हंगामा है बरपा ... बीयर बार से संत और अब महामंडलेश्वर

हंगामा है बरपा ... बीयर बार से संत और अब महामंडलेश्वर

साधु बने सचिन दत्ता की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

हाल ही में गुरु पूर्णिमा के दिन सच्चिदानंद गिरी महाराज को इलाहाबाद में महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा गया। धूमधाम से हुए इस आयोजन में राजनीतिक पहुंच की भी नुमाइश हुई ...यूपी सरकार के आला मंत्री शिवपाल यादव को यहां खास तौर पर न्यौता दिया गया था। अब हंगामा इस बात पर बरपा है कि इन तथाकथित महाराज के अतीत का जिन्न ज़िंदा हो उठा है।

बीयर बार से लेकर रियल एस्टेट के कारोबार में हाथ आज़मा चुके सचिन दत्ता पर कई आपराधिक मामले दर्ज बताए गए हैं। धोखाधड़ी, ज़मीन हथियाने और कई लोगो को लाखों का चूना लगाने का आरोप उन पर लग चुका है। रियल एस्टेट के कारोबार में दत्ता पर लोगों को घर का सपना दिखाकर लाखों रुपए ऐंठने का आरोप है। उनके आलोचक तो अब भी उन पर नोएडा के सेक्टर 18 में बीयर बार चलाने के आरोप लगा रहे हैं। आरोप तो पैसे के बल पर इस बेहद प्रतिष्ठित महामंडलेश्वर की उपाधि को हासिल करने के भी लगे हैं।

आरोपों की झड़ी लगी तो भारतीय अखाड़ा परिषद ने तथाकथित महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरी महाराज उर्फ सचिन दत्ता के किसी धार्मिक आयोजन में शामिल होने पर फिलहाल पाबंदी लगा दी है। उन्हें क्लीन चिट मिलने तक किसी धार्मिक कार्यक्रम या कुंभ स्नान में भी आने की इजाजत नहीं होगी। अखाड़ा परिषद ने सच्चिदानंद गिरी को मीडिया के सामने अपना पक्ष रखने की भी सलाह दी है।

सच्चिदानंद गिरी महाराज की सफाई का इंतजार है, लेकिन जिस तरह से अखाड़ा परिषद अब हरकत में आई है इससे पहले वह क्या कर रही थी? क्या महामंडलेश्वर जैसे बड़ी और गरिमामयी उपाधि के लिए संतों के चयन का कोई मानदंड है या नहीं। क्या किसी कसौटी पर खरे उतरे बिना ही यह बड़ी उपाधि किसी भी सन्यासी को मिल जाती है... कुछ संतों का मानना है कि महामंडलेश्वर जैसी उपाधि अभी चल रहे नासिक कुंभ मे ही दी जा सकती है... यह आयोजन इलाहाबाद में क्यों हुआ?

कुछ वक्त पहले इसी तर्ज पर विवादों में घिरी रहीं राधे मां नाम की एक तथाकथित महिला धर्म गुरु को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। उन पर अब मुंबई के पास बोरीवली की एक महिला ने एफआईआर दर्ज कराई है। महिला का आरोप है कि राधे मां के कहने पर उसके ससुराल वालों ने उसके साथ मारपीट की है और उसे घर से निकाल दिया है। खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां इससे पहले 2012 में भी विवादों के साये में रही हैं। बॉलीवुड गानों पर डांस करने वाली राधे मां पर आरोप साबित होने की सूरत में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। अखाड़ा परिषद ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि देने वाले जूना अखाड़े से उनके मामले को देखकर फैसला करने को कहा है।

सच्चिदानंद गिरी हों या राधे मां, इन पर लग रहे आरोप संतों की गरिमा धूमिल कर रहे हैं। जेल की हवा खा रहे आसाराम... पहले ही संतों के नाम पर बड़ा बट्टा लगा चुके हैं। भले ही आरोप साबित न हुआ हो, लेकिन नाबालिग से बलात्कार के संगीन आरोप के चलते देश की किसी अदालत ने लगभग दो साल से उनकी जमानत की तमाम अर्जियों को खारिज करना ही बेहतर समझा। उनके और उनके बेटे के खिलाफ गवाही देने वाले कई अहम गवाह रहस्यमय हालात में मारे जा चुके हैं।

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सच्चिदानंद गिरी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने वाले निरंजनी अखाड़े के प्रवक्ता का दावा है कि हर किसी का एक इतिहास होता है... हमें इतिहास पर नहीं वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन इतिहास की छाया अगर वर्तमान को ढंकने लगे, तो सफाई जरूरी हो जाती है। भले ही इस तर्क के पीछे महर्षि वाल्मिकी का उदाहरण दे सकते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वह कभी डाकू रहे, बाद में सन्यास लेकर जीवन की धारा बदली और रामायण लिखी.... लेकिन वर्तमान के आइने में अतीत की छाया को इतनी सरलता से नजरअंदाज़ करना आज मुमकिन नहीं। यह संत समाज के हित में है कि वह अपने विवादित संतों के चलते गिर रही छवि को सुधारने के लिए आगे आए। धर्म विश्वास की नींव से बंधा है, विश्वास हिलेगा तो धर्म के झंडाबरदारों के सिंहासन हिलते देर नहीं लगेगी।