नई दिल्ली: कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के पांच दिन पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही सोमवार को कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लोकसभा का बहिष्कार ख़त्म कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के सांसद फिर वेल में जाकर प्लेकार्ड दिखाएंगे?
ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि प्लेकार्ड दिखाने के चलते है उसके 25 सांसदों को स्पीकर ने निलंबित किया था। निलंबन से पहले स्पीकर ने कई दिनों तक लगातार चेतावनी दी थी। उसके बाद सोमवार 4 अगस्त को स्पीकर ने नियम 374-ए का हवाला देते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने निलंबन वाले दिन को लोकतंत्र का काला दिन कहा। फिर ये भी बयान दिया कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है। स्पीकर के फैसले की ये कह कर आलोचना की गई कि जब सरकार की तरफ से सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव नहीं पेश किया गया था तो स्पीकर इस कदम से बच सकती थीं। हालांकि स्पीकर की दलील है कि उन्होंने कई दिनों तक और कई बार चेतावनी देने के बाद मजबूरी में ये कदम उठाया ताकि हाउस में कामकाज हो सके।
निलंबन के विरोध में कांग्रेस के साथ वो विपक्षी पार्टियां भी आयीं जो सुषमा-वसुंधरा-शिवराज के इस्तीफे की मांग पर कांग्रेस और लेफ्ट के साथ नहीं हैं। टीएमसी जैसी पार्टी ने निलंबन की समयावधि तक लोकसभा के बहिष्कार का ऐलान किया तो समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव पहले ये कोशिश की कि निलंबन का फैसला स्पीकर वापस ले लें। जब बात नहीं बनी तो समाजवादी पार्टी ने भी लोकसभा से बाहर ही रहने का फैसला किया।
विपक्ष के इस तरह से लामबंद होने से कांग्रेस का उत्साह बढ़ा तो सरकार की मुश्किल। वह विपक्ष की अनुपस्थिति में ही ज़रूरी संसदीय कामकाज निपटाती रही। यहां तक कि लोकसभा में जब विदेश सुषमा स्वराज ने ललितगेट मामले पर अपनी सफाई पेश की तो विपक्ष की बेंच पूरी तरह से खाली थी। सोमवार 9 अगस्त को पूरा विपक्ष एक बार फिर सदन में होगा। लेकिन नज़र इस बात पर होगी कि कांग्रेस अब प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन करती है या उसके बिना। कांग्रेस के तेवर से ये तो साफ है कि वो सुषमा स्वराज समेत ललितगेट में फंसी राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और व्यापम के घिरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुषमा स्वराज को नाटकबाज़ी में माहिर बता कर और राहुल गांधी ने उन पर ललित मोदी की मदद के बदले घूस लेने का आरोप लगा मामले को और गरमा दिया है।
ऐसे में बहुत संभव है कि कांग्रेस सोमवार को लोकसभा के भीतर प्रदर्शन के उसी तरीके को अपनाए जो वो मॉनसून सत्र के पहले दिन से अपना रही है। यानि प्लेकार्ड लेकर आए। कई कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि प्लेकार्ड छोड़ने का मतलब पार्टी का झुक जाना माना जाएगा या फिर ये कि कांग्रेस ने अपना रुख नरम कर लिया है। इसलिए प्रदर्शन पहले की तरह ही करना चाहिए। लेकिन खतरा ये भी है कि इससे कांग्रेस की छवि सभी हदों को पार करने वाली विपक्षी पार्टी की न बन जाए।
फिर भी अगर कांग्रेसी सांसद सोमवार को लोकसभा में प्लेकार्ड लहराते हैं तो नज़र स्पीकर पर होगी कि क्या वे फिर निलंबन जैसा कोई फैसला लेती हैं या इस बार ऐसे किसी फैसले से बचती हैं। सरकार भी नहीं चाहेगी कि विपक्ष को फिर एकजुट होने का मौक़ा मिले।