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ब्लॉग राइटर
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कोरोना वारियर्स पर हमला- जहालत या सामाजिक अंधापन?
कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डॉक्टरों, पुलिस वालों पर हुए हमले परेशान करने वाले हैं. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जिस तरह से डॉक्टरों और पुलिस वालों पर पत्थरबाज़ी और हमला हुआ....ये कोरोना वारियर्स के खिलाफ बस एक अपराध ही नहीं.....ये सामाजिक अंधापन है जो इस वैश्विक महामारी से निपटने की मुहिम को आघात पहुंचा सकता है.
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- ऋचा जैन कालरा
- अप्रैल 16, 2020 01:28 am IST
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डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों छेड़ा राग कश्मीर...?
यह ज़रूर पहली बार हुआ, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री का नाम लेकर कश्मीर पर मध्यस्थता की कथित पेशकश का शिगूफा छेड़ा हो. भारत इस पर आगबबूला है, लेकिन कूटनीति की नज़ाकत ऐसी है कि ट्रंप को सीधे-सीधे झूठा करार देने से कतरा रही है नरेंद्र मोदी सरकार.
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- ऋचा जैन कालरा
- जुलाई 24, 2019 15:20 pm IST
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भीड़तंत्र के बेकाबू होने की ज़िम्मेदारी किसकी?
क्या भारतीय लोकतंत्र में भीड़तंत्र बेकाबू हो गया है? ये सवाल इसलिए क्योंकि भीड़तंत्र के गुस्से की बलि चढ़ने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. सरकारें कड़ा संदेश देने में कतरा रही हैं और इससे कानून तोड़ने वालों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं. सरकारी तंत्र कभी लाचार तो कभी लापरवाह नज़र आता है.
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- ऋचा जैन कालरा
- जुलाई 13, 2019 20:32 pm IST
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कश्मीर की कश्मकश...
हाल में ही जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक नया शिगूफा छेड़ा कि हुर्रियत कांफ्रेस सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने ये भी दावा किया कि घाटी में पिछले एक साल में हालात संभले हैं. इसके बाद हुर्रियत कांफ्रेस के चैयरमेन मीरवाइज़ उमर फारूख़ ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वो बातचीत का स्वागत का करते हैं और हुर्रियत हमेशा कश्मीर समस्या सुलझाने के लिए इसका समर्थन करती है. लेकिन इस पर केंद्र सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं हुई है.
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- ऋचा जैन कालरा
- जून 28, 2019 17:39 pm IST
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कश्मीर पर बढ़ी मध्यस्थता की गूंज के बीच कब तक तीन तिगाड़ा काम, बिगाड़ा पर चलेंगे हम?
गौर करने वाली बात है कि कश्मीर में मध्यस्थता पर बीते चार पांच महीनों में अमेरिका समेत कई देशों ने मध्यस्थता की पेशकश की.
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- ऋचा जैन कालरा
- जुलाई 27, 2017 09:30 am IST
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कौन है किसानों की लगातार खुदकुशी का ज़िम्मेदार...?
नोटबंदी, जीएसटी समेत कई बड़े और कड़े फैसले करने वाली इस सरकार के पास क्या खेती की तस्वीर संवारने के लिए कोई खाका है या किसान अब भी कर्ज़, बिचौलिया तंत्र और उदासीन सरकारी नीतियों की चक्की में पिसने के लिए मजबूर रहेगा...
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- ऋचा जैन कालरा
- जुलाई 06, 2017 14:41 pm IST
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दार्जीलिंग में क्यों तेज़ हुई अलग राज्य की गूंज
दार्जीलिंग की वादियां आजकल हिंसा विरोध प्रदर्शन और अशांति से गूंज रही है. बंगाली भाषा को अनिवार्य किए जाने के नाम पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को हवा दी है.
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- जून 12, 2017 14:37 pm IST
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दिल छू लिया 'हिन्दी मीडियम' ने...
'हिन्दी मीडियम' की कहानी फिल्मी सही, लेकिन असली-सी लगती है... संदेश दे जाती है कि मीडियम हिन्दी हो या अंग्रेज़ी, स्थायी तरक्की जड़ों से कटकर कभी नहीं होती और असली तरक्की के लिए किसी के अरमानों के बलि मत दीजिए... काश, यह बात सब समझ पाएं...
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- मई 31, 2017 14:59 pm IST
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हम आगे नहीं, पीछे लौट रहे हैं...
रिश्ते सिकुड़ रहे हैं, इंसानी ज़रूरतें फैल रही हैं... इन ज़रूरतों को पूरा करने के बीच प्यार, संवेदना और सहानूभूति हाथ से फिसलते जा रहे हैं... सोशल मीडिया पर लाइक और इमोटिकॉन के बीच हम उन रिश्तों को सींचने में पीछे छूट गए हैं, जो मुश्किल के वक्त कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं... वैसे, देर तो हो चुकी है, लेकिन कहते हैं न - जब जागो, तभी सवेरा...
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- ऋचा जैन कालरा
- मई 26, 2017 12:08 pm IST
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डिजिटल इंडिया की चकाचौंध में पिछड़ा भारत...
जब देश के लगभग 70 सालों में हमारे बैंक ही ग्रामीण जनता के बीच जड़ें नहीं बिठा पाए तो हम किसके भरोसे भारत की जनता से डिजिटल होने की मांग कर रहे हैं, जहां गांवों में 80 फीसदी लोग बैंक खाते नहीं रखते. क्यों उनके पैसे पर बंदिशें लगाई जा रही हैं?
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- ऋचा जैन कालरा
- दिसंबर 09, 2016 16:23 pm IST
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कोहरे का कोहराम, सड़क पर सफर में रखें ध्यान
सर्दी ने नहीं, कोहरे ने कंपकंपा दिया... जी हां, ठंड के खुमार ने नहीं, कोहरे की मार ने आज सुबह जैसे जान ही निकाल दी... एक मीटर तक देख पाना मुश्किल हो गया था और ऐसे में सुबह 5 बजे गाड़ी ड्राइव करना, जैसे जान हथेली पर लेकर दफ्तर जाने से कम न था...
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- ऋचा जैन कालरा
- नवंबर 30, 2016 15:22 pm IST
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केरल में हुए गैंगरेप पर क्यों चुप हैं हम सब...?
यह नाकामी हमारे सरकारी तंत्र के साथ-साथ हम सब की भी है कि हम इन मुद्दों को तरजीह नहीं देते... इस पर वह गंभीरता नहीं दिखाते, जिसकी ज़रूरत है, वरना हर रोज़ देश में दुधमुंही बच्चियों से लेकर बूढ़ी महिलाओं तक के साथ बलात्कार के मामले सामने नहीं आते...
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ऋचा जैन कालरा की कलम से : मांझी का मर्म
एक दिन पहले फिल्म मांझी : द माउंटेनमैन देखी। चुनिंदा फिल्में देखने को शौक मुझे लीक से हटकर बनी इस फिल्म की ओर खींच ले गया। दशरथ मांझी की असल ज़िंदगी पर बनी फिल्म कई मायनों में एक क्लासिक फिल्म लगी।
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ऋचा जैन कालरा की कलम से : वापस आ रही है मैगी सवालों के साथ
बड़े दिनों से मैगी की कमी खल रही थी, खासकर जब कुछ बनाने पकाने का मन न हो। झटपट पकने वाली मैगी कई बार याद आई। हालांकि मुझे मैगी से बहुत लगाव कभी नहीं रहा, लेकिन लास्ट मिनिट फूड के तौर पर कभी-कभार खाने में मुझे गुरेज़ भी नहीं था।
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ऋचा जैन कालरा की कलम से : क्या 'नो कार डे' लागू करने का वक्त आ गया है...
आज हैदराबाद के सायबराबाद के आईटी कॉरिडोर में वह हो रहा है, जिसकी ज़रूरत देश के हर शहर, हर महानगर को है। यहां के आईटी कॉरिडोर में लगभग पचास हज़ार निजी कारें सड़कों से गायब हैं।
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हंगामा है बरपा ... बीयर बार से संत और अब महामंडलेश्वर
हाल ही में गुरु पूर्णिमा के दिन सच्चिदानंद गिरी महाराज को इलाहाबाद में महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा गया। धूमधाम से हुए इस आयोजन में राजनीतिक पहुंच की भी नुमाइश हुई ...यूपी सरकार के आला मंत्री शिवपाल यादव को यहां खास तौर पर न्यौता दिया गया था।
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ऋचा जैन कालरा की कलम से : नेहरू, न्योता और नरेंद्र मोदी
कांग्रेस अगर मोदी को न्योता दे भी देती तो मोदी आ नहीं पाते, क्योंकि वह 10 दिन के विदेश दौरे पर हैं... यह ऐसा होता कि बात भी रह जाती और कांग्रेस मोदी की मौजूदगी से बन सकने वाली असहज स्थिति से भी बच जाती... बड़े नेताओं, बड़े दलों को बड़े मौकों पर बड़ी सोच दिखानी चाहिए...