प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. मोदी सरकार के तीन साल जल्द पूरे होने वाले हैं. ठीक तीन साल पहले, 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए तो यह साफ हो गया कि यूपीए सरकार के दिन लद गए और लोगों ने देश अगला प्रधानमंत्री खुद ही चुन लिया.
क्या लोग अपना पेट भरने के लिए ही वोट देते है. क्या आम आदमी का कोई आत्म सम्मान नहीं है. क्या उसके भीतर कोई गैरत नहीं है. लालच की राजनीति, रिश्वत की राजनीति तो पहले भी होती रही है. आप रिश्वत का दायरा और तरीका बदल रहे हैं.
दिल्ली और देश में हुए 10 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा कायम है. यह जीत बीजेपी की है या फिर पीएम मोदी यह फर्क अभी भी कोई नहीं कर सकता. लेकिन सच्चाई यही है कि जीत पीएम मोदी के नाम पर बीजेपी को मिल रही है.
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश को हमेशा से संवेदनशील राज्य माना जाता रहा है. पिछले कुछ दशकों से यहां पर बनी सरकारों पर पक्षपात रवैया अपनाने और कानून व्यवस्था को ठीक से नहीं संभाल पाने के आरोप लगते रहे हैं. पिछली सरकार के हालिया चुनाव में हार के प्रमुख कारणों में एक कारण राज्य में कानून व्यवस्था को ठीक से लागू नहीं कर पाना भी अहम था.
यूपी में आजकल गधों को लेकर राजनीति होने लगी और इसमें जुबानी जंग तेज है. शुरुआत सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की और फिर इस पर लगातार बयानबाजी चली आ रही है. एक जानवर किसी चुनाव में इतना महत्वपूर्ण हो जाएगा, कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा.
देश की राजधानी दिल्ली नए साल के पहले दिन एक प्रयोगशाला बनी। यह प्रयोग था दिल्ली को प्रदूषण के प्रकोप से बचाने के लिए। इसके लिए दिल्ली सरकार की ओर से निजी कारों के चलाने के लिए ऑड-ईवन नंबर का फॉर्मूला लागू किया। यह फॉर्मूला 15 दिन लागू रहा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने विधायकों के लिए 2.35 लाख रुपये के पैकेज की घोषणा कर दी है। इसी के साथ मेरी नजर में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार पर आधिकारिक रूप भ्रष्टाचार को पोसने का आरोप लगता है।
आम आदमी से बन गए खासम खास। दिल्ली में हमारे विधायकों की तनख्वाह 400 फीसदी बढ़ गई है। 88,000 से सीधे 1,85,000 और साथ ही विधानसभा क्षेत्र के नाम पर 50,000 रुपये। चार गुणा बढ़ गई है सैलरी कांग्रेस-बीजेपी का विकल्प बन कर आये विधायकों की।
अरविंद केजरीवाल और खुली बहस के बीच काफी गहरा रिश्ता है। अरविंद केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनका यह मानना है कि खुली बहस लोकतंत्र के लिए अच्छी है और इसके जरिये एक स्वस्थ राजनीति की शुरुआत हो सकती है।
आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के दाहिने हाथ के रूप में लोगों को नजर आते हैं और धीरे-धीरे उनपर ही भारी पड़ते लगते हैं। फिर समय सब कुछ बदल देता है। आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के ऊपर भारी पड़ते हैं।
आमिर, आपने यह क्या बोल दिया? बोलने से पहले आपको सोच लेना चाहिए था! आपकी "दिल" जैसी फ़िल्म को लोगों ने दिल में बिठाया फिर आपने यह क्या किया, करोड़ों लोगों का दिल तोड़ दिया। क्या आपने 'पी के' ऐसा बयान दिया था जिसकी वजह से इतना बवाल हुआ है।
आमिर खान के बाद अब संगीतकार एआर रहमान अपने बयान की वजह से विवादों में आ गए हैं। वंदे मातरम गाने वाले रहमान ने गोवा फिल्म समारोह में कहा कि वे भी आमिर जैसे हालात झेल चुके हैं।
टीम इंडिया बांग्लादेश में वनडे सीरीज़ हारी तो धोनी के खिलाफ़ शोर बढ़ने लगा और अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ दो टी-20 और एक वन-डे मैच हारने के बाद तो मानो महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट की हार की सबसे बड़ी वजह ही बन गए।
राधे मां पर कुछ भी लिखने से पहले ये बता दूं कि मैं राधे मां की कहानी पिछले कई साल से फॉलो कर रहा हूं। एक बार ये देखने बोरीवली तक पहुंच गया था कि आखिर ये राधे मां है कौन? इस कौतूहल की दो बड़ी वजह थीं।
पिछले कुछ दिनों बारिश में भीगे रहने वाले गॉल के मैदान पर रनों की ऐसी बरसात होने वाली है ये कहना कल तक मुश्किल था। लेकिन दिल्ली के दो दबंग शिखर धवन और विराट कोहली मैच के दूसरे दिन श्रीलंकाई गेंदबाज़ों पर हमला बोलते रहे।
गॉल टेस्ट के पहले दिन 6 विकेट लेकर रविचंद्रन अश्विन ने बता दिया कि भारत का नंबर-1 स्पिनर कौन है। टीम इंडिया के 11 खिलाड़ियों की तरह अश्विन भी पहली बार श्रीलंका में टेस्ट खेल रहे हैं। बाद में दिन का खेल खत्म होने के बाद अश्विन पैवेलियन में साथी खिलाड़ियों को एक्शन के साथ बता रहे थे कि उन्होंने कैसे 6 विकेट लिए।
कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के पांच दिन पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही सोमवार को कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लोकसभा का बहिष्कार ख़त्म कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के सांसद फिर वेल में जाकर प्लेकार्ड दिखाएंगे?
क्या 1993 धमाकों का दोषी याकूब पकड़ा गया था? अगर नहीं तो फिर उसने सरेंडर कैसे, कब और कहां किया? आने वाले वक्त में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला लेगा उसमें पूरा मामला इन दो सवालों पर आकर जरूर अटकेगा।