के खिलाफ RJD ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा,जिनमें से 11 जीती और 20 हारी. हारी गई सीटों पर RJD का वोट शेयर 37.8% रहा. जबकि विजेता दलों का 46.6% रहा. हार का औसत अंतर 8.9% का रहा.
सीधी मुकाबले का परिणाम
प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के साथ सीधे मुकाबले में RJD का प्रदर्शन कैसा रहा. JDU के खिलाफ 61 सीधे मुकाबलों में JDU ने 51 जीतीं, RJD ने 9, अन्य ने 1 जीती. BJP के खिलाफ 51 सीधे मुकाबलों में: BJP ने 43 जीतीं, RJD ने 5, अन्य ने 3 जीती वहीं LJP, HAM, RLM के खिलाफ 31 मुकाबलों में: इन दलों ने 20 जीतीं, RJD ने 11 जीती.
निष्कर्ष: धोखाधड़ी का आरोप निराधार
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि RJD को अधिक वोट मिलने के बावजूद हार का कारण धोखाधड़ी नहीं बल्कि निम्नलिखित तथ्य हैं.पहला तो ये कि RJD ने BJP और JDU से 1.4 गुना अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा (143 बनाम 101), इसलिए कुल वोट अधिक मिलना स्वाभाविक था. दूसरा ये कि प्रति सीट औसत वोट में RJD का प्रदर्शन JDU, BJP और यहां तक कि LJP से भी कमजोर रहा.तीसरा, प्रतियोगी वोट शेयर (39.1%) में RJD काफी पीछे रही जबकि BJP (48.3%) और JDU (46.3%) आगे रहे.चौथा ये की सीधे मुकाबलों में RJD की हार का अंतर काफी बड़ा था, जो दर्शाता है कि मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से प्रतिद्वंद्वी दलों को प्राथमिकता दी. पांचवां कारण ये कि आरेजडी का वोट सेयर सिर्फ 25 सीटों पर अपने प्रतिद्वंदी से ज्यादा रहा, बाकी 118 सीटों पर अपने प्रतिद्वंदी से कम रहा.
इस प्रकार, RJD की हार किसी धोखाधड़ी का परिणाम नहीं बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक परिणाम है. पार्टी ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन अपनी लड़ी गई सीटों पर प्रतिद्वंद्वियों से कमजोर प्रदर्शन किया.यह भारतीय चुनावी प्रणाली की प्रकृति है जहां सीटें जीतना कुल वोटों से अधिक महत्वपूर्ण है, और हर सीट पर मजबूत प्रदर्शन जरूरी है.भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में "फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट" प्रणाली है, जिसमें हर सीट पर सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार जीतता है. इसलिए समग्र वोट शेयर से अधिक महत्वपूर्ण है प्रत्येक सीट पर प्रभावी उपस्थिति और मजबूत प्रदर्शन. NDA ने यह रणनीति सफलतापूर्वक लागू की जबकि RJD अपने संसाधनों को अधिक सीटों पर फैलाकर कमजोर पड़ गई.