इतिहास में पृथ्वीराज चौहान के जीवन की एक घटना का वर्णन मिलता है, जिसमें उन्होंने मोहम्मद गौरी को अपने शब्दभेदी बाण से मार गिराया था. पृथ्वीराज चौहान के पास ऐसी धनुर्विद्या थी, जिससे वह आंखों से देखे बिना सिर्फ़ आवाज़ सुनकर लक्ष्य साध सकते थे, लेकिन आज भारत ने एक ऐसी मिसाइल विकसित करने में सफलता प्राप्त कर ली है, जो आवाज़ की गति से भी पांच गुना तेज़ रफ़्तार से निशाने पर पहुंच सकती है.
अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का चौथा देश है, जिसने स्वदेशी तकनीक से हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित की है. भारत द्वारा विकसित की गई इस तकनीक से दुनिया हतप्रभ है, क्योंकि इस तकनीक को विकसित करने का काम रूस के सहयोग से ब्रह्मोस-2 मिसाइल के लिए किया जा रहा था. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस परियोजना के काम में आ रही बाधाओं को देखकर भारत ने अपने बल पर ही देश में इस तकनीक को विकसित कर लिया. हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करने का कमाल भारत सरकार की कंपनी DRDO और IIT, कानपुर के विज्ञानियों ने कर दिखाया है.
स्वदेशी मिसाइलों का चमत्कार
मिसाइल ऐसा स्वचालित अस्त्र होता है, जो हवा में तैरते हुए बहुत तेज़ गति से, लेकिन सटीक तरीके से किसी भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम होता है. इस मिसाइल के अगले हिस्से, जिसे नोक या वॉरहेड कहते हैं, को परमाणु बम के साथ-साथ सामान्य विस्फोटकों से लैस किया जा सकता है. मिसाइल का वॉरहेड ही इसे घातक बनाता है. हवा में तैरते हुए, दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइलों से पहले कई तरह की मिसाइलें विकसित की हैं. इनमें छोटी मिसाइलें भी हैं, जिन्हें सैनिक अपने कंधों पर रखकर लॉन्च कर सकते हैं और आमतौर पर जिनका उपयोग युद्ध के दौरान दुश्मन के टैंकों और अन्य ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया जाता है. इन छोटी मिसाइलों को विकसित करने के बाद भारत ने बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित की हैं, जो लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं. ये मिसाइलें रॉकेट की तरह काम करती हैं. इन बैलिस्टिक मिसाइलों के ज़रिये परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
आज भारत के पास बैलिस्टिक मिसाइलों की पूरी शृंखला है. इनमें 'अग्नि', 'पृथ्वी' और 'धनुष' प्रमुख मिसाइलें हैं. बैलिस्टिक मिसाइलों के बाद देश में सुपरसोनिक मिसाइलों की शृंखला विकसित की गई, जिसमें ब्रह्मोस-1 और ब्रह्मोस-2 प्रमुख हैं. लेकिन 16 नवंबर, 2024 को भारत के हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण ने पूरी दुनिया को हतप्रभ कर दिया, क्योंकि इन मिसाइलों की खासियत यह है कि यह पृथ्वी की सतह से मात्र 200 फुट की ऊंचाई पर हवा में तैरते हुए एक के बाद एक कई ठिकानों को ध्वस्त कर सकती हैं और इन मिसाइलों को कोई भी रडार सिस्टम नहीं पकड़ सकता है. भारत की यह हाइपरसोनिक मिसाइल 1500 किलोमीटर दूर तक स्थित दुश्मन के किसी भी ठिकाने को चंद सेकंड में ध्वस्त करने की क्षमता रखती है.
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल की दहाड़
इन हाइरपसोनिक मिसाइलों को यदि पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया जाए, तो पाकिस्तान का इस्लामाबाद और कराची शहर, जो करीब 400 से 500 किलोमीटर की दूरी पर हैं, मात्र दो से तीन मिनट में तबाह हो जाएंगे और उन्हें पाकिस्तान का कोई भी रडार सिस्टम नहीं पकड़ सकता. उसी तरह, यदि इन मिसाइलों के ज़रिये बांग्लादेश सीमा से ढाका और चटगांव शहर को निशाना बनाए जाए, तो मात्र एक से दो मिनट में ही ये शहर तबाह हो जाएंगे.
उसी तरह, यदि यह मिसाइल भारत की समुद्री सीमा से दागी जाए, तो यह अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर में दुश्मनों के जहाज़ों को तबाह कर सकती है. भारत ने इस हाइपरसोनिक मिसाइल के ज़रिये चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश दे दिया है कि वह ज़मीन से समुद्र तक अपनी ही सीमा में रहकर मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. इससे पहले एशिया में हाइपरसोनिक मिसाइल रखने वाला चीन एकमात्र देश था. पाकिस्तान अभी इस तरह की मिसाइल विकसित करने में सक्षम नहीं हुआ है.
भारत की बढ़ती भू-वैश्विक ताकत
पिछले एक दशक में भारत ने अपनी भू-वैश्विक ताकत बढ़ाने के लिए सैन्य क्षमताओं के साथ-साथ आर्थिक क्षमता को भी लगातार बढ़ाया है. आज हाइपरसोनिक मिसाइलों को विकसित करने में भारत जहां दुनिया का चौथा देश बना है, वहीं विश्व में यह पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और कुछ ही सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनने की क्षमता रखता है.
इसीलिए अमेरिका के नेतृत्व वाला QUAD समूह हो या रूस और चीन के नेतृत्व वाला BRICS समूह, सभी देश इनसे जुड़े शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं. भारत के हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण की खबर G-20 शिखर सम्मेलन से दो दिन पहले आई. ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हो या फिर नेताओं और प्रतिनिधियों से बातचीत, हर किसी को उत्साहित करने वाली है. इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी मौजूद थे. इस समय अमेरिका औऱ चीन के बीच भीषण व्यापारिक युद्ध चल रहा है और इस युद्ध के अगले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में और बढ़ने की संभावना है. ऐसे दौर में भारत का सैन्य और आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का संदेश देना भारत के नेतृत्व कौशल का परिचायक है.
इन तमाम भू-वैश्विक परिस्थितियों में हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण ने भारत को एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने का अवसर दिया है.
हरीश चंद्र बर्णवाल वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं...
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